इस कड़ी में नया नाम मुमुक्षु आश्रम के अधिष्ठाता, राम मंदिर के आंदोलनकारी, केंद्र में गृह राज्यमंत्री और सांसद रह चुके स्वामी चिन्मयानंद का है.
इन्हीं स्वामी चिन्मयानंद के ऊपर यौन शोषण और बलात्कार का आरोप लगाया गया है. ऐसे आरोप लगने वाले संतों में आसाराम बापू, नित्यानंद, राम रहीम के साथसाथ नेताओं में उत्तर प्रदेश से भाजपा विधायक कुलदीप सेंगर, समाजवादी पार्टी में मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति, बहुजन समाज पार्टी के नेता पुरुषोत्तम द्विवेदी के अलावा अमरमणि त्रिपाठी और आनंदसेन जैसे कई नाम शामिल हैं.
इन सभी संतों और नेताओं में स्वामी चिन्मयानंद का नाम सब से चौंकाने वाला है क्योंकि वे नेता और संत दोनों रहे हैं और राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े रहे हैं.
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शाहजहांपुर के मुमुक्षु आश्रम को मोक्ष मिलने की जगह बताया जाता है. शाहजहांपुर में यह आश्रम धार्मिक आस्था का एक बड़ा केंद्र माना जाता है. यह आश्रम शाहजहांपुर रेलवे स्टेशन से महज 3 किलोमीटर और बसअड्डे से तकरीबन 2 किलोमीटर दूर है.
शाहजहांपुरबरेली हाईवे पर मुमुक्षु आश्रम तकरीबन 21 एकड़ जमीन पर बना है. इस के परिसर में ही इंटर कालेज से ले कर डिगरी कालेज तक 5 शिक्षण संस्थान चलते हैं.
मुमुक्षु आश्रम का दायरा शाहजहांपुर के बाहर दिल्ली, हरिद्वार, बद्रीनाथ और ऋषिकेश तक फैला है.
मुमुक्षु आश्रम की ताकत का ही फायदा ले कर साल 1985 के बाद स्वामी चिन्मयानंद ने धर्म के साथसाथ अपनी राजनीतिक ताकत बढ़ाई थी. वे 3 बार सांसद और एक बार केंद्र सरकार में गृह राज्यमंत्री बने. दूसरों को मोक्ष देने का दावा करने वाला मुमुक्षु आश्रम स्वामी चिन्मयानंद को मोक्ष की जगह जेल के पीछे भेजने का जरीया बन गया.
स्वामी सुखदेवानंद ला कालेज में कानून की पढ़ाई करने वाली 24 साल की एक लड़की ने जब मुमुक्षु आश्रम के अधिष्ठता स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ यौन शोषण और बलात्कार का आरोप लगाया, तो पूरा देश सन्न रह गया. लेकिन बाद में स्वामी चिन्मयानंद ने यौन शोषण और बलात्कार का आरोप लगाने वाली लड़की के खिलाफ 5 करोड़ रुपए की रंगदारी मांगने का मुकदमा दर्ज कर उसे जेल भिजवा दिया.
नग्नावस्था में लड़की से मसाज कराते वीडियो के सामने आने पर खुद स्वामी चिन्मयानंद ने जनता से कहा था कि वे अपनी इस हरकत पर शर्मिंदा हैं.
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स्वामी चिन्मयानंद ने धर्म के सहारे अपनी राजनीति शुरू की थी. वे राम मंदिर आंदोलन के दौरान देश के उन प्रमुख संतों में शामिल थे, जो मंदिर बनवाने की राजनीति कर रहे थे. भाजपा ने स्वामी चिन्मयानंद को 3 बार लोकसभा का टिकट दे कर सांसद बनाया और अटल सरकार में मंत्री बनने का मौका भी दिया.
स्वामी चिन्मयानंद उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के परसपुर क्षेत्र के त्योरासी गांव में साल 1947 में जनमे थे. उन का असली नाम कृष्णपाल सिंह है. साल 1967 में 20 साल की उम्र में संन्यास लेने के बाद वे हरिद्वार पहुंच गए. वहां उन का नाम स्वामी चिन्मयानंद हो गया.
तथाकथित संत होने के साथसाथ स्वामी चिन्मयानंद ने जेपी आंदोलन में भाग लिया. इमर्जैंसी में वे जेल गए. जनता पार्टी की सरकार बनी तो चिन्मयानंद शाहजहांपुर आ गए और स्वामी सुखदेवानंद के साथ रहने लगे.
स्वामी सुखदेवानंद की भारतीय जनता पार्टी के नेता लाल कृष्ण आडवाणी से जानपहचान थी. यहीं चिन्मयानंद की मुलाकात भी उन से होती थी. राजनीति में दिलचस्पी रखने के चलते चिन्मयानंद उन के बेहद करीब हो गए.
‘सुखदेवानंद आश्रम’ की कुरसी पर चिन्मयानंद के बैठने के बाद वे उत्तर प्रदेश में प्रमुख संत नेता के रूप में उभरने लगे. यहीं से वे विश्व हिंदू परिषद के संपर्क में भी आ गए.
यही वह समय था, जब विश्व हिंदू परिषद उत्तर प्रदेश में राम मंदिर को ले कर आंदोलन चला रही थी. उस के लिए मठ, मंदिर और आश्रम में रहने वाले संत मठाधीश बहुत खास हो गए थे.
विश्व हिंदू परिषद के अघ्यक्ष रहे अशोक सिंघल ने उत्तर प्रदेश में जिन आश्रम के लोगों को राम मंदिर आंदोलन से जोड़ा, उन में गोरखपुर जिले के गोरखनाथ धाम के महंत अवैद्यनाथ और शाहजहांपुर के स्वामी चिन्मयानंद और अयोध्या के महंत परमहंस दास प्रमुख थे.
विश्व हिंदू परिषद ने जब ‘राम जन्मभूमि मुक्ति संघर्ष समिति’ का गठन किया तो स्वामी चिन्मयानंद को उस का राष्ट्रीय संयोजक बनाया गया.
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बचाव के लिए वीडियो
पीडि़त लड़की ला कालेज में एलएलएम यानी मास्टर औफ ला की पढ़ाई कर रही थी. वह यहीं होस्टल में रहती थी. होस्टल में रहने के दौरान ही स्वामी चिन्मयानंद की उस पर निगाह पड़ी. पढ़ाई के साथसाथ उसे कालेज में ही नौकरी भी दे दी गई थी.
लड़की सामान्य कदकाठी और गोरे रंग की थी. कालेज में पढ़ने वाली दूसरी लड़कियों की तरह उसे भी स्टाइल के साथ सजसंवर कर रहने की आदत थी. स्वामी चिन्मयानंद ने कई बार उस के जन्मदिन की पार्टी में भी हिस्सेदारी की थी.
लड़की की स्वामी चिन्मयानंद के करीबी होने की अपनी अलग कहानी है. पीडि़त लड़की का कहना है कि उसे योजना बना कर फंसाया गया. वह कहती है कि जब वह होस्टल में रहने आई तो एक दिन नहाते समय चोरी से उस का वीडियो बना लिया गया. इस के बाद उस वीडियो को वायरल कर के बदनाम करने की धमकी दे कर स्वामी चिन्मयानंद ने उस के साथ बलात्कार किया. इस बलात्कार की भी वीडियो बनाई गई. इस के बाद उस के शोषण का सिलसिला चल निकला.
स्वामी चिन्मयानंद को मसाज कराने का बेहद शौक था. मसाज के दौरान ही वे कई बार सेक्स भी करते थे. अपने शोषण से परेशान लड़की ने अब इस तरह के वीडियो को बनाने का काम शुरू किया.
पीडि़त लड़की ने स्वामी चिन्मयानंद के तमाम वीडियो पुलिस को सौंपे हैं. इन में से 2 वीडियो वायरल भी हो गए. इन वीडियो में चिन्मयानंद नग्नावस्था में लड़की से मसाज कराते हुए देखे जाते हैं. इस में वे लड़की से बात कर रहे हैं. स्वामी खुद पूरी तरह से नग्नावस्था में हैं. लड़की से संबंध की बातें करते भी सुने जाते हैं. उन की आपसी बातचीत से ऐसा लग रहा है, जैसे उन दोनों के बीच यह सामान्य घटना है.
पीडि़त लड़की ने मसाज वाले ये दोनों वीडियो अपने चश्मे में लगे खुफिया कैमरे से तैयार किए थे. खुद को फ्रेम में रखने के लिए वह अपना चश्मा मेज पर उतार कर रखती थी, जिस से स्वामी चिन्मयानंद के साथ वह भी कैमरे में दिख सके. यह चश्मा लड़की ने औनलाइन शौपिंग से मंगवाया था.
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आरोप में घिरी सरकार
स्वामी चिन्मयानंद और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच गहरा रिश्ता है. 1980 के दशक में राम मंदिर आंदोलन के दौरान स्वामी चिन्मयानंद और योगी आदित्यनाथ के गुरु महंत अवैद्यनाथ ने मंदिर बनवाने के लिए कंधे से कंधा मिला कर काम किया था. दोनों ने मिल कर ‘राम जन्मभूमि मुक्ति संघर्ष समिति’ बनाई थी. ऐसे में उन के बीच एक करीबी रिश्ता था.
अटल सरकार में मंत्री पद से हटने के बाद ही स्वामी चिन्मयानंद का राजनीतिक रसूख हाशिए पर सिमट गया था. साल 2017 में जब उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी और योगी आदित्यनाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो स्वामी चिन्मयानंद का रसूख काफी बढ़ गया था. मुमुक्षु आश्रम का दरबार सत्ता का एक केंद्र बन गया था.
स्वामी चिन्मयानंद पर शोषण और बलात्कार का आरोप लगने के बाद जिस तरह से पीडि़त लड़की के खिलाफ रंगदारी मांगने और उस को पकड़
कर जेल में भेजा गया. उस के बाद विरोधी दल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ स्वामी चिन्मयानंद को बचाने के आरोप लगाने लगे.
समाजवादी पार्टी की नेता रिचा सिंह एक प्रतिनिधिमंडल के साथ शाहजहांपुर जेल में रंगदारी मांगने के आरोप में बंद आरोपी लड़की से मिलने गईं. जेल प्रशासन ने उन को मिलने नहीं दिया. इस बात के विरोध में सपा नेता जेल के गेट पर ही धरना देने लगे.
प्रतिनिधिमंडल में सपा नेता रिचा सिंह के साथ साबिया मोहानी, नाहिद लारी खान, निधि यादव, खुशनुमा, रेखा उपाध्याय प्रमुख थीं. सपा नेता पीडि़त लड़की के परिवार से मिले. परिवार के लोगों का दर्द सुन कर सपा नेताओं ने आरोप लगाया कि एक तरफ बलात्कार व शोषण के आरोपी स्वामी चिन्मयानंद को इलाज के नाम पर अस्पताल में रखा गया, वहीं रंगदारी के फर्जी मुकदमे में लड़की को जेल भेज दिया गया.
समाजवादी पार्टी ही नहीं, ‘एडवा’ की नेताओं ने भी उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में गांधी प्रतिमा के पास धरना दिया.
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‘एडवा’ की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाषिनी अली ने कहा कि पीडि़ता के बयान में बलात्कार का आरोप लगाने के बाद भी केस को कमजोर करने के लिए स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ जांच करने वाली एसआईटी ने बलात्कार का मुकदमा न दर्ज कर धारा 376 सी का मुकदमा लिखा है.
सुभाषिनी अली ने कहा कि सरकार किस तरह से स्वामी चिन्मयानंद को बचाने का काम कर रही है, यह दोनों मुदकमों में सम झा जा सकता है. कानून कहता है कि 7 साल से कम सजा के मामले में गिरफ्तारी जरूरी नहीं होती. रंगदारी के मामले में 3 साल की सजा का प्रावधान है. इस के बाद भी बलात्कार का आरोप लगाने वाली लड़की को जेल भेज दिया गया.
‘एडवा’ नेताओं में सीमा कटियार, सुमन सिंह, सीमा राणा, नीलम तिवारी और सुधा सिंह शामिल रहीं.
कांग्रेस ने भी लखनऊ से शाहजहांपुर तक ‘न्याय यात्रा’ का आयोजन किया, पर सरकार ने कांग्रेस नेताओं को ‘न्याय यात्रा’ नहीं निकालने दी.
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