ये लो संभालो अपना माल’’ कहते हुए पुलिस वाले ने सिबली को अन्ना की तरफ धकेल दिया, अन्ना और पुलिस इंस्पेक्टर एकदूसरे की तरफ देख कर मुसकराने लगे. ‘‘क्या इनाम चाहिए तुम्हें इंस्पेक्टर?’’ अन्ना ने पूछा. ‘‘बस इस माल को एक बार चखवा दो तो मजा आ जाए.’’ ‘‘तुम ने कुछ ज्यादा ही मांग लिया इंस्पेक्टर रमेश… अभी तो इसे और वीआईपी लोगों के पास जाना है उस के बाद ही जा कर तुम लोगों को नंबर आएगा,’’ एक भद्दी सी हंसी हंसते हुए अन्ना ने कहा. सिबली को एक कमरे में बंद कर दिया गया और शाम को अन्ना के गुर्गों ने सिबली को खूब मारा और रस्सी में बांध कर डाल दिया. ‘‘आगे से कभी भागने की कोशिश भी करी तो अंजाम ठीक नहीं होगा,’’ एक गुर्गे ने कहा सिबली के आसपास छोटी उम्र की लड़कियां भी थी. उन के खानेपीने का ध्यान रखने के लिए अन्ना के गुर्गे थे जो जबरदस्ती सभी लड़कियों को खाना खिलाते पर सिबली का मन खानेपीने में न लगता, पर सिबली का मन तो आजादी चाहता था इस दलदल से निकलना चाहती थी वह, सिबली लगातार इस कैद से निकलने के बारे में सोचती पर अन्ना के गुर्गों की कैद से निकलना संभव नहीं था.
एक दिन सिबली को अहसास हुआ कि वहां पर उस की जैसी और लड़कियां भी हैं, उन की देखभाल और उन पर निगरानी रखने के लिए विशाखा नाम की एक भद्दी सी दिखने वाली महिला भी है जिसे संस्था की सेक्रेटरी के नाम से जाना जाता?है लड़कियों को जिस्मफरोशी के लिए वहां रखा हुआ?है और बारीबारी उन्हें भी ग्राहकों के पास भेजा जाता है .सिबली कई बार सोचती कि इन लड़कियों से बात करी जाए पर गुर्गों की तैनाती में ऐसा नहीं हो सका. कुछ दिन तो ‘सीप के मोती’ में कोई बड़ी हलचल नहीं हुई .फिर एक दिन अचानक से अन्ना और उस के गुर्गों की गतिविधि तेज हो गई, अन्ना ने आ कर कहा. ‘‘कल यहां हमारे शहर के बड़े उद्योगपति ‘महाराजजी’ आ रहे हैं, विदेश तक उन की दवाइयों और अन्य उत्पादों का बिजनेस फैला हुआ है वे हमारी संस्था का रखरखाव देखेंगे ,याद रहे तुम सब के चेहरे पर खुशी और चमक दिखनी चाहिए और सब को साफसुथरे रूप में रहना होगा, वे महाराजजी बोलते कम हैं अधिकतर मौन में ही रहते है इसलिए उन्हें शिकायत का कोई मौका नहीं मिलना चाहिए… समझ गई न सब ‘‘अन्ना ने सब की तरफ देखते हुए कहा. ‘सीप के मोती’ की सफाई करी जाने लगी और सभी लड़कियों को साफसुथरे कपड़े भी दिए गए वैसे अन्ना दलाल तो था पर कुछ मामलों में उस के काम करने का अंदाज बिलकुल अलग था, वह अपने चंगुल में फसी लड़कियों से धंधा कराता पर उन की कई बातों का ध्यान भी रखता था मसलन उन के शरीर की साफसफाई, उन के खाने पीने का इंतजाम और उन का शरीर सही शेप में होना चाहिए भले ही ऐसा करने के पीछे उसे अपना धंधा सही तरीके से चलाने की नीति थी.
अगले दिन कमरों के बाहर फूलों से सजावट करी गई और रूम फ्रेशनर किया गया, आज ‘सीप के मोती’ को तो पहचानना मुश्किल हो रहा था. दोपहर में महाराजजी का आना हुआ, वे धोती और कुरता पहने हुए थे, उन का चेहरा भी उन के गंजे सिर की चमचमा रहा था, उन के साथ में उन के बौडीगार्ड भी थे, महाराजजी लड़कियों को देख कर मुसकरा रहे थे, और अपने हाथ से हर किसी को एक बंद लिफाफे में कुछ पैसे भेंट के तौर पर दे रहे थे. महाराजजी सिबली के पास पहुंचे, मुसकराती नजरों से उन्होंने उस की आंखों में झांका और फिर अन्ना की तरफ देखा, अन्ना उन का इशारा समझ गया था. कुछ देर बाद महाराजजी सब का अभिवादन कर के चले गए, अन्ना सीधा सिबली के पास आया और बोला. ‘‘सुन… महाराजजी ने अपनी सेवा के लिए तुझे चुना है… समझ गई न… अब अच्छे से तैयार हो जा …अगर महाराजजी को खुश कर दिया तो ढेर सारे पैसे मिलेंगे.’’ खुश हो रहा था अन्ना. सिबली ने अपने दुर्भाग्य को किसी हद तक स्वीकार भी कर लिया था भले ही उस के मन में अब भी यहां से मुक्ति पाने की आशा जीवित थी इसलिए वह भारी मन से तैयार होने लगी. शाम ढल चुकी थी, बीस लड़कियों के बीच में से महाराजजी ने सिबली को अपनी सेवा के लिए पसंद किया था, अन्ना खुद ही गाड़ी चला कर सिबली को महाराजजी की कोठी पर छोड़ आया था.
सिबली कमरे में चुपचाप बैठी हुई थी, कुछ देर बाद महाराजजी कमरे में आए, आज तो उन का पूरा रूप ही बदला हुआ था इस समय वे धोती कुरता की बजाय एक महंगे गाउन में नजर आ रहे थे, महाराजजी सिबली को गहरे जा रहे थे. ‘‘मैं तुम्हें कुछ नहीं करूंगा… लेकिन मैं बहुत थका हुआ हूं… बस तुम पूरी रात मुझ से चिपक कर लेटोगी तो मेरी थमान अपने आप दूर हो जाएगी,’’ महाराजजी ने कहा और झटके से अपना गाउन नीचे गिरा हुआ. महाराजजी ने अपने नंगे बदन पर महिलाओं के अंत: वस्त्र पहने हुए थे वे किसी महिला की तरह ही बरताव लगे और सिबली को सीने से लगा लिया. ‘‘मैं चाहता हूं कि तुम मेरे साथ शराब पियो,’’ एक गिलास सिबली के होंठों से सटाते हुए महाराजजी ने कहा. अभी उन का गिलास पूरा भर भी नहीं पाया था कि उन का मोबाइल बज उठा. ‘‘कितनी बार कहा कि जब मैं आराम कर रहा हूं तो मुझे डिस्टर्ब मत किया करो.’’ ‘‘पर हमारे कारखाने पर एक मीडिया कर्मी ने स्टिंग आपरेशन किया है. जहां उस ने हमारी बिजनेस की आड़ में होने वाले नशीली दवाइयों का धंधा का पर्दाफाश कर दिया है और अब मीडिया वाले आप के घर के बाहर पहुंच चुके हैं.’’ सेक्रेटरी घबराया हुआ बोले जा रहा था. ‘‘ओह… सारे मूड का सत्यानाश कर दिया’’ ये कह कर महाराजजी अपने कपड़े पहन कर बाहर की ओर भागे. सिबली ने भी बाहर देखा, वहां अफरातफरी मची हुई थी, मीडिया वालों ने चारों तरफ से घेर रखा था, उसे लगने लगा था कि उस के पास अच्छा मौका है भागने का, वह नीचे की ओर भागी, महाराजजी अपने आप को संयत रख कर मीडिया वालों को शांत करने में लगा हुआ था. इस अफरातफरी का पूरा फायदा सिबली ने उठाया और सब की नजर से बचती हुई बाहर आ गई बहुत दिन बाद एक ताजी हवा के झोंके ने उस के बदन को छुआ था, वह तेजी से कदम बढ़ा रही थी उसे लगा कि अब वे अन्ना के चंगुल से आजाद हो गई है .पर उस का ये ख्याल गलत साबित हुआ क्योंकि अन्ना ठीक सिबली के सामने खड़ा हुआ था.
‘‘आज तू ने फिर भागने की कोशिश की तू ने कैसे सोच लिया कि मैं तुझ को अकेला छोड़ कर चला जाऊंगा अब इस का नतीजा तुझे भुगतना पड़ेगा,’’ अन्ना ने सिबली को पकड़ कर अपनी गाड़ी में बिठाया और गाड़ी थाने की ओर बढ़ा दी और अपने कान से फोन पर बात करने लगा. ‘‘इंस्पेक्टर साहब… मैं अपने साथ माल ले कर थाने के बाहर खड़ा हूं बाहर आ कर गाड़ी में ही अपनी प्यासबुझा लो फिर मत कहना कि अन्ना ने अपना वादा नहीं निभाया.’’ ‘‘इंस्पेक्टर सिबली को गाड़ी के अंदर रौंद रहा था सिबली के आंसू लगातार आंखों से झर रहे थे और अन्ना बाहर खड़ा हुआ मुसकराए जा रहा था, जब इंस्पेक्टर रमेश के अंदर का तूफान थमा तो अन्ना ने गाड़ी स्टार्ट करी और सिबली को ले कर संकरी गलियों वाली जगह पहुंचा और घसीटता हुआ एक मकान में ले गया कमरे में बैठी हुई एक औरत के पास सिबली को धकेलते हुए बोला. ‘‘अब इस को ले… एकदम नया आइटम है पर मेरे किसी काम का नहीं… वीआईपी लोगों ने इसे चख लिया है और वैसे भी साली ने नाक में दम कर रखा है और मुझे इस की कीमत दे दे.’’ उस औरत ने अन्ना को पैसे दिए और अन्ना वहां से चला गया. कई साल निकल गए पर सिबली यहां से न निकल सकी. चाय खत्म हो चुकी थी, मुमताज भी उठ कर जा चुकी थी. बाहर सड़कों पर कर्फ्यू में ढील दे दी गई है, लोग सड़कों पर आवाजाही कर रहे हैं और कोठे पर भी ग्राहक आने लगे हैं और इन आतेजाते लोगों के साथ सिबली की इस दुनिया के चंगुल से आजाद होने की सारी उम्मीदें खत्म हो गई हैं. अन्ना अक्सर ही यहां आता है किसी न किसी लड़की को साथ में ले कर…, हर एक आती हुई लड़की में सिबली अपनी झलक देखती है पर कुछ कर नहीं पाती सिर्फ आंसू बहा कर रह जाती है, उस की आंखों से आंसू ऐसे झरते है जैसे मोती झर रहे हो… ‘सीप के मोती.’