अप्रैल-मई से लेकर के अब आने वाले अगस्त माह तक आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं आम हो जाती है. पानी बरसात के साथ आकाश से बिजली गिरने की घटनाएं एक सतत प्रक्रिया के तहत होती रहती है. मगर इसके साथ ही जाने कितने लोग इस विद्युत की चपेट में आकर के अकाल मौत के ग्रास बन जाते हैं. मगर छत्तीसगढ़ सहित देश के कुछ आदिवासी राज्यों में आकाशीय बिजली की घटना के बाद मृत शरीर को गोबर में दफन करने का अंधविश्वास पाया जाता है और यह माना जाता है कि गोबर में दफन करने के बाद मृत व्यक्ति जिंदा हो जाते हैं ऐसे ही जाने कितने अंधविश्वासों में आज विज्ञान के युग में भी जब घटनाएं घटित होती है तो स्पष्ट हो जाता है कि हमारा देश अभी भी किस तरह अशिक्षा के अंधेरे में है.
प्रथम घटना
-झारखंड के एक गांव रिसदी में बिजली गिरने से एक व्यक्ति की मौत हो गई. उसके अंतिम संस्कार की बजाय परिजनों ने उसे गोबर का लेप लगाकर के दो दिनों तक घर में रखा.
दूसरी घटना
– छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में एक महिला की बिजली की चपेट में आकर जब मौत हो गई तो उसे गोबर और मूत्र से नहलाया गया और यह बताया गया कि इससे महिला जीवित हो जाएगी मगर ऐसा नहीं हुआ.
तीसरी घटना
– छत्तीसगढ़ के बस्तर में अंधविश्वास के कारण आकाशीय बिजली से जब मवेशी मर गए तो उन्हें गोबर के गड्ढे में दफन कर दिया गया और माना गया कि इससे मवेशी पुनः जीवित हो जाएंगे मगर ऐसा नहीं हुआ.
छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार जैसे कुछ आदिवासी राज्यों में अभी भी अनेक अंधविश्वास अपनी पराकाष्ठा पर है. ऐसे में आदिवासी अंचल में ऐसी घटना दुर्घटना में मृत व्यक्तियों को जिंदा करने का प्रयास किया जाता है. हाल ही में छत्तीसगढ़ के सरगुजा के मनेंद्रगढ़ जिला के सोनबरसा ग्राम में ऐसी घटना घटित हुई जब दो सौतेले भाई आकाशीय बिजली की चपेट में आकर मृत हो गए.
बरसात में बिजली: बचाव के उपाय
बरसात के मौसम में आए दिन आकाशीय बिजली की घटनाएं होती रहती हैं. और इसकी चपेट में आकर लोग और मवेशी मौत का ग्रास बन जाते हैं . दरअसल, इसके लिए सरकार भी सिर्फ कुछ मुआवजा दे कर के खामोश हो जाती है मगर सबसे बड़ी आवश्यकता है आकाशीय बिजली से बचने के लिए उपायों का प्रचार प्रसार. आज हम इस आलेख में अंधविश्वास को बताते हुए यह भी बताने का प्रयास कर रहे हैं कि आकाशीय बिजली से बचाव किस तरह किया जा सकता है. जैसा कि हम जानते हैं कि अगर पानी बरसात का मौसम है और बिजली कड़क रही है तो हमें घर से बाहर ही नहीं निकलना चाहिए और अगर हम घर से बाहर है तो सुरक्षित स्थान को ढूंढ लेना चाहिए और अगर हम कहीं बाहर हैं तो बिजली कड़कने के दरमियान पहले ही ऊंकडु बैठ जाना चाहिए. यही इसका सबसे वैज्ञानिक बचाव का सटीक उपाय है. मगर आमतौर पर लोग पानी बरसात बिजली गिरने की घटनाओं के समय किसी पेड़ की ओट में खड़े हो जाते हैं और आकाशीय बिजली की चपेट में आ जाती है.
छतीसगढ़ के सरगुजा संभाग के मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर जिला में 22 अप्रेल 2023 ग्राम सोनवर्षा में आकाशीय बिजली गिरने की घटना घटित हुई दो चचेरे भाई एक पेड़ के नीचे खड़े हो गए अकाशी बिजली के शिकार बन गए. हमारे संवाददाता को पुलिस अधिकारियों ने बताया मनेन्द्रगढ़ ब्लाक के सोनवर्षा गांव के दो भाइयों आशीष टोप्पो और सियोन टोप्पो की मृत्यु आकाशीय बिजली की चपेट में आने से हो गई थी. दोनों लाशों को जिंदा करने की उम्मीद से दोनों शवों को कई घण्टे तक गोबर में दफन कर दिया गया. लेकिन फिर भी कोई हलचल जब दोनों शवों में नही हुई तो गोबर के कब्र से शवो को निकाला गया. पुलिस जब मौके पर पहुंची तो उस समय भी दोनों भाइयों के शव गोबर में गड़े हुए थे. पुलिस ने समझाइश दी और पंचनामा बनाया. उसके बाद अंतिम संस्कार गाँव मे ही कर दिया गया. गोबर के कब्र में जब शवो को डाला गया तो इस दौरान गांव वाले इस अंधविश्वास को देखने भारी संख्या में जुट गए थे . इस घटना के परिप्रेक्ष्य में पुलिस अधिकारी विवेक शर्मा के मुताबिक- दरअसल, आज भी छत्तीसगढ़ में पुरानी परंपराएं हैं अशिक्षा के कारण कभी-कभी ऐसी घटनाएं हो जाती हैं आज आवश्यकता शिक्षा और जनजागरण की है.
सामाजिक कार्यकर्ता डॉ गुलाब राय पंजवानी के मुताबिक आदिवासी प्रांतों में अभी भी सुदूर ग्रामों में अंधविश्वास के कारण आकाशीय बिजली की घटना के पश्चात परिजन मृत शरीर को गोबर और मूत्र में लपेटते हैं और और माना जाता है कि इससे मृत व्यक्ति जिंदा हो जाएगा मगर अब धीरे-धीरे जागृति आ रही है.