Bollywood : हीरो हीरोइन के ठुमकों पर करोड़ों रुपए की बारिश

कुछ दिन पहले का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें शाहरुख खान को एक शादी समारोह में दुल्‍हा दुल्‍हन के साथ डांस करते देखा जा सकता है.  इसके पहले भी. ऐसा हो चुका है. मशहूर बौलीवुड अभिनेता शाहरुख खान एक शादी में शामिल होने के लिए दुबई गए थे. विवाहस्थल था नामी मेडिनाट जुमैराह होटल, मेजबान थे अहमद हसीम खूरी और मरियम ओथमन, जिन की गिनती खाड़ी के बड़े रईसों में शुमार होती है.

मौका था इन दोनों के बेटे की शादी का, जो इतने धूमधाम से हुई थी कि ऐसा लगा था कि इस में पैसा खर्च नहीं किया गया बल्कि फूंका और बहाया गया है. इस की वजह भी है कि शायद ही खुद अहमद हसीम खूरी को मालूम होगा कि उन के पास कितनी दौलत है.

एक आम पिता की तरह इस खास शख्स की यह ख्वाहिश थी कि बेटे की शादी इतने धूमधाम से हो कि दुनिया याद रखे और ऐसा हुआ भी, जिस में शाहरुख खान का वहां जा कर नाच का तड़का लगाना एक यादगार लम्हा बन गया था.

चूंकि खूरी शाहरुख के अच्छे परिचित हैं, इसलिए यह न सोचें कि वे संबंध निभाने और शिष्टाचारवश इस शादी में शिरकत करने गए थे, बल्कि हकीकत यह कि वह वहां किराए पर नाचने गए थे. आधे घंटे नाचने की कीमत शाहरुख ने 8 करोड़ रुपए वसूली थी और मेजबानों ने खुशीखुशी दी भी थी.

रियल एस्टेट से ले कर एयरलाइंस तक के कारोबार के किंग अहमद हसीम खूरी जो दरजनों छोटीबड़ी कंपनियों के मालिक हैं, के लिए यह वैसी ही बात थी जैसे किसी भेड़ के शरीर से 8-10 बाल झड़ जाना. लेकिन शाहरुख के लिए यह पैसा पूरी तरह से बख्शीश तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन बोनस जरूर था.

यह डील राशिद सैय्यद ने करवाई थी, जो दुबई में शाहरुख के इवेंट आयोजित करवाते हैं. इस डील में भी उन्हें तगड़ा कमीशन मिला था. यह वह दौर था जब शाहरुख खान अपनी बीमारी की वजह से निजी आयोजनों में जाने से परहेज करते थे, पर आधे घंटा ठुमका लगाने के एवज में मिल रही 8 करोड़ की रकम का लालच वह छोड़ नहीं पाए थे. क्योंकि सौदा कतई घाटे का न हो कर तगड़े मुनाफे का था.

ऐसा नहीं है कि शाहरुख देश की शादियों में नाचनेगाने की फीस चार्ज न करते हों. हां, वह कम जरूर होती है. आजकल वह शादियों में शामिल होने के 2 करोड़ लेते हैं और मेजबान अगर उन्हें नचाना भी चाहे तो यह फीस 3 करोड़ हो जाती है.

लेकिन समां ऐसा बंधता है कि लड़की या लड़के वाले के पैसे वसूल हो जाते हैं. शान से शादी करना हमेशा से ही लोगों की फितरत रही है और इस के लिए वे ज्यादा से ज्यादा दिखावा और खर्च करते हैं, जिस का बड़ा हिस्सा मनोरंजन पर खर्च होता है.

करोड़ों के ठुमके

एक दौर था जब अमीरों और जमींदारों के यहां की शादियों में नामी रंडियां, बेड़नियां और तवायफें दूरदूर से नाचने के लिए बुलाई जाती थीं. इन का नाच देखने और मुजरा सुनने के लिए खासी भीड़ इकट्ठी होती थी.

प्रोग्राम के बाद लोग मान जाते थे कि वाकई मेजबान इलाके का सब से बड़ा रईस और दिलदार आदमी है, जिस ने 11 बेड़नियां नचा कर फलां को मात दे दी, जो अपने बेटे की शादी में केवल 5 तवायफें ही ला पाया था.

5 हों या 7 या फिर 11, इन पेशेवर नचनियों को खूब मानसम्मान दिया जाता था और उन की खातिर खुशामद में कोई कमी नहीं रखी जाती थी. इन की फीस भी तब के हिसाब से तौलें तो किसी शाहरुख, सलमान, रितिक रोशन, अक्षय कुमार, कटरीना कैफ, अनुष्का शर्मा, रणवीर सिंह या प्रियंका चोपड़ा से कम नहीं होती थी.

ये सभी फिल्म स्टार शादियों और दूसरे निजी आयोजनों में हिस्सा लेने में अपनी और मेजबान की हैसियत के हिसाब से फीस लेते हैं, जो फिल्मों के अलावा इन की अतिरिक्त आमदनी होती है. हालांकि पैसों के लिए ये अब उद्घाटन के अलावा शपथ ग्रहण समारोहों तक में शामिल होने लगे हैं और विज्ञापनों व ब्रांड प्रमोशन से भी अनापशनाप कमाते हैं. लेकिन शादियों की बात कुछ अलग हटकर है.

वक्त के साथ शादियों के पुराने तौरतरीके बदले तो बेड़नियों और तवायफों की जगह फिल्म स्टार्स ने ले ली. शादियों में खासतौर से इन की मांग ज्यादा होती है, क्योंकि खुशी के इस मौके को लोग यादगार बना लेना चाहते हैं. ऐसे में अगर कोई फिल्मी सितारा वे अफोर्ड कर सकते हैं तो उसे बुलाने से चूकते नहीं.

ये डील सीधे भी होती हैं, पीआर एजेंसी और इवेंट कंपनियों के जरिए भी. और किसी जानपहचान वाले का फायदा भी उठाया जाता है. हालांकि अधिकांश बड़े सितारों ने इस बाबत अपने खुद के भी बिजनैस मैनेजर नियुक्त कर रखे हैं.

शाहरुख खान वक्त की कमी के चलते साल में 3-4 से ज्यादा शादियों में नहीं जाते. इस से ही उन्हें कोई 10 करोड़ की सालाना कमाई हो जाती है. शाहरुख की तरह ही सलमान खान भी साल में 3-4 शादियों में ही शिरकत करते हैं. हां, उन की फीस थोड़ी कम 2 करोड़ रुपए है.

सलमान शादियों में दिल से नाचते हैं और घरातियों और बारातियों को भी खूब नचाते हैं. शाहरुख के बाद सब से ज्यादा मांग उन्हीं की रहती है. आप जान कर हैरान हो सकते हैं कि इन दोनों के पास साल में ऐसे यानी पेड डांस के कोई 200 न्यौते आते हैं, लेकिन ये जाते सिर्फ 3 या 4 में ही हैं.

अक्षय नहीं दिखाते ज्यादा नखरे

जिन्हें शाहरुख या सलमान खान से मंजूरी नहीं मिलती, वे अक्षय कुमार जैसे स्टार की तरफ दौड़ लगा देते हैं जो आसानी से मिल जाते हैं और इन की फीस भी उन से कम होती है. आजकल अक्षय कुमार डेढ़ करोड़ में नाचने को तैयार हो जाते हैं क्योंकि उन का बाजार ठंडा चल रहा है.

अक्षय कुमार की यह खूबी है कि बेगानी शादी में यह दिखाने की पूरी कोशिश करते हैं कि वे वर या वधु पक्ष के बहुत अजीज हैं. अब यह और बात है कि समझने वाले समझ जाते हैं कि वे आए तो किराए पर नाचने हैं.

अक्षय कुमार से भी सस्ते पड़ते हैं रणवीर सिंह, जिन की शादी में नाचने की फीस सिर्फ एक करोड़ रुपए है और केवल शादी में शामिल होना हो यानी नाचना न हो तो वे 50 लाख में भी मुंह दिखाने को तैयार हो जाते हैं.

‘कहो न प्यार है’ फिल्म से रातोंरात स्टार बन बैठे रितिक रोशन शादी में शामिल होने के लिए एक करोड़ फीस चार्ज करते हैं और नाचना भी हो तो इस अमाउंट में 50 लाख रुपए और जुड़ जाते हैं. यानी डेढ़ करोड़ रुपए

कपूर खानदान के रणबीर कपूर कभीकभार ही ऐसे न्यौते स्वीकारते हैं, उन की फीस डेढ़ करोड़ रुपए है.

सस्ती पड़ती हैं एक्ट्रेस

नायकों के मुकाबले शादियों में नचाने को नायिकाएं सस्ती पड़ती हैं जबकि उन में आकर्षण ज्यादा होता है. सब से ज्यादा डिमांड कटरीना कैफ की रहती है, जिन की फीस बड़े नायकों के बराबर ढाई करोड़ रुपए है.

कटरीना को अपनी शादी में नाचते देखने का लुत्फ वही उठा सकता है, जो घंटा आधा घंटा के एवज में यह भारीभरकम रकम खर्च कर सकता हो. हालांकि ऐसे शौकीनों की कमी भी नहीं. कटरीना के बराबर ही मांग प्रियंका चोपड़ा की रहती है. उन की फीस भी ढाई करोड़ है, जिसे अदा कर उन से ठुमके लगवाए जा सकते हैं.

इन दोनों को टक्कर देने वाली करीना कपूर डेढ़ करोड़ में शादी को यादगार बनाने के लिए तैयार हो जाती हैं और नाचती भी दिल से हैं. तय है कपूर खानदान की होने के नाते वे भारतीय समाज और उस की मानसिकता को बारीकी से समझती हैं कि लोग बस इस मौके को जीना चाहते हैं जिस में उन का रोल एक विशिष्ट मेहमान का है.

उन के दादा राजकपूर की हिट फिल्म ‘प्रेम रोग’ में अचला सचदेव नायिका पद्मिनी कोल्हापुरे की शादी में बहैसियत तवायफ ही आई थीं. इस दृश्य के जरिए राजकपूर ने दिखाया था कि ठाकुरों और जमींदारों के यहां शादियों में नाचगाना 7 फेरों से कम अहमियत नहीं रखता और इस पर वे खूब पैसे लुटाते हैं.

रणवीर सिंह की पत्नी दीपिका पादुकोण भी सस्ते में शादी में जाने तैयार हो जाती हैं उन की फीस महज एक करोड़ रुपए है. नामी अभिनेत्रियों में सब से किफायती अनुष्का शर्मा हैं, जो शादी में शामिल होने के 50 लाख और नाचना भी हो तो एक करोड़ रुपए लेती हैं. क्रिकेटर विराट कोहली से शादी करने के बाद भी उन की फीस बढ़ी नहीं है.

वजह कुछ भी हो, शादी को रंगीन और यादगार बनाने के लिए अभिनेत्रियां कम पैसों में मिल जाती हैं. मसलन, सोनाक्षी सिन्हा जो मोलभाव करने पर 25 लाख में भी नाचने को राजी हो जाती हैं, जबकि वह भारीभरकम फीस वाली अभिनेत्रियों से उन्नीस नहीं और उन के मुकाबले जवान और ताजी भी हैं.

युवाओं में उन का खासा क्रेज है. सोनाक्षी से भी कम रेट में उपलब्ध रहती हैं दीया मिर्जा, सेलिना जेटली और गुजरे कल की चर्चित ऐक्ट्रेस प्रीति झिंगयानी और एक वक्त का बड़ा नाम अमीषा पटेल, जिन्होंने रितिक रोशन के साथ ही ‘कहो न प्यार है’ फिल्म से डेब्यू किया था.

इमेज है बड़ा फैक्टर

अपने बजट को ही नहीं बल्कि लोग इन कलाकारों को बुलाते समय अपनी प्रतिष्ठा और उन की इमेज को भी ध्यान में रखते हैं. क्या कोई अरबपति उद्योगपति राखी सावंत को अपने यहां शादी में बुलाएगा, जबकि उस की फीस महज 10 लाख रुपए है? जबाब है बिलकुल नहीं बुलाएगा, क्योंकि राखी की इमेज कैसी है यह सभी जानते हैं.

राखी सावंत को बुलाया तो जाता है और वह हर तरह से नाचती भी हैं लेकिन उन के क्लाइंट आमतौर पर वे नव मध्यमवर्गीय होते हैं जो अपनी धाक समाज में जमाना चाहते हैं.

यही हाल केवल 25 लाख में नाचने वाली पोर्न स्टार सनी लियोनी का है, जिन की क्लाइंटल रेंज उन्हीं की तरह काफी कुछ हट कर है.

राखी और सनी जैसी दरजन भर छोटी अभिनेत्रियों की आमदनी का बड़ा जरिया ये शादिया हैं, जिन में शिरकत करने और नाचने को वे एक पांव पर तैयार रहती हैं. इसी क्लब में मलाइका अरोड़ा भी शामिल हैं, जिन की फीस भी कम 15 लाख है.

हरियाणवी डांसर सपना चौधरी के धमाकेदार डांस और बेबाक अंदाज को तमाम लोग पसंद करते हैं. स्टेज शो के अलावा शादी समारोह में जाने के लिए वह एक लाख रुपए में ही तैयार हो जाती हैं. लेकिन वह 50 प्रतिशत एडवांस लेती हैं.

बड़े नायक और नायिकाएं अपने यहां शादियों में नचवा कर लोग न केवल अपनी रईसी झाड़ लेते हैं बल्कि धाक भी जमा लेते हैं. लेकिन कोई कभी खलनायकों को नहीं बुलाता. कभीकभार शक्ति कपूर शादियों में 10 लाख रुपए में ठुमका लगाने चले जाते हैं पर अब उन की इमेज कामेडियन और चरित्र अभिनेता की ज्यादा बन चुकी है. वैसे भी वह जिंदादिल कलाकार हैं जिस का बाजार और कीमत अब खत्म हो चले हैं.

बदलता दौर बदलते लोग

शादी में हंसीमजाक, नाचगाना न हो तो वह शादी कम एक औपचारिकता ज्यादा लगती है. इसलिए इन में हमेशा कुछ न कुछ नया होता रहता है.

60-70 के दशक में बेड़नियां और तवायफें नचाना उतने ही शान की बात होती थी, जितनी कि आज नामी स्टार्स को नचाना होती है. जरूरत बस जेब में पैसे होने की है. शादियों में नाचने से फिल्मी सितारों को आमदनी के साथसाथ पब्लिसिटी भी मिलती है.

इन के दीगर खर्च और नखरे भी आमतौर पर मेजबान को उठाने पड़ते हैं मसलन हवाई जहाज से आनेजाने का किराया, 5 सितारा होटलों में स्टाफ सहित ठहरने का खर्च और कभीकभी तो कपड़ों तक का भी. बशर्ते मेजबान ने यदि कोई ड्रेस कोड रखा हो तो नहीं तो ये लोग अपनी पसंद की पोशाक पहनते हैं.

शादियों में फिल्मी सितारों का फीस ले कर नाचने और ठुमकने का कोई ज्ञात इतिहास नहीं है, लेकिन इस की शुरुआत का श्रेय उन छोटीबड़ी आर्केस्ट्रा पार्टियों को जाता है, जिन्होंने 80 के दशक से शादियों में गीतसंगीत के स्टेज प्रोग्राम देने शुरू किए थे.

बाद में इन में धीरेधीरे छोटे और फ्लौप कलाकार भी नजर आने लगे. आइडिया चल निकला तो देखते ही देखते नामी सितारों ने इसे धंधा ही बना डाला.

शादियों में इस दौर में महिला संगीत और हल्दी मेहंदी का चलन भी तेजी से समारोहपूर्वक मनाने का बढ़ा था, जिस में रंग इन स्टार्स ने भरना शुरू कर दिया. थीम वेडिंग के रिवाज से भी इन की मांग बढ़ी.

इस के बाद भी यह बाजार बहुत बड़ा नहीं है क्योंकि इन की फीस बहुत ज्यादा है, जिसे कम लोग ही अफोर्ड कर पाते हैं. हां, सपना हर किसी का होता है कि उन के यहां शादी में कोई सलमान, शाहरुख, अक्षय, कटरीना या प्रियंका नाचें, लेकिन यह बहुत महंगा सपना है.

वाकया अब से कोई 8 साल पहले का है. मशहूर बौलीवुड अभिनेता शाहरुख खान एक शादी में शामिल होने के लिए दुबई गए थे. विवाहस्थल था नामी मेडिनाट जुमैराह होटल, मेजबान थे अहमद हसीम खूरी और मरियम ओथमन, जिन की गिनती खाड़ी के बड़े रईसों में शुमार होती है.

मौका था इन दोनों के बेटे की शादी का, जो इतने धूमधाम से हुई थी कि ऐसा लगा था कि इस में पैसा खर्च नहीं किया गया बल्कि फूंका और बहाया गया है. इस की वजह भी है कि शायद ही खुद अहमद हसीम खूरी को मालूम होगा कि उन के पास कितनी दौलत है.

एक आम पिता की तरह इस खास शख्स की यह ख्वाहिश थी कि बेटे की शादी इतने धूमधाम से हो कि दुनिया याद रखे और ऐसा हुआ भी, जिस में शाहरुख खान का वहां जा कर नाच का तड़का लगाना एक यादगार लम्हा बन गया था.

चूंकि खूरी शाहरुख के अच्छे परिचित हैं, इसलिए यह न सोचें कि वे संबंध निभाने और शिष्टाचारवश इस शादी में शिरकत करने गए थे, बल्कि हकीकत यह कि वह वहां किराए पर नाचने गए थे. आधे घंटे नाचने की कीमत शाहरुख ने 8 करोड़ रुपए वसूली थी और मेजबानों ने खुशीखुशी दी भी थी.

रियल एस्टेट से ले कर एयरलाइंस तक के कारोबार के किंग अहमद हसीम खूरी जो दरजनों छोटीबड़ी कंपनियों के मालिक हैं, के लिए यह वैसी ही बात थी जैसे किसी भेड़ के शरीर से 8-10 बाल झड़ जाना. लेकिन शाहरुख के लिए यह पैसा पूरी तरह से बख्शीश तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन बोनस जरूर था.

यह डील राशिद सैय्यद ने करवाई थी, जो दुबई में शाहरुख के इवेंट आयोजित करवाते हैं. इस डील में भी उन्हें तगड़ा कमीशन मिला था. यह वह दौर था जब शाहरुख खान अपनी बीमारी की वजह से निजी आयोजनों में जाने से परहेज करते थे, पर आधे घंटा ठुमका लगाने के एवज में मिल रही 8 करोड़ की रकम का लालच वह छोड़ नहीं पाए थे. क्योंकि सौदा कतई घाटे का न हो कर तगड़े मुनाफे का था.

ऐसा नहीं है कि शाहरुख देश की शादियों में नाचनेगाने की फीस चार्ज न करते हों. हां, वह कम जरूर होती है. आजकल वह शादियों में शामिल होने के 2 करोड़ लेते हैं और मेजबान अगर उन्हें नचाना भी चाहे तो यह फीस 3 करोड़ हो जाती है.

लेकिन समां ऐसा बंधता है कि लड़की या लड़के वाले के पैसे वसूल हो जाते हैं. शान से शादी करना हमेशा से ही लोगों की फितरत रही है और इस के लिए वे ज्यादा से ज्यादा दिखावा और खर्च करते हैं, जिस का बड़ा हिस्सा मनोरंजन पर खर्च होता है.

करोड़ों के ठुमके

एक दौर था जब अमीरों और जमींदारों के यहां की शादियों में नामी रंडियां, बेड़नियां और तवायफें दूरदूर से नाचने के लिए बुलाई जाती थीं. इन का नाच देखने और मुजरा सुनने के लिए खासी भीड़ इकट्ठी होती थी.

प्रोग्राम के बाद लोग मान जाते थे कि वाकई मेजबान इलाके का सब से बड़ा रईस और दिलदार आदमी है, जिस ने 11 बेड़नियां नचा कर फलां को मात दे दी, जो अपने बेटे की शादी में केवल 5 तवायफें ही ला पाया था.

5 हों या 7 या फिर 11, इन पेशेवर नचनियों को खूब मानसम्मान दिया जाता था और उन की खातिर खुशामद में कोई कमी नहीं रखी जाती थी. इन की फीस भी तब के हिसाब से तौलें तो किसी शाहरुख, सलमान, रितिक रोशन, अक्षय कुमार, कटरीना कैफ, अनुष्का शर्मा, रणवीर सिंह या प्रियंका चोपड़ा से कम नहीं होती थी.

ये सभी फिल्म स्टार शादियों और दूसरे निजी आयोजनों में हिस्सा लेने में अपनी और मेजबान की हैसियत के हिसाब से फीस लेते हैं, जो फिल्मों के अलावा इन की अतिरिक्त आमदनी होती है. हालांकि पैसों के लिए ये अब उद्घाटन के अलावा शपथ ग्रहण समारोहों तक में शामिल होने लगे हैं और विज्ञापनों व ब्रांड प्रमोशन से भी अनापशनाप कमाते हैं. लेकिन शादियों की बात कुछ अलग हटकर है.

वक्त के साथ शादियों के पुराने तौरतरीके बदले तो बेड़नियों और तवायफों की जगह फिल्म स्टार्स ने ले ली. शादियों में खासतौर से इन की मांग ज्यादा होती है, क्योंकि खुशी के इस मौके को लोग यादगार बना लेना चाहते हैं. ऐसे में अगर कोई फिल्मी सितारा वे अफोर्ड कर सकते हैं तो उसे बुलाने से चूकते नहीं.

ये डील सीधे भी होती हैं, पीआर एजेंसी और इवेंट कंपनियों के जरिए भी. और किसी जानपहचान वाले का फायदा भी उठाया जाता है. हालांकि अधिकांश बड़े सितारों ने इस बाबत अपने खुद के भी बिजनैस मैनेजर नियुक्त कर रखे हैं.

शाहरुख खान वक्त की कमी के चलते साल में 3-4 से ज्यादा शादियों में नहीं जाते. इस से ही उन्हें कोई 10 करोड़ की सालाना कमाई हो जाती है. शाहरुख की तरह ही सलमान खान भी साल में 3-4 शादियों में ही शिरकत करते हैं. हां, उन की फीस थोड़ी कम 2 करोड़ रुपए है.

सलमान शादियों में दिल से नाचते हैं और घरातियों और बारातियों को भी खूब नचाते हैं. शाहरुख के बाद सब से ज्यादा मांग उन्हीं की रहती है. आप जान कर हैरान हो सकते हैं कि इन दोनों के पास साल में ऐसे यानी पेड डांस के कोई 200 न्यौते आते हैं, लेकिन ये जाते सिर्फ 3 या 4 में ही हैं.

अक्षय नहीं दिखाते ज्यादा नखरे

जिन्हें शाहरुख या सलमान खान से मंजूरी नहीं मिलती, वे अक्षय कुमार जैसे स्टार की तरफ दौड़ लगा देते हैं जो आसानी से मिल जाते हैं और इन की फीस भी उन से कम होती है. आजकल अक्षय कुमार डेढ़ करोड़ में नाचने को तैयार हो जाते हैं क्योंकि उन का बाजार ठंडा चल रहा है.

अक्षय कुमार की यह खूबी है कि बेगानी शादी में यह दिखाने की पूरी कोशिश करते हैं कि वे वर या वधु पक्ष के बहुत अजीज हैं. अब यह और बात है कि समझने वाले समझ जाते हैं कि वे आए तो किराए पर नाचने हैं.

अक्षय कुमार से भी सस्ते पड़ते हैं रणवीर सिंह, जिन की शादी में नाचने की फीस सिर्फ एक करोड़ रुपए है और केवल शादी में शामिल होना हो यानी नाचना न हो तो वे 50 लाख में भी मुंह दिखाने को तैयार हो जाते हैं.

‘कहो न प्यार है’ फिल्म से रातोंरात स्टार बन बैठे रितिक रोशन शादी में शामिल होने के लिए एक करोड़ फीस चार्ज करते हैं और नाचना भी हो तो इस अमाउंट में 50 लाख रुपए और जुड़ जाते हैं. यानी डेढ़ करोड़ रुपए

कपूर खानदान के रणबीर कपूर कभीकभार ही ऐसे न्यौते स्वीकारते हैं, उन की फीस डेढ़ करोड़ रुपए है.

सस्ती पड़ती हैं एक्ट्रेस

नायकों के मुकाबले शादियों में नचाने को नायिकाएं सस्ती पड़ती हैं जबकि उन में आकर्षण ज्यादा होता है. सब से ज्यादा डिमांड कटरीना कैफ की रहती है, जिन की फीस बड़े नायकों के बराबर ढाई करोड़ रुपए है.

कटरीना को अपनी शादी में नाचते देखने का लुत्फ वही उठा सकता है, जो घंटा आधा घंटा के एवज में यह भारीभरकम रकम खर्च कर सकता हो. हालांकि ऐसे शौकीनों की कमी भी नहीं. कटरीना के बराबर ही मांग प्रियंका चोपड़ा की रहती है. उन की फीस भी ढाई करोड़ है, जिसे अदा कर उन से ठुमके लगवाए जा सकते हैं.

इन दोनों को टक्कर देने वाली करीना कपूर डेढ़ करोड़ में शादी को यादगार बनाने के लिए तैयार हो जाती हैं और नाचती भी दिल से हैं. तय है कपूर खानदान की होने के नाते वे भारतीय समाज और उस की मानसिकता को बारीकी से समझती हैं कि लोग बस इस मौके को जीना चाहते हैं जिस में उन का रोल एक विशिष्ट मेहमान का है.

उन के दादा राजकपूर की हिट फिल्म ‘प्रेम रोग’ में अचला सचदेव नायिका पद्मिनी कोल्हापुरे की शादी में बहैसियत तवायफ ही आई थीं. इस दृश्य के जरिए राजकपूर ने दिखाया था कि ठाकुरों और जमींदारों के यहां शादियों में नाचगाना 7 फेरों से कम अहमियत नहीं रखता और इस पर वे खूब पैसे लुटाते हैं.

रणवीर सिंह की पत्नी दीपिका पादुकोण भी सस्ते में शादी में जाने तैयार हो जाती हैं उन की फीस महज एक करोड़ रुपए है. नामी अभिनेत्रियों में सब से किफायती अनुष्का शर्मा हैं, जो शादी में शामिल होने के 50 लाख और नाचना भी हो तो एक करोड़ रुपए लेती हैं. क्रिकेटर विराट कोहली से शादी करने के बाद भी उन की फीस बढ़ी नहीं है.

वजह कुछ भी हो, शादी को रंगीन और यादगार बनाने के लिए अभिनेत्रियां कम पैसों में मिल जाती हैं. मसलन, सोनाक्षी सिन्हा जो मोलभाव करने पर 25 लाख में भी नाचने को राजी हो जाती हैं, जबकि वह भारीभरकम फीस वाली अभिनेत्रियों से उन्नीस नहीं और उन के मुकाबले जवान और ताजी भी हैं.

युवाओं में उन का खासा क्रेज है. सोनाक्षी से भी कम रेट में उपलब्ध रहती हैं दीया मिर्जा, सेलिना जेटली और गुजरे कल की चर्चित ऐक्ट्रेस प्रीति झिंगयानी और एक वक्त का बड़ा नाम अमीषा पटेल, जिन्होंने रितिक रोशन के साथ ही ‘कहो न प्यार है’ फिल्म से डेब्यू किया था.

इमेज है बड़ा फैक्टर

अपने बजट को ही नहीं बल्कि लोग इन कलाकारों को बुलाते समय अपनी प्रतिष्ठा और उन की इमेज को भी ध्यान में रखते हैं. क्या कोई अरबपति उद्योगपति राखी सावंत को अपने यहां शादी में बुलाएगा, जबकि उस की फीस महज 10 लाख रुपए है? जबाब है बिलकुल नहीं बुलाएगा, क्योंकि राखी की इमेज कैसी है यह सभी जानते हैं.

राखी सावंत को बुलाया तो जाता है और वह हर तरह से नाचती भी हैं लेकिन उन के क्लाइंट आमतौर पर वे नव मध्यमवर्गीय होते हैं जो अपनी धाक समाज में जमाना चाहते हैं.

यही हाल केवल 25 लाख में नाचने वाली पोर्न स्टार सनी लियोनी का है, जिन की क्लाइंटल रेंज उन्हीं की तरह काफी कुछ हट कर है.

राखी और सनी जैसी दरजन भर छोटी अभिनेत्रियों की आमदनी का बड़ा जरिया ये शादिया हैं, जिन में शिरकत करने और नाचने को वे एक पांव पर तैयार रहती हैं. इसी क्लब में मलाइका अरोड़ा भी शामिल हैं, जिन की फीस भी कम से कम 15 लाख है.

हरियाणवी डांसर सपना चौधरी के धमाकेदार डांस और बेबाक अंदाज को तमाम लोग पसंद करते हैं. स्टेज शो के अलावा शादी समारोह में जाने के लिए वह एक लाख रुपए में ही तैयार हो जाती हैं. लेकिन वह 50 प्रतिशत एडवांस लेती हैं.

बड़े नायक और नायिकाएं अपने यहां शादियों में नचवा कर लोग न केवल अपनी रईसी झाड़ लेते हैं बल्कि धाक भी जमा लेते हैं. लेकिन कोई कभी खलनायकों को नहीं बुलाता. कभीकभार शक्ति कपूर शादियों में 10 लाख रुपए में ठुमका लगाने चले जाते हैं पर अब उन की इमेज कामेडियन और चरित्र अभिनेता की ज्यादा बन चुकी है. वैसे भी वह जिंदादिल कलाकार हैं जिस का बाजार और कीमत अब खत्म हो चले हैं.

बदलता दौर बदलते लोग

शादी में हंसीमजाक, नाचगाना न हो तो वह शादी कम एक औपचारिकता ज्यादा लगती है. इसलिए इन में हमेशा कुछ न कुछ नया होता रहता है.

60-70 के दशक में बेड़नियां और तवायफें नचाना उतने ही शान की बात होती थी, जितनी कि आज नामी स्टार्स को नचाना होती है. जरूरत बस जेब में पैसे होने की है. शादियों में नाचने से फिल्मी सितारों को आमदनी के साथसाथ पब्लिसिटी भी मिलती है.

इन के दीगर खर्च और नखरे भी आमतौर पर मेजबान को उठाने पड़ते हैं मसलन हवाई जहाज से आनेजाने का किराया, 5 सितारा होटलों में स्टाफ सहित ठहरने का खर्च और कभीकभी तो कपड़ों तक का भी. बशर्ते मेजबान ने यदि कोई ड्रेस कोड रखा हो तो नहीं तो ये लोग अपनी पसंद की पोशाक पहनते हैं.

शादियों में फिल्मी सितारों का फीस ले कर नाचने और ठुमकने का कोई ज्ञात इतिहास नहीं है, लेकिन इस की शुरुआत का श्रेय उन छोटीबड़ी आर्केस्ट्रा पार्टियों को जाता है, जिन्होंने 80 के दशक से शादियों में गीतसंगीत के स्टेज प्रोग्राम देने शुरू किए थे.

बाद में इन में धीरेधीरे छोटे और फ्लौप कलाकार भी नजर आने लगे. आइडिया चल निकला तो देखते ही देखते नामी सितारों ने इसे धंधा ही बना डाला.

शादियों में इस दौर में महिला संगीत और हल्दी मेहंदी का चलन भी तेजी से समारोहपूर्वक मनाने का बढ़ा था, जिस में रंग इन स्टार्स ने भरना शुरू कर दिया. थीम वेडिंग के रिवाज से भी इन की मांग बढ़ी.

इस के बाद भी यह बाजार बहुत बड़ा नहीं है क्योंकि इन की फीस बहुत ज्यादा है, जिसे कम लोग ही अफोर्ड कर पाते हैं. हां, सपना हर किसी का होता है कि उन के यहां शादी में कोई सलमान, शाहरुख, अक्षय, कटरीना या प्रियंका नाचें, लेकिन यह बहुत महंगा सपना है.

शाहरुख, सलमान को टक्कर देते है टीवी के पार्थ, शाहीर जैसे स्मार्ट एक्टर्स

फिल्मी सितारों के चर्चे तो हर जगह होते हैं टीवी से लेकर रिएलटी शो तक लोग फिल्मी हीरों की तारीफ करते नहीं थकते हैं. लोगों में फिल्मस्टार्स को लेकर एक अलग ही क्रेज नजर आता है. लेकिन इनके अलावा कुछ टीवी स्टार्स ऐसे भी हैं, जो हमेशा ही सुर्खियों में रहते हैं और एक्टिंग में सल्लू भाई यानि सलमान, किंग खान यानि शाहरुख से कम नहीं है.

उनकी पौपुलेरिटी भी किसी हीरो से कम नहीं है. उनके चर्चे मीडिया से लेकर फिल्म इंडस्ट्री तक  होती रहती है.  ऐसे कई टीवी स्टार्स हैं जो अपनी स्मार्टनेस और अच्छी एक्टिंग के चलते लोगों के दिलों दिमाग में छा गए हैं और आज इन्हें  टीवी स्क्रीन पर देखने का इनके फैंस को बेसब्री से इंतजार रहता है. आज कुछ ऐसे ही टीवी स्टार्स के बारे में बताएंगे, जो फिल्म एक्टर को भी टक्कर देते हैं . उनके होने से टीवी इंडस्ट्री एक अलग ही मुकाम पर है. इस लिस्ट में सबसे पहला नाम पार्थ समथान का आता है.

गुड लुकिंग पार्थ समथान

पार्थ समथान टीवी की दुनिया का एक ऐसा नाम है जो अपनी स्मार्टनेस को लेकर खूब सुर्खियां बटोरते हैं. वे एक ऐसे एक्टर हैं जो फिल्मी सितारों को भी अपनी एक्टिंग के जरिए टक्कर देते हैं . इनको पार्थ लघाटे के नाम से भी जाना जाता है. उन्होंने अपने अभिनय करियर की शुरुआत गुमराह सीरियल से की थी. जिसके बाद उन्होंने कई सीरियल्स में काम किया और उसके बाद कसौटी जिंदगी सीरियल में अनुराग बसु के कैरेक्टर में नजर आएं

पार्थ जितना अपनी एक्टिंग को लेकर फेमस हुए उतना ही अपनी स्मार्टनेस को लेकर खूब सुर्खियों में रहे. पार्थ कि फैनफलोइंग भी अच्छी है. उनके अफेयर्स के चर्चे भी खूब रहे. जी हां, बौलीवुड एक्ट्रेस दिशा पाटनी और पार्थ समथान की अफेयर्स के चर्चे भी खूब हुए हैं. स्ट्रगल के दिनों में दोनों एक दूसरे के करीब आए थे. अच्छे दोस्त बनें,  इनका अफेयर 3 सालों तक चला. इसके बाद दोनों अलग हो गए. इसके अलावा भी पार्थ का नाम अरिहा अग्रवाल, नीति टेलर, स्कारलेट रोज, एरिका फर्नांडिस के साथ भी जुड़ चुका है.

 शहीर शेख

शहीर शेख एक एक्टर और मौडल हैं जो अपनी एक्टिंग के दम पर इंडस्ट्री पर छाए हुए हैं. उनकी दमदार एक्टिंग महाभारत सीरियल में देखने को भी मिली. शहीर शेख  टीवी इंडस्ट्री के काफी पौपुलर एक्टर हैं . जो अपनी एक्टिंग के अलावा अपनी डेटिंग को लेकर भी खूब सुर्खियों में रहे. शेख ने रुचिका कपूर से साल 2020 में कोर्ट मैरिज की. रुचिका बालाजी मोशन पिक्चर्स की क्रिएटिव हेड हैं.

शेख ने अपनी टेलिविज़न करियर की शुरुआत क्या मस्त है लाइफ नामक शो के साथ किया. शाहीर शेख अपनी एक्टिंग के अलावा अपने स्टाइल के लिए भी काफी मशहूर है. शहीर शेख की खास बात ये है कि वे एक्टर बनने से पहले एक वकील हुआ करते थे. हाल में वे स्टार प्लस के शो ये रिश्ते हैं प्यार के में अबीर का किरदार निभा रहे हैं . शहीर शेख टीवी के हैंडसम हंक बौय है. शहीर को टीवी में पहचान शो नव्या से मिली थी. शहीर की पर्दे पर हिना खान के साथ जोड़ी काफी फेमस हुई. गाना बारिश बन जाना में दोनों को एकसाथ काफी पसंद किया गया था. शहीर शेख इंडियन शो ही नहीं, इंडोनेशियन शो भी कर चुके है.

शहीर के पास लग्जरी गाड़ियों का एक बड़ा कलेक्शन है. शहीर की गाड़ियों के कलेक्शन में बीएमडब्ल्यू, स्कोडा और मर्सिडीज बेंज शामिल है. शर शेख को लेकर यह भी रिपोर्ट है कि उनकी खुद की एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी है. इस कंपनी से शहीर तगड़ी कमाई करते हैं.

 धीरज धूपर

धीरज धूपर ने कई सीरियल में काम किया है. धीरज दिल्ली में ही जन्मे हैं . धीरज धूपर ससुराल सिमर का सीरियल से फेमस हुए.  इसके बाद उनकी एक्टिंग का हुनर कुंडली भाग्य में देखने को मिली. धीरज ने कलर्स टीवी से कैरियर की शुरुआत की. धीरज धूपर ने विन्नी अरोड़ा से शादी की है और उनका एक बेटा है जिसका नाम माहिर है. धीरज अपनी एक्टिंग से कई बड़े फिल्म स्टार को टक्कर देते दिखते हैं, साथ ही अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर खूब सुर्खियों में रहे. एक्टर धीरज धूपर अपने स्टाइल को लेकर भी काफी चर्चा में है उनकी फैनफोलोइंग भी अच्छी है.

मोहसिन खान

मोहसिन खान एक इंडियन टीवी के एक्टर है, जो इस लिस्ट में शामिल है कि वे फिल्मी एक्टर को एक्टिंग में टक्कर देने में एक्सपर्ट है. ये पेशे से एक डायरेक्टर भी हैं . इन्होंने स्टार प्लस के निशा और उसके कजन से अपनी एक्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद यह लाइफओके के ड्रीम गर्ल और स्टार प्लस के ये रिश्ता क्या कहलाता है में भी एक्टिंग कर चुके हैं.

शुरु में एक्टर का नाम वसीम रखा गया था, पर इनके पिता ने इनके नाम को बदल कर मोहसीन खान कर दिया. इनका गुजरात से गहरा नाता है. इनका जन्म गुजरात में हुआ था. इनकी एक्टिंग ने सबका दिल जीत लिया था. मोहसिन खान का स्टाइल और फैशन काफी चर्चा में रहता है वे हमेशा ट्रेंडी रहना पसंद करते है. इनका यही अंदाज में लोगों को खूब पसंद आता है. इनका नाम ये रिश्ता क्या कहलाता है कि एक्ट्रैस शिवांगी जोशी के साथ जुड़ चुका है 

फिल्मों में न होते तो क्रिकेट की दुनिया के होते बड़े खिलाड़ी

ऐसे कई सितारे है जो फिल्मों में आने से पहले क्रिकेट की दुनिया से जुड़े थे. इस फील्ड में नाम कमाया भी और कमाना भी चाहते थे. लेकिन शायद उन सितारों की किस्मत में ही कुछ और था. वे खेल छोड़ एक्टिंग में ही लग गए. तो ऐसे कई सितारे है. जिनका जिक्र करना जरूरी है.

 

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अंगद बेदी

अंगद बेदी को आपने टाइगर जिंदा मूवी में जरूर देखा होगा. अंगद बेदी कभी पूर्व क्रिकेट कप्तान बिशन सिंह बेटी के बेटे है जो कभी अंडर 19 टीम खेला करते थे. इसके बाद उन्होंने एक्टिंग की तरफ अपना मन बना लिया. नेहा धूपिया उनकी पत्नी हैं.

हार्डी संधु

एक्टर और सिंगर हार्डी संधु अंडर 19 टीम में क्रिकेट खेल चुके हैं. वो शिखर धवन के साथ मैदान में उतर चुके हैं. खास बात ये है कि ट्रेनर मदन लाल से ली थी.

करण वाही

टीवी के फेवरेट होस्ट में से एक करण वाही भी दिल्ली की अंडर 19 टीम से खेल चुके हैं.

समर्थ जुरेल

बिग बौस में हाल ही में नजर आए समर्थ जुरेल भी क्रिकेटर रहे हैं. उन्होंने प्रोफेशनल स्टेट लेवल क्रिकेट खेला है.

सलिल अंकोला

एक्टिंग की दुनिया में आने से पहले लंबे चौड़े कद के सलिल अंकोला भी क्रिकेटर थे. सलिल अंकोला ने 20 वनडे और टेस्ट मैच भी खेले हुए हैं.

आयुष्मान खुराना

आयुष्मान खुराना फिल्मों में आने से पहले एक VJ थे ये सभी जानते हैं. लेकिन ये कम ही लोग जानते हैं कि आयुष्मान खुराना एक क्रिकेटर भी रहे हैं. वो अंडर 19 टीम में क्रिकेट खेल चुके हैं.

साकिब सलीम

हुमा कुरैशी के भाई साकिब सलीम भी क्रिकेटर रह चुके हैं. फिल्म 83 में वो मोहिंदर अमरनाथ के रोल में दिखाई दिए थे. वो दिल्ली और जम्मूकश्मीर की टीम से क्रिकेट खेल चुके हैं.

बड़े सितारों पर भारी पड़ रहे क्षेत्रीय कलाकार

चुनाव के समय भले ही फिल्मी सितारों के नखरे उतर जाते हो पर चुनाव जीतने के बाद यह जनता से और भी दूर हो जाते है. यह राजनीति को नाटक ही समझते है. यही वजह है कि लंबे समय से राजनीति में रहने के बाद भी फिल्मी सितारें राजनीति में अपना प्रभाव छोडने में पफेल रहे है. इस कारण ही बहुत सारे नखरे दिखाने के बाद भी चुनाव के परिणाम इनके खिलापफ ही रहते है. फिल्मी सितारों के नखरों को लेकर मिसाले दी जाती है. फिल्मी शूटिंग के समय इनके नखरे देखने वाले होते है. खाना, पानी, ध्ूप, रहना, सभी कुछ यह अपने हिसाब से चाहते है. समय पर शूंिटग में ना आने की शिकायतें तो आम रहती है. हीरो हो या हीरोइन सभी एक से बढकर एक होते है. इनके नखरे फिल्मों को प्रचार करते समय भी कम नहीं होते.

कई बार फोटो खीचतें समय पब्लिक के बीच सेल्पफी लेते समय झगडा तक हो चुका है. यह जहां जाते है वहां पहले से ही सुरक्षा की ऐसी व्यवस्था रहती है कि पब्लिक का वहां पहंुचना मुश्किल हो जाता है. कहावत कही जाती है कि ‘बडे हीरो बन रहे है’. नखरा दिखाने वाले इन हीरो हीरोइन के नखरे चुनाव प्रचार करते समय उतर जाते है.

चुनाव में खुद का प्रचार कर रहे पिफल्मों के यह सितारे तरह तरह के काम करते नजर आने लगते है. खेत में पफसल काटने से लेकर गांव गरीब के घर खाना खाने, पानी पीने और उनके ध्ूल में सने गंदे दिख रहे बच्चो को गोद में उठाने तक का काम करना पडता है. सेल्पफी के जमाने में हर कोई फिल्मी सितारों के संग सेल्पफी लेने से चूकना नहीं चाहता है. चुनाव प्रचार में यह सितारें अपने नखरे नहीं दिखा पाते है.

नेताओं के द्वंद में पफंसे कलाकार:

लोकसभा चुनाव में सबसे बडी लडाई अमेठी लोकसभा चुनाव क्षेत्रा में लडी जा रही है जहां एक लाख वोट से 2014 का लोकसभा चुनाव हार चुकी अभिनेत्राी स्मृति ईरानी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांध्ी के खिलापफ चुनाव लड कर जीत का दावा कर रही है. देखने में यह लडाई भले ही राहुल-स्मृति के बीच लग रही हो पर अमेठी की लडाई में स्मृति ईरानी के पीछे केन्द्र की सरकार, भाजपा और खुद प्रधनमंत्राी नरेंद्र मोदी खडे है.

स्मृति ईरानी के महत्व को इस बात से ही समझा जा सकता है कि लोकसभा चुनाव में हार के बाद भी उनको केन्द्र सरकार में मंत्राी की कुर्सी दी गई. उनकी गिनती भाजपा के कददावर नेताओं में होती है. महाभारत कह लडाई में भी विरोध्यिो पर वार करने के लिये शिखंडी का प्रयोग किया गया था. इस लडाई को अहम मानकर कांग्रेस ने भी अपनी रणनीति में पफेरबदल करते हुये राहुल गांध्ी को दक्षिण भारत की ‘वायनाड’ सीट से भी चुनाव लडाने का पफैसला किया है. फिल्मी सितारों ने चुनाव में बडे बडे नेताओं को हराया है तो बडे नेताओं से चुनाव हारे भी है.

चुनाव में फिल्मी सितारों प्रभाव प्रचार प्रसार तक रहता है. इस चुनाव में बडे सितारों से अध्कि नये सितारे मैदान में है.भाजपा ने राहुल गांध्ी की तरह से सपा नेता अखिलेश यादव के खिलापफ भी भोजपुरी अभिनेता दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ का आजमगढ से चुनाव मैदान से उतारा है. दिनेश लाल यादव पहले समाजवादी पार्टी का प्रचार कर चुके है. सपा के कार्यकाल में अखिलेश यादव ने दिनेश लाल को ‘यश भारती’ सम्मान भी दिया था. भाजपा और अखिलेश के द्वंद में दिनेश लाल यादव पफंस गये है.

भोजपुरी कलाकारों का बढता प्रभाव:

राजनीति में फिल्मी सितारों का चुनाव लडना नई बात नहीं है. हिंदी पिफल्मों के बडे कलाकार कई बार चुनाव लडे और बडेबडे नेताओं को हराने में सपफलता भी हासिल की है. 2019 के लोकसभा चुनाव में बडे फिल्मी सितारों के मुकाबले भोजपुरी, साउथ और बंगाला पिफल्मों के कलाकार ज्यादा संख्या में चुनाव लड रहे है. दक्षिण भारत की राजनीति में फिल्मी कलाकारों प्रभाव ज्यादा रहा है. तेलगू पिफल्मों के एनटी रामाराव, तमिल पिफल्मों के एमजी रामचन्द्रन और जयललिता तो प्रदेश की मुख्यमंत्राी तक बने. रजनीकांत, कमलहासन जैसे नाम भी ऐसे ही सपफल कलाकारों में रहा है.

हिंदी पिफल्मों के कलाकार यहां तक नहीं सपफल हो पाये. भोजपुरी सिनेमा के गायक और नायक रहे मनोज तिवारी सांसद और भारतीय जनता पार्टी दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष बनने में सपफल रहे. अब भोजपुरी के दूसरे कलाकार दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’, रवि किशन, पवन सिंह भी राजनीति में अपना दमखम दिखाने के लिये कमर कस चुके है. मनोज तिवारी ने समाजवादी पार्टी का हाथ पकड कर राजनीति में कदम रखा था. 2009 में मनोज तिवारी समाजवादी पार्टी से गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ के खिलापफ चुनाव लडा और हार गये थे. 2014 के लोकसभा चुनाव में वह भाजपा के टिकट पर दिल्ली से चुनाव लडे.

दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ भी पहले कई बार समाजवादी पार्टी का प्रचार कर चुके है. 2012 के विधन सभा और 2014 के लोकसभा चुनाव में वह सपा के लोगों का पूर्वाचल में प्रचार कर चुके है. इस बार वह भाजपा के टिकट पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव के खिलापफ चुनाव लड रहे है. अभिनेता रविकिशन 2014 में कांग्रेस के टिकट पर जौनपुर से चुनाव लड चुके है. अब वह भी भाजपा से अपनी किस्मत आजमाना चाहते है. हिदीं पिफल्मों के कलाकारों में 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने पिफल्म अभिनेत्राी उर्मिला मातोंडकर, भाजपा से हेमा मालिनी, स्मृति ईरानी और जयाप्रदा चुनाव लड रही है.

ममता ने लगाया फिल्मी सितारों पर दांव:

पश्चिम बंगाल में अब तक लोकसभा चुनावों में ऐसे फिल्मी सितारों को टिकट देने का चलन नहीं था. लेफ्रट के जमाने में मंझे हुए राजनीतिज्ञ ही चुनाव मैदान में उतरते थे. लेकिन ममता ने एक नई परंपरा शुरू करते हुए वर्ष 2009 के चुनावों में शताब्दी राय और तापस पाल जैसे उस समय के दो सबसे व्यस्त सितारों को मैदान में उतारा और वह दोनों अपने ग्लैमर और तृणमूल की लहर की वजह से आसानी से जीत गए. भाजपा से सिंगर बाबुल सुप्रियो चुनाव जीते.

ममता बनर्जी ने 2014 में उन्होंने पांच सितारों को टिकट दिए. इनमें शताब्दी व पाल भी शामिल थे. वह पांचों जीत गए. अबकी भी ममता ने पांच सितारों को ही मैदान में उतारा है. पफर्क यह है कि पिछली बार जीती संध्या राय और तापस पाल की जगह अबकी बांग्ला पिफल्मों की दो शीर्ष अभिनेत्रियों मिमी चक्रवर्ती और नुसरत जहां को चुनाव मैदान में उतारा गया है.

मिमी चक्रवर्ती को कोलकाता की प्रतिष्ठित जादवपुर सीट से मैदान में उतारा है. यह वही सीट है जहां वर्ष 1984 के लोकसभा चुनाव में सीपीएम के वरिष्ठ नेता सोमनाथ चटर्जी को पटखनी देकर ममता बनर्जी राजनीति के राष्ट्रीय राजनीति में उभरी थीं. बांग्लादेश की सीमा से लगी बशीरहाट सीट पर अभिनेत्राी नुसरत जहां को उम्मीदवार बनाया गया है. ममता ने ग्लैमर के सहारे यहां भाजपा के प्रभाव को बेअसर करने की रणनीति बनाई है. ममता ने बांग्ला पिफल्मों के हीरो दीपक अध्किारी उफपर्फ देब, शताब्दी राय और मुनमुन सेन को भी टिकट दिया है. इनमें से मुनमुन सेन को बांकुड़ा की बजाय आसनसोल में बीजेपी के संभावित उम्मीदवार बाबुल सुप्रियो के खिलापफ मैदान में उतारा गया है.

पुराना शौक है अभिनेताओं का राजनीति:

80 के दशक से ही फिल्मी सितारों ने लोकसभा चुनावों की दुनिया में कदम रखना शुरू कर दिया था. इनके चयन के पीछे इनकी जीतने की क्षमता को अहम माना गया. पिफल्मों से राजनीति में आये लोगों में कोंगारा जगैया ऐसे पहले अभिनेता थे जिन्होंने लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की. तेलूगू अभिनेता जगैया 1967 में अंगोले से सांसद बने. उन्होंने 80 हजार वोट से जीत हासिल की थी. अभिनेता अमिताभ बच्चन ने इलाहाबाद में 1984 में लोकदल के हेमवती नंदन बहुगुणा को 1 लाख 87 हजार वोट से हराया था. 1984 में उत्तर पश्चिमी बाम्बे से दत्त ने चुनाव लड़ा और राम जेठमलानी को मात दी. उन्होंने जेठमलानी से दोगुने वोट हासिल किए थे. किसी भी अभिनेता ने इस संख्या की बराबरी नहीं की है. वैजयंती माला ने कांग्रेस 1984 में मद्रास दक्षिण से जीत हासिल की थी. बालकवि बैरागी, कांग्रेस से 1984 में मध्य प्रदेश के मंदसौर से जीत हासिल की. इससे पहले उन्होंने 1968 में मध्य प्रदेश विधनसभा चुनाव में जन संघ पार्टी के सुंदरलाल पतवा को परास्त किया था.

रामायण की सीता अभिनेत्राी दीपिका चिखलिया ने भाजपा से 1991 में बड़ौदा से जीत हासिल की थी. गुजराती पिफल्मों के स्टार और रामायण के रावण अरविंद त्रिवेदी ने 1991 में साबरकांठा से जीत हासिल की थी. सुपरस्टार राजेश खन्ना को कांग्रेस ने 1991 में दिल्ली से अपना उम्मीदवार बनाया लेकिन वह लाल कृष्ण आडवाणी से हार गए. पिफर उसी सीट पर 1992 में उपचुनाव हुए इन चुनावों में उन्होंने शत्राुध्न सिन्हा को हराकर लोकसभा की सीट हासिल की.

अभिनेत्राी स्मृति ईरानी ने 2003 में भाजपा की सदस्यता ली थी. आज वह केंद्रीय मंत्राी हैं. परेश रावल अहमदाबाद ईस्ट से भाजपा के सांसद थें. हेमा मालिनी ने भाजपा के टिकट पर मथुरा सीट से जीत हासिल की थी. वह अभी होने जा रहे लोकसभा चुनाव में मथुरा से ही भाजपा की प्रत्याशी हैं. अभिनेता ध्र्मेंद्र ने 2004 में भाजपा के टिकट पर राजस्थान के बीकानेर निर्वाचन क्षेत्रा से लोकसभा का चुनाव जीता था अभिनेता गोविंदा ने कांग्रेस के टिकट पर 2004 के आम चुनाव में मुंबई नार्थ सीट से जीत हासिल की थी. समाजवादी पार्टी की नेता जयाप्रदा 2004 से 2014 तक उत्तर प्रदेश के रामपुर से सांसद रहीं. अब वह भाजपा से रामपुर से चुनाव लड रही है. शत्राुघन सिन्हा लंबे समय से भाजपा के सांसद रहे और केंद्रीय मंत्राी भी रह चुके हैं. भाजपा से नाराजगी के चलते इस बार पार्टी ने उनका बिहार की पटना साहिब सीट से टिकट काट दिया है. इस सीट से वह दो बार 2009 और 2014 में जीत हासिल कर चुके हैं. विनोद खन्ना ने पंजाब के गुरदासपुर संसदीय क्षेत्रा से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा. यहां उन्होंने चार बार 1998, 1999. 2004, 2014 में जीत हासिल की. उन्हें 2009 में इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा था. वह दो-दो मंत्रालय में राज्यमंत्राी भी रह चुके हैं.

अभिनेता राज बब्बर ने पहले समाजवादी पार्टी और पिफर कांग्रेस का हाथ थामा. वह तीन बार लोकसभा के लिए चुने गए और दो बार राज्यसभा सदस्य रहे. वर्तमान में वह उत्तर प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष हैं. इस बार वह उत्तर प्रदेश के पफतेहपुर सीकरी से कांग्रेस से लोकसभा चुनाव लड रहे है.आंध््र प्रदेश में चुनावों के मद्देनजर राजनीतिक दलों के भाग्य को चमकाने के लिए फिल्मी सितारों की माँग बढ़ती जा रही है. अभिनेता चिरंजीवी ने हाल ही में ‘प्रजा राज्यम्य नामक राजनीतिक दल की शुरुआत की. चिरंजीवी के साथ उनकी पार्टी के लिए उनके अभिनेता भाई पवन कल्याण और नागेन्द्र बाबू काम कर रहे हैं. नागेन्द्र प्रमुख पिफल्म निर्माता हैं. तेदेपा यानि तेलगूदेशम पार्टी की महिला शाखा का नेतृत्व अभिनेत्राी आरके रोजा कर रही हैं. रोजा आंध््र प्रदेश के साथ-साथ तमिलनाडु में भी लोकप्रिय हैं.

राजनीति को समझते है नाटक:

राजनीति में फिल्मी सितारों का प्रभाव नया नहीं है. कुछ कलाकारों को छोड दे तो ज्यादातर लोग राजनीति को नाटक ही समझते है. यही वजह है कि लोकसभा और राज्य सभा में इनकी उपस्थित बेहद कम रहती है. सांसद निध् िका शतप्रतिशत उपयोग भी यह नहीं कर पाते है. पक्ष और विपक्ष किसी भी तरह से बहस मे अपनी राय नहीं रखते है. सुनील दत्त और गोबिदा जैसे तमाम उदाहरण है जो अपनी राजनीति का लाभ जनता को नहीं दे पाते है. चुनाव के समय भले ही यह जनता के बेहद करीब रहते हो पर चुनाव जीतने के बाद इनका कोई लगाव नहीं रहता है. इस वजह से ही फिल्मी सितारे कभी राजनीति में सपफल नहीं हो पाते है.

सितारों के आकर्षण को भुनाना चाहते है नेता:

फिल्मी कलाकारों का प्रभाव जनता में होता है. इनका अपना एक आकर्षण होता है. यह लोगों को अपने से जोड लेते है. इनके जितने की संभावना ज्यादा होती है. मीडिया में भी इनका आकर्षण होता है. इसके साथ ही साथ चुनाव में होने वाले खर्च में भी यह अच्छा पैसा खर्च करने की हालत में होते है. ऐसे में पार्टी को एक साथ बहुत से लाभ हो जाते है. हिंदी फिल्मी कलाकार अब राजनीति में नहीं आना चाहते. 2019 के लोकसभा चुनाव में कोई भी ऐसा बडा नेता चुनाव नहीं लड रहा जो पहली बार चुनाव लड रहा हो. नये चुनाव लडने वाले

कलाकारों में क्षेत्रिय पिफल्मो के कलाकार सबसे अध्कि है. ऐसे कलाकारों का अपना फिल्मी कैरियर बहुत दिनों तक चलने वाला नहीं है ऐसे में वह समय रहते राजनीति क्षेत्रा में जाकर अपना भविष्य संवार लेना चाहते है. उत्तर प्रदेश के पूर्वाचल में भोजपुरी पिफल्मों का अध्कि प्रभाव है इस कारण भोजपुरी पिफल्मों के कई कलाकार चुनाव मैदान में है. भाजपा को लगता है कि लोकसभा चुनाव में पार्टी को होने वाले नुकसान से यह कलाकार बचा सकते है. वैसे तो भाजपा भारतीय संस्कृति का बचाव करते हुये भोजपुरी पिफल्मों को अश्लील मानती थी पर अब चुनाव के समय वह भोजपुरी पिफल्मों को टिकट दे रही है. उत्तर प्रदेश के अलावा फिल्मी

कलाकारों का सबसे ज्यादा प्रभाव पश्चिम बंगाल में देखने को मिल रहा है जहां ममता बनर्जी की पार्टी कई फिल्मी कलाकारों को चुनाव मैदान में उतार चुकी है. चुनाव लडने वाले कलाकार सदन में कितनी संख्या में पहुंचते है यह देखने वाली बात होगी.

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