Bollywood Interview : शराब की पूरी बोतल अकेले पी जाती हैं गोविंदा की पत्नी

Bollywood Interview : आज के समय में शराब का सेवन करना कोई बड़ी बात नहीं है. शराब को इन दिनों सोशल ड्रिंक माना जाता है और आज की जनरेशन वैसे भी सोशल होने के लिए इन सब चीजों का सहारा लेती है. एक समय था जब सिर्फ लड़के ही शराब पीते थे, लेकिन अब ऐसा समय आ गया है कि लड़कियां भी लड़कों के साथ कदम से कदम मिला कर चलती हैं. और तो और वे शराब के साथसाथ सिगरेट भी पीती हैं.

हम ने कई बार देखा और सुना है कि बौलीवुड में कई पार्टीज होती हैं जिन में कई ऐक्टर्स और ऐक्ट्रैसेस शराब, सिगरेट और न जाने कौनकौन से नशे करते हैं. इसी के चलते हाल ही में बौलीवुड के मशहूर ऐक्टर गोविंदा (Govinda) की पत्नी सुनीता आहूजा (Sunita Ahuja) का एक इंटरव्यू सामने आया है जिस में उन्होंने बताया कि उन्हें शराब पीना बेहद पसंद है और कई बार तो वे अकेले ही पूरी बोतल पी जाती हैं.

जी हां, कुछ दिनों पहले बौलीवुड ऐक्टर गोविंदा (Govinda) की पत्नी सुनीता आहूजा (Sunita Ahuja) ने एक इंटरव्यू में बताया कि उन्हें शराब पीना बहुत पसंद है, लेकिन वे हर रोज शराब नहीं पीती हैं, बल्कि वे उस दिन शराब पीती हैं जब वे अधिक खुश होती हैं. इसी के साथ ही सुनीता ने शराब का अपना फेवरेट ब्रैंड भी बताया. उन का फेवरेट ब्रैंड है ब्लू लेबल (Blue Label). उन्होंने कहा कि, ‘मैं सिर्फ संडे के दिन ही शराब पीती हूं, क्योंकि उस दिन मेरा चीट डे होता है’.

जब गोविंदा (Govinda) की पत्नी सुनीता आहूजा (Sunita Ahuja) से जब पूछा गया कि वे अपना जन्मदिन कैसे सैलिब्रेट करना पसंद करती हैं तो उन्होंने बताया कि वे अपना जन्मदिन अकेले सैलिब्रेट करना पसंद करती हैं.

उन्होंने बताया, “मैं ने पूरी जिंदगी अपने बच्चों की देखभाल में निकाल दी, लेकिन अब वे बड़े हो गए हैं इसलिए अब मैं खुद के साथ समय बिताना पसंद करती हूं. मैं अपने हर जन्मदिन पर अकेले ही घर से निकलती हूं और कभी मंदिर तो कभी गुरुद्वारा जाती हूं और जैसे ही रात के 8 बजते हैं तो बोतल खोल लेती हूं.”

आखिरकार जो भी हो, शराब का सेवन हमारे स्वास्थय और समाज के लिए काफी हानीकारक है को जितना हो सके हमें शराब, सिगरेट और अन्य सभी हानीकारक पदार्थों से दूर रहना चाहिए.

Social Problem : हर जगह पसरा नशा

Society Problem : बात चाहे शराब की हो या फिर स्मैक और गांजे की, सब से बड़ी चिंताजनक बात यह है कि बड़े तो दूर बच्चे भी अब नशे की लत में जकड़ते जा रहे हैं. इन में स्कूली बच्चे भी शामिल हैं. किशोर उम्र के बच्चे गलत संगत के चलते बिगड़ रहे हैं और नशा कर रहे हैं.

नशे की लत लगने से जहां एक ओर नौजवान व बच्चों की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर उन का भविष्य भी अंधकारमय हो रहा है.

स्मैक और गांजे का सेवन आम हो गया है. इन से शरीर का नाश ही नहीं होता है, बल्कि इन की लत को पूरा करने के लिए बहुत से बच्चे जुर्म के दलदल में फंस रहे हैं.

पुलिस के अब तक के ऐक्शन में यह सचाई सामने आई है कि गांजा और स्मैक पीने वालों की बढ़ती तादाद के चलते इस का गैरकानूनी कारोबार तेजी से पनपा है. यह नशा केबिन, ठेले और दुकानों पर आसानी से मिल रहा है. इन के खरीदार बड़े ही नहीं, बल्कि बच्चे भी खूब हैं.

हाल ही में भीलवाड़ा पुलिस के हाथ लगे बच्चे भी गांजा और स्मैक के आदी नजर आए. इज्जत को धक्का न लगे, इसलिए परिवार ने भी पुलिस अफसरों से गुजारिश कर के उन की कार्यवाही से पल्ला झाड़ लिया.

निशाने पर कोटा और सीकर के छात्र भी

देशभर से कोटा और सीकर शहर में तालीम के लिए आए छात्र ड्रग्स माफिया का सौफ्ट टारगेट बन रहे हैं. ड्रग कैरियर पहलेपहल बच्चों के रोजमर्रा के कामों में मदद कर के उन का भरोसा जीतते हैं, फिर पढ़ाई में एकाग्रता बढ़ाने की ‘गोली’ देने के बहाने उन्हें ड्रग्स से जोड़ देते हैं. पहले कुछ दिन में एक पुडि़या या गोली से बात शुरू होती है, फिर धीरेधीरे लत लग जाती है.

ड्रग्स सप्लाई करने वालों ने कोचिंग और होस्टल वाले इलाकों के आसपास अपने ठिकाने बना रखे हैं, जहां से एक फोन करने पर ड्रग्स सप्लाई की जाती है. कोटा व सीकर में अलगअलग इलाकों में एमडी, गांजा, स्मैक और चरस के अलगअलग कोडवर्ड भी चलन में हैं.

‘पुडि़या’, ‘माल’, ‘बंशी’, ‘पीपी’, ‘टिकट’, ‘बच्चा’, ‘ट्यूब’, ‘पन्नी’, ‘डब्बा’ जैसे कोडवर्ड में नशे का कारोबार होता है. यहां 200 से 2,000 रुपए की कीमत पर गलीगली में नशा बिक रहा है. शहर में रोजाना 40 से
50 लाख रुपए का नशा बिकता है.

ड्रग्स के सौदागर छात्रों को होम डिलीवरी भी कर रहे हैं. बुकिंग सोशल मीडिया पर होती है और बिना नंबर की बाइक से ड्रग्स सप्लाई की जाती है.

प्राइवेट पार्ट में नशे का इंजैक्शन

नशे ने गांव से शहर तक नौजवानों को इस कदर अपने आगोश में ले लिया है कि नौजवान नशे के इंजैक्शन लगा कर अपनी जिंदगी को बरबाद कर रहे हैं. हैरानी की बात यह है कि जब हाथपैर की नसें इंजैक्शन लगाने के काबिल नहीं रहती हैं, तो वे अपने प्राइवेट पार्ट पर भी इंजैक्शन लगाने लगते हैं और कुछ महीनों या कुछ साल नशा करने के बाद बहुत से तो दम तोड़ देते हैं.

बीते कुछ ही महीनों में राजस्थान के अलगअलग इलाकों से 2 दर्जन से ज्यादा नौजवानों की मौत की ऐसी ही खबरें सामने आई हैं. ये नौजवान सुनसान जगहों पर जा कर नशे का इंजैक्शन लगाते हैं और फिर ओवरडोज से वहीं दम तोड़ देते हैं.

8 जनवरी, 2025 को जयपुर के चाकसू कसबे के एक सूखे तालाब में एक नौजवान की लाश मिली थी, जिस के नशे की ओवरडोज से मौत होने की बात सामने आई है.

पिछले कुछ महीनों में देहात इलाकों में नशे का चलन खतरनाक ढंग से बढ़ा है. नौजवान समूह में झाडियों व सुनसान जगह जा कर नशा कर रहे हैं.

जो नौजवान नशे के आदी हो चुके हैं, उन में ज्यादातर की उम्र 30 साल से कम है. ये नौजवान नशे को स्टेटस सिंबल बना रहे हैं और फिर इस मकड़जाल में फंसते जा रहे हैं. जिसे एक बार नशे की लत लग जाती है, वह फिर नशा करने के लिए आपराधिक वारदातों को अंजाम देता है.

ये नशेड़ी कृषि यंत्रों, कबाड़ की दुकानों, धार्मिक स्थलों को भी निशाना बनाते हैं. नशे की ललक पूरी करने के लिए वे अपने घर का सामान तक भी चोरी कर के बेच देते हैं.

स्मैक के बढ़ते मामलों पर ऐक्सपर्ट लोगों का मानना है कि यह ऐसा नशा है, जिस से मुंह से बदबू नहीं आती. ऐसे में परिवार के दूसरे सदस्य को इस का पता नहीं चल पाता. जब नशे की लत पड़ जाती है, तो वे घर में छोटीबड़ी चोरियां करने लगते हैं.

जब तक उन की हरकतों का पता परिवार वालों को चलता है, तब तक वे नशे के पूरी तरह आदी हो चुके होते हैं और अब तो नौजवानों के साथ ही औरतें और लड़कियां भी नशा कर रही हैं. यह बड़ी चिंता की बात है.

बच्चों में नशे के लक्षण

डाक्टरों के मुताबिक, जिन बच्चों को गांजे और दूसरे नशे की लत पड़ जाती है, उन के बरताव में बदलाव होता है. वे अनिद्रा के शिकार होने लगते हैं, आंखों के नीचे काले धब्बे पड़ जाते हैं, वे पढ़ाई में दिलचस्पी लेना बंद कर देते हैं. इस के साथ घर से चोरी और झूठ का सहारा तक लेते हैं.

इस के समाधान के लिए आने वाली नौजवान पीढ़ी को नशामुक्ति अभियान से जोड़ना जरूरी है. स्कूलों में बच्चों के साथ काउंसिलिंग कर के उन को नशे के गलत नतीजों के बारे में समयसमय पर बताना जरूरी है.

इस के तहत बच्चों को नशे का प्रकार, शारीरिक नुकसान, गलत संगति और बुरे असर के बारे में अच्छी तरह से बताना जरूरी है. इस के अलावा परिवार वालों के साथ टीचर भी बच्चों पर नजर रखें.

दिक्कत यह है कि लोग इस समस्या को छोटा समझ कर अनदेखा कर देते हैं. पुलिस प्रशासन भी ढीला पड़ जाता है. यही वजह है कि नशे का दानव दिनोंदिन अपने पैर पसार रहा है.

आखिर कैसे सेक्स लाइफ को प्रभावित करती है शराब, पढ़े खबर

मशहूर नाटककार शेक्सपियर ने कहा है कि शराब कामेच्छा तो जगाती है, पर काम को बिगाड़ती भी है. यह बात सौ फीसदी सच है. अगर लंबे समय तक शराब का सेवन किया जाए तो उत्तेजना में कमी आ जाती है. यही नहीं और भी कई तरह की परेशानियां शराब के कारण हो जाती हैं.

इस बारे में सेक्सोलौजिस्ट डाक्टर बीर सिंह का कहना है, ‘‘शराब सेक्स के लिए जहर है. यह बात और है कि शराब पी लेने के बाद चिंता थोड़ी कम हो जाती है और शराब पीने वाला ज्यादा आत्मविश्वास से सहवास कर पाता है. लेकिन कोई व्यक्ति लंबे समय तक शराब का सेवन करता रहे तो वह नामर्दी तक का शिकार हो सकता है.’’

आइए, जानें कि शराब किस तरह से सेक्स के लिए हानिकारक है:

छवि का खराब होना

सुहागरात से पहले शराब का सेवन करने से जीवनसाथी की नजर में छवि खराब होती है. ऐसे में यह भी संभव है कि वह अपने जीवनसाथी का विश्वास पहली ही रात को खो दें. सुहागरात नए रिश्ते की शुरुआत की रात होती है. इस मौके पर अपने जीवनसाथी के साथ प्रेमपूर्वक व्यवहार करें. उसे समझें और खुद को भी उसे समझने का मौका दें. आप के शराब पी कर आने पर वह आप के बारे में अच्छा नहीं सोच पाएगी.

स्पर्म काउंट कम होने की संभावना

शराब के अधिक सेवन और जरूरत से ज्यादा तनाव लेने से पुरुषों के स्पर्म काउंट कम होने की संभावना भी रहती है. हाल ही में एक रिसर्च से पता चला है कि लगातार शराब के सेवन से शुक्राणुओं पर बुरा असर पड़ता है. जितनी अधिक शराब का सेवन उतनी ही खराब क्वालिटी का वीर्य. शराब के दुष्प्रभाव से हारमोन का संतुलन भी बिगड़ता है, जिस से शुक्राणुओं पर बुरा असर पड़ता है.

नशा उतरने पर अफसोस होता है

शराब के सेवन के बाद आप अपने होश में नहीं रहते हैं और कुछ ऐसा कर जाते हैं, जिस के बारे में आप ने सोचा नहीं होता. नशे में आप को वह महिला भी आकर्षक नजर आती है जिसे आप होश में होने पर पसंद नहीं करते. नशे में आप उस के साथ काफी आगे तक बढ़ जाते हैं. लेकिन जब नशा उतरता है तो पता चलता है कि आप से क्या हो गया, क्योंकि तब आप को वह उतनी आकर्षक नहीं लगती जितनी कि नशे में लग रही थी. तब आप को अफसोस होता है कि आप ने ऐसा क्यों किया.

परफौर्मैंस गिराती है

शराब के नशे में नियंत्रण खो देना आम बात है. खासकर जब 1 या 2 पैग ज्यादा ले लिए जाएं. लेकिन जब आप बिस्तर में पहुंचते हैं तो आप को लगता है कि काश कम पी होती, क्योंकि आप होश में नहीं होते और खुद पर नियंत्रण नहीं रख पाते. इस का असर आप की परफौर्मैंस पर पड़ता है. शायद इसी वजह के चलते शैक्सपीयर ने कहा है कि शराब डिजायर बढ़ाती है पर परफौर्मैंस गिराती है.

खतरे से भरी सेक्स लाइफ

शराब के असर से लोग अकसर अविवेकपूर्ण सेक्स में लिप्त हो जाते हैं. इस का परिणाम सेक्स संक्रमित रोग होना, गर्भ ठहरना और पुराने रिश्तों के टूटने में हो सकता है. इस के अलावा और भी कई तरह की बीमारियां हो जाती हैं. महिलाओं में शराब की वजह से मासिकधर्म की दिक्कतें शुरू हो जाती हैं. हारमोन संतुलन भी बिगड़ जाता है, जिस का असर सेक्स लाइफ पर पड़ता है. शराब के सेवन से लिवर खराब हो जाता है, पाचनतंत्र पर असर पड़ता है, कैंसर की संभावना बढ़ जाती है. अधिक मात्रा में शराब का सेवन दिल को कमजोर करता है, क्योंकि शराब पीने के बाद रक्तसंचार बढ़ जाता है जिस कारण दिल ज्यादा तेजी से धड़कता है.

नशे की हालत में भूल

नशे की हालत में अकसर गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करना भूल जाना आम बात है, क्योंकि आप अपने होश में नहीं होते. आप में सही और गलत के बीच फर्क करने की क्षमता नहीं होती. फिर जब सुबह आंख खुलती है और नशा उतर गया होता है तब एहसास होता है कि हम गलती कर बैठे. लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है और उस गलती का खमियाजा भुगतना पड़ता है.

गर्भावस्था के लिए हानिकारक

जब आप गर्भवती हो जाएं तो आप का शराब से दूर रहना आवश्यक है, क्योंकि यह एक कटु सत्य है कि अगर मां शराब पी रही है तो बच्चा भी शराब पी रहा है. मां के द्वारा पी गई शराब बच्चे के रक्तप्रवाह का हिस्सा बन जाती है. इस का प्रभाव शिशु के मानसिक विकास पर भी पड़ता है. अधिक शराब के सेवन से शिशु के शरीर का आकार कम हो सकता है.

उत्तेजना में कमी आती है

अधिक शराब पीने से लिंग की उत्तेजना में कमी आ जाती है. इसी तरह यदि महिला ने भी शराब पी हो, तो उस के लिए भी चरम सुख तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है.

सेक्स का मजा किरकिरा हो जाता है

सेक्स क्रिया को ऐंजौय करने और मिलन का समय बढ़ाने के लिए जरूरी है कि आप शराब या अन्य नशीले पदार्थ का सेवन न करें, क्योंकि नशे में आप को जल्दी नींद आ सकती है, जिस से सेक्स का मजा किरकिरा हो सकता है.

कुछ भी करने को मजबूर कर देती है

नशे की लत लोगों को कुछ भी करने को मजबूर कर देती है. नशे के लिए लोग अच्छे और बुरे में फर्क को भूल जाते हैं. जब शराब की लत लगती है तो वे इस के लिए कुछ भी करने से गुरेज नहीं करते. महिलाएं पैसे के लिए अपना शरीर बेचने तक को तैयार हो जाती हैं.

आस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में अस्मत के एक ऐसे लुटेरे का मामला सामने आया, जो शराब और सिगरेट देने के एवज में लड़कियों की इज्जत लूटता था. यह व्यक्ति फ्री में शराब और सिगरेट देने के एवज में लड़कियों से शारीरिक संबंध बनाता था. मन भर जाने पर उन से किनारा कर लेता था. पर उधर लड़कियों को नशा करने की लत लग गई होती थी. तब वे अपनी इस लत को पूरा करने के लिए अपनी मरजी से उस के साथ सेक्स करने के लिए तैयार हो जाती थीं. सिडनी की एक जिला अदालत में उस व्यक्ति पर सेक्स, बलात्कार और नशे का लालच देने जैसे कई मामलों में केस चल रहे हैं.

क्या आप पेनकिलर एडिक्टेड हैं तो पढ़ें ये खबर

आज की भागतीदौड़ती जिंदगी में हमारे पास आराम करने का बिलकुल भी समय नहीं है. ऐसे में भीषण दर्द की वजह से हमें बैठना पड़े तो उस से बड़ी मुसीबत कोई नहीं लगती है. कोई भी दर्द से लड़ने के लिए न तो अपनी एनर्जी लगाना चाहता है और न ही समय. इसलिए पेनकिलर टैबलेट खाना बहुत आसान विकल्प लगता है. बाजार में हर तरह के दर्द जैसे बदनदर्द, सिरदर्द, पेटदर्द आदि के लिए कई तरह के पेनकिलर मौजूद हैं.

अलगअलग तरह के पेनकिलर शरीर के विभिन्न दर्दों के लिए काम करते हैं और वह भी इतने बेहतर ढंग से कि कुछ ही मिनटों में दर्द गायब हो जाता है और व्यक्ति फिर से काम करने को तैयार हो जाता है.

शरीर में हलका सा दर्द होते ही हम एक पेनकिलर मुंह में डाल लेते हैं. इस से होता यह है कि शरीर की दर्द से लड़ने की क्षमता घट जाती है और हम शरीर को दर्द से स्वयं लड़ने देने के बजाय उसे यह काम करने के लिए पेनकिलर्स का मुहताज बना देते हैं. काम को सरल बनाने के लिए तरीकों का इस्तेमाल करना मानव प्रवृत्ति है और ईजी पेनकिलर एडिक्शन उसी प्रवृत्ति का परिणाम है.

क्या है पेनकिलर एडिक्शन

पेनकिलर ऐसी दवाइयां हैं जिन का इस्तेमाल मैडिकल कंडीशंस जैसे माइग्रेन, आर्थ्राइटिस, पीठदर्द, कमरदर्द, कंधे में दर्द आदि से अस्थायी तौर पर छुटकारा पाने के लिए किया जाता है. पेनकिलर बनाने में मार्फिन जैसे नारकोटिक्स, नौनस्टेरौइडल एंटी इन्फ्लेमेटरी ड्रग्स और एसेटेमिनोफेन जैसे नौननारकोटिक्स कैमिकल का इस्तेमाल होता है. पेनकिलर एडिक्शन तब होता है जब जिसे ये पेनकिलर दिए गए हों और वह शारीरिकतौर पर उन का आदी हो जाए.

इस एडिक्शन के कितने बुरे प्रभाव हो सकते हैं, यह बात हमारे दिमाग में जब चाहे मुंह में पेनकिलर टैबलेट्स डालते हुए आती ही नहीं है. अन्य एडिक्शन की तरह इस के भी साइड इफैक्ट्स समान ही होते हैं. कई बार दर्द न होने पर भी इस के एडिक्ट पेनकिलर खाने लगते हैं. इन्हें खाने वालों को तो लंबे समय तक पता ही नहीं चलता है कि वे इस के शिकार हो गए हैं. उन का मनोवैज्ञानिक स्तर अस्तव्यस्त हो जाता है. इस एडिक्शन से बाहर आने के लिए उन्हें चिकित्सीय मदद लेनी पड़ती है.

साइड इफैक्ट्स

पेनकिलर्स में सेडेटिव इफैक्ट्स होते हैं जिस की वजह से हमेशा नींद आने का एहसास बना रहता है. पेनकिलर लेने वालों में कब्ज की शिकायत अकसर देखी गई है. पेट में दर्द, चक्कर आना, डायरिया और उलटी इन्हें लेने वालों में आम देखी जाती है. इस के अतिरिक्त भारीपन महसूस होने के कारण सिरदर्द और पेट में दर्द रहने लगता है. मूड स्ंिवग्स और थकावट इन में आम बात हो जाती है. साथ ही, कार्डियोवैस्कुलर और रैस्पिरेट्री गतिविधियों पर भी असर होता है, हार्टबीट व ब्लडप्रैशर में तेजी से उतारचढ़ाव तक ऐसे मरीजों में देखा गया है. पेनकिलर एडिक्शन लिवर पर भी असर डालता है और इन का अधिक मात्रा में सेवन करने से जोखिम और बढ़ जाता है.

मिचली आना, उलटी होना, नींद आना, मुंह सूखना, आंखों की पुतली का सिकुड़ जाना, रक्तचाप का अचानक कम हो जाना, कौंसटिपेशन होना दर्दनिवारक दवाइयों के सेवन से होने वाले कुछ आम साइड इफैक्ट्स हैं. इस के अलावा खुजली होना, हाइपोथर्मिया, मांसपेशियों में तनाव जैसे साइड इफैक्ट्स भी पेनकिलर के सेवन से होते हैं.

फोर्टिस अस्पताल, वसंत कुंज, नई दिल्ली के कंसल्टैंट फिजिशियन डा. विवेक नांगिया के अनुसार, ‘‘अकसर मरीज हमारे पास यह शिकायत ले कर  आते हैं कि उन की किडनी ठीक ढंग से कार्य नहीं कर रही है. जब हम विस्तृत जानकारी लेते हैं तो पता चलता है कि मरीज एनएसएआईडी नौन स्टीरौयड एंटी इंफ्लेमेटरी ड्रग्स गु्रप की दवाइयां लंबे समय से ले रहा है.

‘‘न केवल किडनी फेलियर, बल्कि मरीज अल्सर या पेट में ब्लीडिंग की शिकायत ले कर भी हमारे पास आते हैं, जो अत्यधिक मात्रा में पेनकिलर लेने की वजह से होती है. पेनकिलर लेना ऐसे में एकदम बंद कर देना चाहिए. पैरासिटामोल जैसी सुरक्षित दवाइयां बिना डाक्टर की सलाह के ली जा सकती हैं, पर बहुत कम समय के लिए.’’

अकसर महिलाएं पीरियड्स के दिनों में भी दर्द से बचने के लिए पेनकिलर लेती हैं. हालांकि इस से राहत महसूस होती है पर इस का अधिक मात्रा में सेवन करने से एसिडिटी, गैसट्राइटिस, पेट में अल्सर आदि की समस्याएं हो सकती हैं. इस के अलावा, अगर पेनकिलर खाने से दर्द से राहत मिलती है तो भी चिकित्सकों की राय लें. अगर पेनकिलर्स का उपयोग गलत ढंग से किया जाए तो उस से दर्द और बढ़ सकता है. इसलिए दर्द कम करने के लिए अगर पेनकिलर ले रहे हों तो यह भी याद रखें कि इस से दर्द बढ़ भी सकता है.

आखिर शराब क्यों है खराब, पढ़ें खबर

शराब न केवल स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती है बल्कि यह अपराध को भी बढ़ावा देने का एक प्रमुख कारण है. शराब पीने के बाद व्यक्ति का दिल और दिमाग अच्छे और बुरे में फर्क करना भूल जाता है. शराब की वजह से व्यक्ति अपनी सुधबुध खो बैठता है. ऐसे में वह अपने से बड़ों से अभद्रता से बात करने में भी नहीं हिचकता.

शराब की लत की वजह

अकसर शौकिया तौर पर शराब पीने की शुरुआत होती है जो धीरेधीरे उन की आवश्यकता बन जाती है. शराब की लत का एक बड़ा कारण घरेलू माहौल भी है, क्योंकि जब घर का कोई बड़ा सदस्य घर के दूसरे सदस्यों व बच्चों के सामने खुलेआम शराब पीता है या पी कर आता है तो अनुभव लेने की इच्छा के चलते पत्नी, बच्चे व घर के अन्य सदस्य भी शराब पीने के आदी हो सकते हैं.

शराब की लत लगने का एक कारण गलत संगत भी है. अगर व्यक्ति शराब पीने वाले साथियों के साथ ज्यादा समय बिताता है तो उसे शराब की लत पड़ सकती है. तमाम लोग शराब को अपना सोशल स्टेटस मानते हैं.

शराब की लत लगने की एक बड़ी वजह निराशा, असफलता व हताशा को भी माना जाता है, क्योंकि अकसर लोग इन चीजों को भुलाने के लिए शराब का सहारा लेते हैं जो बाद में बरबादी का कारण भी बनता है.

पढ़ाई व कैरियर

किशोरों व युवाओं में नशे की लत दिनोदिन बढ़ती जा रही है. इस कारण शराब उन की पढ़ाई व कैरियर के लिए बाधा बन जाती है.

सामाजिक व आर्थिक नुकसान

शराबी व्यक्ति की समाज में इज्जत नहीं होती, शराब की लत के चलते परिवार में सदैव आर्थिक तंगी बनी रहती है, जिस वजह से परिवार के सदस्यों के साथ मारपीट आम बात हो जाती है. शराब की जरूरतों को पूरा करने के लिए व्यक्ति अपनी स्थायी जमा पूंजी भी दांव पर लगा देता है, जिस से बच्चों की पढ़ाई व कैरियर भी प्रभावित होता है.

स्वास्थ्य का दुश्मन

स्वास्थ्य के लिए शराब जहर की तरह है जो व्यक्ति को धीरेधीरे मौत की तरफ ले जाती है. मानसिक व नशा रोग विशेषज्ञ डा. मलिक मोहम्मद अकमलुद्दीन के अनुसार शराब में पाया जाने वाला अलकोहल शरीर के कई अंगों पर बुरा असर डालता है, जिस की वजह से 200 से भी अधिक बीमारियां होने का खतरा बना रहता है.

अत्यधिक शराब पीने से शरीर में विटामिन और अन्य जरूरी तत्त्वों की कमी हो जाती है. शराब का लगातार प्रयोग पित्त के संक्रमण को बढ़ाता है, जिस से ब्रैस्ट और आंत का कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है.

शराब में पाया जाने वाला इथाइल अल्कोहल लिवर सिरोसिस की समस्या को जन्म देता है जो बड़ी मुश्किल से खत्म होने वाली बीमारी है. इथाइल अलकोहल की वजह से पाचन क्रिया गड़बड़ा जाती है, जिस से लिवर बढ़ जाता है और ऐसी अवस्था में भी व्यक्ति अगर पीना जारी रखता है तो अल्कोहल हैपेटाइटिस नाम की बीमारी लग जाती है.

सैक्स पर असर

जिला अस्पताल बस्ती के चिकित्सक डा. बी के वर्मा के अनुसार शराब सैक्स के लिए जहर है. लोग सैक्स संबंधों का अधिक मजा लेने के चलते यह सोच कर शराब पीते हैं कि वे लंबे समय तक आत्मविश्वास के साथ सहवास कर पाएंगे, लेकिन लगातार शराब के सेवन के चलते प्राइवेट पार्ट में तनाव आना कम हो जाता है, जिस का नतीजा नामर्दी के रूप में दिखता है. कामेच्छा की कमी के साथ ही महिलाओं की माहवारी अनियमित हो जाती है.

सड़क दुर्घटना का कारण

अकसर सड़क दुर्घटना का सब से बड़ा कारण शराब पी कर गाड़ी चलाना होता है, क्योंकि शराब पीने के बाद गाड़ी ड्राइव करने वाले का दिमाग उस के वश में नहीं रहता और ड्राइव करने वाला व्यक्ति गाड़ी से नियंत्रण खो देता है और दुर्घटना हो जाती है.

अपराध को बढ़ावा

शराब का नशा दुनिया भर में होने वाले अपराधों की सब से बड़ी वजह माना जाता है. अकसर शराबी व्यक्ति नशे में अपने होशोहवास खो कर ही अपराध को अंजाम देता है.

ऐसे पाएं छुटकारा

शराब की लत का शिकार व्यक्ति इस से होने वाली हानियों को देखते हुए अकसर शराब को छोड़ने की कोशिश करता है, लेकिन प्रभावी कदम की जानकारी न होने की वजह से वह शराब व नशे से दूरी नहीं बना पाता है. यहां दिए उपायों को अपना कर व्यक्ति शराब जैसी बुरी लत से छुटकारा पा सकता है :

– अगर आप शराब की लत के शिकार हैं और इस से दूरी बनाना चाहते हैं तो इस को छोड़ने के लिए खास तिथि का चयन करें. यह तिथि आप की सालगिरह वगैरा हो सकती है. छोड़ने से पहले इस की जानकारी अपने सभी जानने वालों को जरूर दें.

– अगर आप का बच्चा शराब का शिकार है तो मातापिता को चाहिए कि उस की गतिविधियों पर नजर रखें और समय रहते किसी नशामुक्ति केंद्र ले जाएं और मानसिक रोग विशेषज्ञ से संपर्क जरूर करें.

– ऐसी जगहों पर जाने से बचें जहां शराब की दुकानें या शराब पीने वाले लोग मौजूद हों, क्योंकि ऐसी अवस्था में फिर से आप की शराब पीने की इच्छा जाग सकती है.

– कमजोरी, उदासी या अकेलापन महसूस होने की दशा में घबराएं नहीं बल्कि अपने भरोसेमंद व्यक्ति के साथ अपने अनुभवों को बांटें और कठिनाइयों से उबरने की कोशिश करें.

– शराब छोड़ने के लिए आप इस बात को जरूर सोचें कि आप ने शराब की वजह से क्या खोया है और किस तरह की क्षति पहुंची है. इस से न केवल आप शराब से दूरी बना सकते हैं बल्कि खराब हुए संबंधों को पुन: तरोताजा भी कर सकते हैं.

– शराब छोड़ने से उत्पन्न परेशानियों से निबटने के लिए किसी अच्छे चिकित्सक या मानसिक रोग विशेषज्ञ की सलाह लेना न भूलें.

शराबी बाप और जवान बेटियां

निहाल सिंह की उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में अच्छीखासी दुकान चल रही थी, जिस से उस के परिवार का खर्चा आसानी से निकल रहा था. लेकिन 2 साल पहले दोस्तों के चलते उसे शराब की ऐसी लत लगी कि कारोबार चौपट हो गया. निहाल सिंह के शराब पीने की लत दिनोंदिन बढ़ती जा रही थी, जिस की वजह से उस के घर में खाने के भी लाले पड़ गए. उस की पत्नी जब भी शराब छोड़ने की बात कहती, तो वह उसे मारनेपीटने लगता था. ऐसे में उस की बेटियां सहमी सी अपनी मां को पिटते हुए देखती थीं.

आखिरकार निहाल सिंह की बेटियां पिता की शराब की लत के चलते काम की तलाश में रहने लगीं. लेकिन वे जहां भी जातीं, तो उन्हें हवस की नजरों से ही देखा जाता. लड़कियों ने घर पर ही कागज के लिफाफे बना कर बेचने का काम शुरू कर दिया, लेकिन निहाल सिंह बेटियों की इस कमाई को भी छीन कर शराब पीने में उड़ा देता था.

एक दिन निहाल सिंह अपने कुछ शराबी दोस्तों के साथ महफिल जमाए बैठा था कि उस के शराबी दोस्तों की नजर उस की जवान होती बेटियों पर पड़ गई. अपनी शराब की लत के चलते निहाल सिंह अपने दोस्तों से काफी रुपए उधार ले चुका था. जब उन्होंने अपने रुपए मांगने शुरू किए, तो वह बोला कि उस के पास पैसे तो नहीं हैं. इस पर दोस्तों ने सख्ती से रुपए मांगे और यह भी कहा कि वे आगे से उस की शराब की जरूरत पूरी नहीं कर पाएंगे.

निहाल सिंह शराब के नशे का इतना आदी हो चुका था कि उस ने अपने दोस्तों से गिड़गिड़ाते हुए कहा कि वह उस की शराब की जरूरत पूरी करते रहें. उस के दोस्तों ने निहाल सिंह की मजबूरी का फायदा उठाते हुए बेटियों से पहले छेड़छाड़ की और फिर निहाल सिंह की नजर बचा कर उन को छेड़ना शुरू कर दिया.

बेटियों ने बाप से शिकायत की, तो उस ने उन्हें चुप करा दिया कि वे उस के दोस्त ही तो हैं.

इस के बाद तो निहाल सिंह की कम उम्र की बेटियां उस के शराबी दोस्तों की शिकार होती रहीं. यह बात तब खुली, जब निहाल सिंह की बड़ी बेटी ने बाप के शराबी दोस्तों से तंग आ कर फांसीं लगा कर अपनी जान दे दी.

इस मामले में पुलिसिया पूछताछ के दौरान यह पता चला कि निहाल सिंह की शराब की लत का फायदा उठा कर उस के शराबी दोस्त महीनों से उस की बेटियों को अपनी हवस का शिकार बनाते आ रहे थे.

पुलिस ने निहाल सिंह और उस के दोस्तों को इस मामले में गुनाहगार मानते हुए सलाखों के पीछे डाल दिया, जबकि निहाल सिंह को अपनी इस करनी पर कोई पछतावा नहीं था.

ज्यादातर मामलों में शराबी बाप के चलते उस की जवान होती बेटियों को किसी न किसी तरह से ज्यादती का शिकार होना पड़ता है.

बाप की शराब की लत के चलते उन की पढ़ाईलिखाई और सामाजिक सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाती है. ऐसी हालत में ज्यादातर लड़कियां चुपचाप सबकुछ सहती रहती हैं और जो नहीं सह पाती हैं, वे या तो घर छोड़ कर गलत धंधे में उतर जाती हैं या खुदकुशी का रास्ता अख्तियार कर लेती हैं.

शराब है दुश्मन

शराब दिलोदिमाग के सोचने की ताकत को खत्म कर देती है. जैसेजैसे कोई शख्स शराब का आदी होता जाता है, वह अपनी नौकरीकारोबार से हाथ धोने लगता है. एक समय ऐसा भी आता है, जब शराब की लत के चलते उस का सबकुछ चौपट हो चुका होता है.

पढ़ाईलिखाई का सपना संजोने वाली लड़कियों के ख्वाब पिता की इस बुरी लत के चलते धरे के धरे रह जाते हैं और उन्हें बीच में ही अपनी पढ़ाई छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ता है. इस की वजह से वे न केवल कुंठा का शिकार हो जाती हैं, बल्कि तमाम मजबूरियों के चलते कई तरह के अपराधों में भी शामिल हो जाती हैं.

शराबी बाप के चलते जवान होती बेटियों के सामने जो सब से बड़ी समस्या उभर कर आती है, वह है उन की शादी.

ऐसी हालत में या तो उन्हें भाग कर शादी करनी पड़ती है या फिर शराब की जरूरतों को पूरा करने के लिए पिता बेटी को पैसों के लालच के चलते उस से उम्र में काफी बड़े शख्स के साथ शादी कर देता है.

देह धंधे को मजबूर

बाप की शराब की लत के चलते अगर सब से ज्यादा खतरा किसी को होता है, वह है उस की जवान होती बेटियां, क्योंकि बाप की शराब की लत परिवार की माली हालत को खस्ताहाल बना देती है. इस वजह से परिवार में भूखों मरने की नौबत तक आ जाती है, जिस से उबरने व पेट की भूख मिटाने के लिए जवान बेटियां खुद की इज्जत बेचने को मजबूर हो जाती हैं.

इस तरह के जितने भी मामले अभी तक सामने आए हैं, उन में यह पाया गया है कि जो लड़कियां देह धंधे में आईं, उन में से ज्यादातर की वजह पिता के शराब पीने की लत रही है. इस हालत में छोटे भाईबहनों की अच्छी पढ़ाईलिखाई और पेट की भूख मिटाने के लिए उन के पास यह गलत काम करने के सिवा कोई दूसरा चारा नहीं था.

दिल्ली के रहने वाले सुशील खन्ना पिछले कई सालों से नशे व शराब के खिलाफ मुहिम चला कर जागरूकता फैला रहे हैं. उन का कहना है कि शराब हर तरीके से पतन की तरफ ले जाती है. इस का जो सब से ज्यादा बुरा असर देखा गया है, वह है शराबी बाप की जवान होती बेटियों पर, क्योंकि बाप की शराब की लत के चलते इन की पढ़ाईलिखाई, शादीब्याह में रुकावट तो आती ही है, साथ ही इन की इज्जत पर हर समय खतरा मंडराता रहता है.

ऐसे कई मामले सामने आते रहते हैं, जिस में किसी जवान लड़की ने अपने शराबी बाप की ज्यादतियों के चलते खुदकुशी कर ली फिर या ऐसे कदम उठा लिए, जिसे समाज अच्छी नजर से नहीं देखता है.

अगर आप भी किसी बेटी के बाप हैं और नशे के आदी हैं, तो आज ही इस से दूरी बना लें. शराब पीने की लत आप की बेटी के भविष्य को चौपट कर सकती है. आप इस से छुटकारा पाने के लिए अपने नजदीकी नशामुक्ति केंद्र जा सकते हैं. आप का यह फैसला आप की बेटी के भविष्य के सुनहरे पल लाने के लिए काफी होगा.

जहरीली कच्ची शराब का कहर

पूरा उत्तर भारत प्रदूषण के अटैक से बेहाल है. दमघोंटू धुआं दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के इनसानी फेफड़ों को कमजोर कर रहा है. दिल्ली के डाक्टरों का कहना है कि जिस लैवल पर इस समय प्रदूषण है, उस में अगर कोई सांस लेता है तो वह 30 सिगरेट जितना धुआं बिना सिगरेट पिए ले रहा है.

इतने बुरे हालात के बावजूद बहुत से लोग सोशल मीडिया पर चुटकी लेना नहीं भूलते. किसी ने मैसेज डाल दिया कि अब अगर चखना और शराब का भी इंतजाम हो जाए तो मजा आ जाए. सिगरेट के मजे मुफ्त में मिल रहे हैं, तो शराब की डिमांड करने में क्या हर्ज है?

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पर शराब की यह डिमांड कइयों पर भारी पड़ जाती है. इतनी ज्यादा कि वे फिर कभी ऐसी डिमांड नहीं कर पाते हैं. हरियाणा में पानीपत का ही किस्सा ले लो. वहां के सनौली इलाके के एक गांव धनसौली में कथित तौर पर जहरीली शराब पीने से एक बुजुर्ग समेत 4 लोगों की मौत हो गई. वे सभी लोग तामशाबाद की एक औरत से 80 से 100 रुपए की देशी शराब खरीद कर लाए थे.

इसी तरह हरियाणा के ही बल्लभगढ़ इलाके के छायंसा गांव में चरण सिंह की भी जहरीली शराब पीने से मौत हो गई, जबकि उस के साथी जसवीर की हालत गंभीर थी.

आरोप है कि चरण सिंह ने जिस संजीव से शराब खरीदी थी, वह गैरकानूनी शराब बेचने का धंधा करता है. यह भी सुनने में आया है कि कोरोना काल में इस इलाके के यमुना नदी किनारे बसे गांवों में कच्ची शराब बेचने का धंधा जोरों पर है.

इसी साल अप्रैल महीने में पुलिस ने एक मुखबिर की सूचना पर छायंसा गांव के रहने वाले देवन उर्फ देवेंद्र को उस के घर के सामने से गिरफ्तार किया था. वह घर के बाहर ही कच्ची शराब से भरी थैलियां बेच रहा था. उस के कब्जे से कच्ची शराब से भरी 12 थैलियां बरामद की गई थीं.

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इतना ही नहीं, जब हरियाणा के सारे नेता बरोदा उपचुनाव में अपनी ताकत झोंक रहे थे तब उन्हीं दिनों सोनीपत जिले में कच्ची या जहरीली शराब पीने से कुल 31 लोगों की जान जा चुकी थी. फरीदाबाद में एक आदमी और पानीपत में भी 6 लोगों की माैत हो गई थी.

इस मामले ने इतना तूल पकड़ा कि हरियाणा में लौकडाउन में शराब घोटाले और जहरीली शराब पीने से तथाकथित 40 लोगों की हुई मौत के मुद्दे पर विपक्ष ने सरकार को घेरा और कहा कि प्रदेश में शराब माफिया सक्रिय है और इसे सरकारी सरपरस्ती हासिल है, जबकि हरियाणा के गृह मंत्री ने सदन में दावा किया कि जहरीली शराब पीने से 40 लोगों की नहीं, बल्कि 9 लोगों की मौत हुई है.

नेताओं की यह नूराकुश्ती चलती रहेगी और लोग सस्ती के चक्कर में कच्ची और जहरीली शराब गटक कर यों ही अपनी जान देते रहेंगे और अपने परिवार को दुख के पहाड़ के नीचे दबा देंगे.

कच्ची शराब जानलेवा क्यों बन जाती है? दरअसल, माहिर डाक्टरों की मानें तो बीयर और व्हिस्की में इथेनौल होता है, लेकिन देशी और कच्ची शराब में मिथेनौल मिला दिया जाता है. इस की मात्रा कम हो ज्यादा, दोनों ही रूप में यह खतरनाक है. 500 मिलीग्राम से ज्यादा इथेनौल की मात्रा होने पर शराब जानलेवा बन जाती है.

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शराब में आमतौर पर तय मात्रा में इथेनौल का ही इस्तेमाल होता है, लेकिन कच्ची और देशी शराब को  ज्यादा नशे के लिए उस में मिथेनौल मिला दिया जाता है. कई बार अंगूर या संतरा ज्यादा सड़ जाने से भी इथेनौल बढ़ जाता है.

गन्ने की खोई और लकड़ी से मिथेनौल एल्कोहल बनने की संभावनाएं ज्यादा होती है. अगर 80 मिलीग्राम मिथेनौल एल्कोहल शरीर के अंदर चला जाए तो शराब जानलेवा होती है. यह कैमिकल सीधा नर्वस सिस्टम पर अटैक करता है और पीने वाले की मौत हो जाती है.

बहुत सी जगह कच्ची शराब को बनाने के लिए औक्सीटोसिन, नौसादर और यूरिया का इस्तेमाल किया जाता है. जहरीली शराब मिथाइल अल्कोहल कहलाती है. कोई भी अल्कोहल शरीर के अंदर जाने पर लिवर के जरीए एल्डिहाइड में बदल जाती है, लेकिन मिथाइल अल्कोहल फौर्मेल्डाइड नामक के जहर में बदल जाता है. यह जहर सब से पहले आंखों पर असर डालता है. इस के बाद लिवर को प्रभावित करता है. अगर शराब में मिथाइल की मात्रा ज्यादा है तो लिवर काम करना बंद कर देता है और पीने वाले की मौत हो जाती है.

जब लोगों को पता होता है कि कच्ची शराब उन के लिए जानलेवा होती है तो वे क्यों पीते हैं? इस की एक ही वजह है शराब पीने के लत होना. लोग लाख कहें के वे अपना तनाव दूर करने या खुशियों का मजा लेने के लिए शराब पीते हैं, लेकिन सच तो यह है वे इस के आदी हो चुके होते हैं.

पहले वे, ज्यादातर गरीब लोग, कानूनी तौर पर बिकने वाली शराब पीते हैं, फिर जब लती हो जाते हैं तो जो शराब मिल जाए, उसी से काम चलाते हैं. अपराधी किस्म के लोग उन की इस लत का फायदा उठाते हुए और ज्यादा मुनाफे के चक्कर में गैरकानूनी तौर पर बनाई गई कच्ची शराब उन्हें परोस देते हैं, जो उन्हें मौत के मुंह तक ले जाती है.

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समाजसेवी और रोहतक कोर्ट में वकील नीरज वशिष्ठ का कहना है, “यह खेल सिर्फ कच्ची शराब का नहीं है, बल्कि नकली शराब का भी है. बहुत से शराब ठेकेदार ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में कैप्सूल मिला कर नकली शराब बना देते हैं. यह और भी ज्यादा खतरनाक है.

“सब से पहले सरकार को शराब की बिक्री बंद करनी चाहिए, क्योंकि शराब तो होती ही है जानलेवा, चाहे जहरीली हो या नकली आया फिर कोई और.

“आज कम उम्र के बच्चों से ले कर बुजुर्गों तक को शराब ने बरबाद किया है. जब देश का भविष्य ही नशेड़ी होगा तो हम सोच सकते हैं कि आने वाला समय कैसा होगा. किसी भी देश की तरक्की में नौजवानों का बहुत अहम रोल होता है, पर यहां तो सरकार ही अपने भविष्य से खिलवाड़ कर रही है.

“एक तरफ सरकार कहती है कि शराब बुरी चीज है, दूसरी तरफ इस बुरी चीज को बेचने के लिए हर गलीमहल्ले में दुकान खोल रही है.”

यह देशभर का हाल है. लौकडाउन में जब शराब की दुकानें खुली थीं, तब ठेकों के बाहर लगी शराबियों की लाइनों पर बहुत मीम बनाए गए थे, लोगों ने खूब मखौल उड़ाया था, पर जरा उन परिवारों से पूछो, जिन के घर का कोई शराब के चलते इस दुनिया से ही रुखसत हो चुका है. याद रखिए, शराब जानलेवा है और रहेगी, जिस ने इस सामाजिक बुराई से पीछा छुड़ा लिया, वह बच गया.

मासूम हुए शिकार : इंसानियत हुई शर्मसार

समाज में आपराधिक व कुंठित लोगों की मानसिकता इस कदर बिगड़ती जा रही है कि उन को सही गलत का आभास ही नहीं है. पढ़ाई लिखाई से कोसों दूर और गलत आदतों के शिकार होने की वजह से कोई इन्हें पसंद नहीं करता, वहीं इन्हें कोई रोकने टोकने व समझाने वाला नहीं मिलता. यही वजह है कि इन के हाथ गलत काम करने से कांपते नहीं है. ये ऐसेऐसे काम कर जाते हैं कि दिल कांप जाए, पर ये न कांपे.

यही वजह है कि इन के सोचने और समझने की ताकत बिल्कुल ही खत्म हो गई है.

23 अप्रैल की अलसुबह एक वारदात 6 साल की मासूम के साथ हुई. पहले उस के साथ रेप किया गया और फिर दोनों आंखें ही फोड़ दीं.

मध्य प्रदेश के दमोह जिले के एक गांव में यह दिल दहला देने वाली घटना घटी. घर से अपहरण कर 6 साल की मासूम बच्ची के साथ आरोपियों ने दरिंदगी की.

उस बच्ची के साथ रेप करने के बाद दोनों आंखें फोड़ दी, ताकि वह किसी को पहचान न सके.

घटना जिले के जबेरा थाना क्षेत्र स्थित एक गांव की है. 23 अप्रैल की सुबह 7 बजे बच्ची गांव के बाहर खेत में स्थित एक सुनसान मकान में गंभीर हालत में पड़ी हुई मिली. उस के बाद घर वालों को जानकारी दी गई.

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मौके पर पहुंचे लोगों ने देखा कि मासूम के दोनों हाथ बंधे हुए थे और आंखें फोड़ दी गई थीं.

बताया जा रहा है कि 22 अप्रैल की शाम 6 बजे से बच्ची गायब थी, तभी से घर वाले उसे खोज रहे थे. 23 अप्रैल की सुबह जब बच्ची मिली तो उस की हालत देख कर सभी के दिल दहल गए.

बच्ची को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जबेरा लाया गया, जहां बच्ची की हालत देखते हुए उसे जबलपुर रेफर कर दिया गया.

गांव पहुंचे दमोह के एसपी हेमंत सिंह चौहान ने कहा कि 22 अप्रैल की शाम बच्ची दोस्तों के साथ खेल रही थी. कोई अनजान शख्स उसे यहां से ले गया. उस के साथ रेप किया गया, उस की आंखों में गंभीर चोट है. कई संदिग्धों से पूछताछ की गई है. मासूम की हालत गंभीर है और जबलपुर रेफर कर दिया गया है.

मौके पर जांच के लिए एफएसएल की टीम भी पहुंची. जल्द ही आरोपी को गिरफ्तार कर लेंगे.

इस घटना को ले कर लोगों में आक्रोश है. सूचना मिलते ही जबेरा के विधायक धमेंद्र सिंह मौके पर पहुंचे और उन्होंने कहा कि मामले की जांच चल रही है. दरिंदे किसी भी कीमत पर नहीं बचेंगे.

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा  कि दमोह जिले में एक मासूम बिटिया के साथ दुष्कर्म की घटना शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण है. घटना का संज्ञान ले कर अपराधी को जल्द ही पकड़ने के निर्देश दिए हैं. उन दरिंदों को सख्त से सख्त सजा दी जाएगी. बिटिया की समुचित इलाज में किसी भी प्रकार की कमी नहीं आने दी जाएगी.

वहीं दूसरी वारदात उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के एक गांव में हुई. वहां 13 साल की किशोरी घर से बाहर टौयलेट के लिए गई तो पहले से ही घात लगा कर बैठे 6 लोगों ने उसे पकड़ लिया और सुनसान जगह पर ले गए.

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2 लोगों ने किशोरी के साथ रेप की घटना को अंजाम दिया, वहीं उस के आसपास खड़े 4 लड़के इस गैंगरेप का वीडियो बनाते रहे.

किशोरी रोतीबिलखती रही, लेकिन दरिंदों ने कोई रहम नहीं किया. वहां से जाते समय वह धमकी दे कर गए कि किसी को इस बारे में बताया तो वीडियो को सोशल मीडिया पर अपलोड कर देंगे.

शर्मसार कर देने वाली यह घटना सीतापुर जिले में मिश्रिख कोतवाली क्षेत्र की है.

घर वालों के मुताबिक, जब किशोरी घर से बाहर टॉयलेट के लिए गई थी, उसी दौरान गांव के बाहर एक कॉलेज के पास पहले से मौजूद 6 लोगों ने उसे पकड़ लिया. 2 लोगों ने किशोरी से बारीबारी से दुष्कर्म किया, जबकि 4 साथियों ने गैंगरेप का वीडियो अपने मोबाइल में कैद कर लिया.

सभी आरोपी मुंह खोलने पर गैंगरेप का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल करने की धमकी दे कर मौके से फरार हो गए.

घटना की जानकारी पा कर मौके पर पहुंची पुलिस ने मामले की तफ्तीश शुरू की.

पुलिस का कहना है कि मामले में पीड़िता की शिकायत के आधार सभी आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है और 2 मुख्य आरोपी धरे भी गए हैं.

दिल दहला देने वाली घटनाओं को बारीकी से देखा जाए तो ऐसा लगता है कि पहले से ही घात लगा कर घटना को अंजाम दिया गया. यह कोई और नहीं, हमारे आसपास के माहौल का ही नतीजा है.

भले ही अपराधी पकड़े जाएं, इन को इन के किए की सजा मिल भी जाए, पर इन कम उम्र बच्चियों का क्या कुसूर कि इन में से एक मासूम की दोनों आंखें ही फोड़ दी,वहीं दूसरी के साथ घटना की वीडियो तक बना डाली.

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क्या इन मासूमों का छीना हुआ कल लौट कर आ पाएगा? क्या ये इस कहर को भूल पाएंगे? क्या शर्मसार हुई इंसानियत समाज में फिर कायम हो पाएगी, कहना मुश्किल है.

शराबखोरी : कौन आबाद कौन बरबाद?

पिछले दिनों सोशल मीडिया पर एक तसवीर खूब वायरल हुई थी. इस में देशी व अंगरेजी शराब की दुकानों के बीच में मद्यनिषेध महकमे का बोर्ड टंगा था. यह तो ठीक वही बात हुई कि पहले चोर से कहो कि तुम चोरी करो और बाद में पुलिस से कहो कि इन्हें मत छोड़ना.

इस तरह के पाखंड व दिखावे तो हमारे समाज में कदमकदम पर देखने को मिलते हैं. मसलन, एक ओर सिगरेट धड़ल्ले से बनतीबिकती हैं, दूसरी ओर उन की डब्बी व इश्तिहारों में लिखते हैं कि ‘सिगरेट पीना सेहत के लिए हानिकारक है.’ इसी तरह प्लास्टिक, औक्सीटोसिन के इंजैक्शन व फलों को पकाने वाले जहरीले कैमिकल वगैरह से परहेज व पाबंदियां हैं, लेकिन उन्हें बनाने व बेचने की पूरी छूट?है.

सिर्फ एक शराब के मामले में ही नहीं, बल्कि देश की राजनीति, सरकार व धर्म के ठेकेदारों की उलटबांसियां भी कुछ कम नहीं हैं इसलिए कदमकदम पर बड़े ही अजब व गजब खेल दिखाई देते हैं. मसलन, एक ओर राज्य सरकारों के आबकारी महकमे नशीली चीजों की बिक्री से कमाई करने में जुटे रहते हैं, वहीं दूसरी ओर समाज कल्याण व मद्यनिषेध जैसे महकमे करोड़ों रुपए इन से बचाव के प्रचार में खर्च करते हैं.

जहांतहां दीवारों पर नारे लिखे जाते हैं, होर्डिंग लगाए जाते?हैं और इश्तिहार दिए जाते हैं कि शराब जहर से भी ज्यादा खराब व नुकसानदायक है. इस तरह 2 नावों पर पैर रख कर करदाताओं की गाढ़ी कमाई का पैसा बड़ी ही दरियादिली के साथ पानी में बहाया जाता है. इन में कोई एक काम बंद होना जरूरी?है, लेकिन इस की फिक्र किसे है?

कहने को आबकारी महकमे नशीली चीजों की बिक्री पर नकेल कसते हैं, लेकिन असल में तो वे भांग, शराब वगैरह के ठेके नीलाम कर के रंगदारी वसूलते हैं. कहा यह जाता है कि वे लोगों को जहरीली शराब पीने से बचाते हैं. जायज व नाजायज शराब में फर्क बताते हैं. सरकारी कायदेकानून को लागू कराते हैं, लेकिन सब जानते हैं कि हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और होते हैं, इसलिए भ्रष्टाचारी खूब खुल कर खेलते हैं.

इसी वजह से गुड़गांव, हरियाणा में रेयान स्कूल के पास अंगरेजी शराब की दुकान चल रही थी. हफ्तावूसली करने वालों की वजह से ज्यादातर ठेकों पर तयशुदा वक्त से पहले व बाद में और बंदी के दिन भी शराब की बिक्री चोरीछिपे बराबर चलती रहती है.

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शराब बेचने की दुकानों को लाइसैंस देने के नाम पर उन से भरपूर कीमत वसूली जाती है. मसलन, उत्तर प्रदेश में आबकारी महकमे का कुल सालाना बजट 122 करोड़, 78 लाख रुपए का है, जबकि साल 2017-18 में उत्तर प्रदेश सरकार ने आबकारी से 8 अरब, 916 करोड़ रुपए कमाए. जाहिर है कि शराब का धंधा सरकारों के लिए सोने की खान है.

शराब की मनमानी कीमत तो शराब बनाने वाले खरीदारों से लेते ही हैं, इस के अलावा करों के नाम पर अरबोंखरबों रुपए जनता की जेब से निकल कर विकास के नाम पर सरकारी खजाने में चले जाते हैं. इस का एक बड़ा हिस्सा ओहदेदारों की हिफाजत, सहूलियतों, बैठकों, सैरसपाटों, मौजमस्ती वगैरह पर खर्च होता है.

शराब खराब है, यह बात जगजाहिर है. ज्यादातर लोग इसे जानते और मानते भी हैं, लेकिन कमाई के महालालच में फंसी ज्यादातर सरकारें शराबबंदी लागू ही नहीं करती हैं.

गौरतलब है कि गुजरात, नागालैंड, मणिपुर व बिहार समेत देश के 4 राज्यों में शराबबंदी होने से सरकारें कौन सी कंगाल हो गई हैं? उत्तर प्रदेश में सरकार को होने वाली कमाई का महज 17 फीसदी आबकारी से आता है.

इसे दूसरे तरीकों से भी तो पूरा किया जा सकता है. मसलन, तत्काल सेवाओं के जरीए, कानून तोड़ने वालों पर जुर्माना बढ़ा कर, हथियारों, महंगी गाडि़यों वगैरह पर बरसों पुरानी फीस की दरें बढ़ा कर, सरकारी इमारतों व रसीदों पर इश्तिहार लेने जैसे कई तरीके हैं, जिन से जनता पर बिना कर लगाए भी राज्यों की सरकारें अपनी कमाई बढ़ा सकती हैं, लेकिन ज्यादातर ओहदेदार तो खुद शराब पीने के शौकीन होते हैं, इसलिए वे शराबबंदी को लागू करने के हक में कभी नहीं रहते हैं.

यह है वजह

लोग नशेड़ी कैसे न हों क्योंकि हमारा धर्म तो खुद नाश करने की पैरवी करता है. शिवशंकर के नाम पर भांग, गांजा, सुलफा वगैरह पीने वाले साधुमहात्माओं व भक्तों की कमी नहीं है. कांवड़ यात्रा के दौरान तो ऐसे नशेड़ी खुलेआम सामने आ कर सारी हदें पार कर देते हैं. इस के अलावा धर्म की बहुत सी किताबों में सोमरस पीने का जिक्र आता है.

शराब का इतिहास सदियों पुराना है. अंगूर से अलकोहल तक, ताड़ी से कच्ची व जहरीली शराब पी कर बहुत से लोग अपनी जान गंवा चुके हैं.

दरअसल, हमारा धर्म भी इस की इजाजत देता है. कई देवीदेवताओं की पूजा में शराब का भोग लगाया जाता?

है, फिर उसे प्रसाद के तौर पर भक्तों में बांटा जाता है. काली माई व भैरव के मंदिरों में शराब की बोतलें चढ़ाने जैसे नजारे देखे जा सकते हैं.

शादीब्याह के मौकों पर मौजमस्ती करने, खुशियां मनाने, गम भुलाने, तीजत्योहार या दावतों में मूड बनाने के नाम पर अकसर शराब के दौर चलते हैं. धीरेधीरे शराब पीने की यह लत रोज की आदत बन जाती है. शराब के नशे में इनसान का अपनी जबान, हाथपैर व दिमाग पर काबू नहीं रहता है.

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शराब पीने से शरीर कांपने लगता है. चिड़चिड़ापन, उदासी व बेचैनी बढ़ने लगती है. जिगर खराब होने लगता है. कई तरह की बीमारियां घेरने लगती हैं. इनसान इस का आदी हो जाता है. इस की लत लग जाने पर फिर शराब छोड़ना आसान नहीं रहता. आखिर में शराबी दूसरों की नजरों में भी गिरने लगता है.

फिर भी कई लोग दूसरों को बहलाफुसला कर अपना हमप्याला बनाने के लिए कहते हैं कि शराब पीना सेहत के लिए अच्छा रहता है, जबकि ऐसा कुछ नहीं है.

नुकसान ही नुकसान

शराब इनसान, उस की जेब व उस के घरपरिवार को तबाह कर देती है, फिर भी इसे पीने वालों की गिनती बढ़ रही है. अब औरतें व बच्चे भी इस के शिकार हो रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 37 करोड़ से भी ज्यादा लोग शराब पीते हैं. इन में से आधे से ज्यादा लोग बहुत बड़े पियक्कड़ हैं.

शराब पीने से हर साल लाखों लोग बीमारियों व मौत के मुंह में चले जाते हैं. उन की माली हालत खराब हो जाती है. न जाने कितने लोग शराब के नशे में कानून तोड़ते हैं. दूसरों के साथ गालीगलौज, झगड़ाफसाद व दूसरे जुर्म करते हैं. अपने बीवीबच्चों को मारतेपीटते?हैं. लेकिन शराब की लत के शिकार लोगों व सरकारों की आंखें नहीं खुलती हैं.

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शराब पी कर गाड़ी चलाने की वजह से सड़कों पर हो रहे हादसों में लाखों लोगों की जानें चली जाती हैं, लोग फिर भी अपने पैरों पर खुद कुल्हाड़ी मारते रहते हैं. कई बार बेगुनाह भी उन की गलती व लापरवाही के शिकार हो जाते हैं. राह चलते या सड़क किनारे सोने वाले गरीब लोग शराबियों की गाडि़यों की चपेट में आ कर अपनी जान तक गंवाते रहते हैं.

दरअसल, पूरे देश में शराबबंदी लागू होनी लाजिमी है, लेकिन ऐसा करना आसान काम नहीं?है. नीतीश कुमार की सरकार ने बिहार में शराबबंदी कानून लागू की थी, लेकिन सरकार के इस फैसले को सब से तगड़ा झटका पटना हाईकोर्ट से उस वक्त लगा, जब जारी आदेश में कहा गया कि किसी भी सभ्य समाज में इतने कड़े कानून लागू नहीं किए जा सकते. यह जनता के हकों को छीनने जैसा है.

इस से पहले हरियाण, आंध्र प्रदेश, मिजोरम व तमिलनाडु राज्यों में भी शराबबंदी लागू की गई थी लेकिन भारी दबाब के चलते उसे वापस लेना पड़ा. दरअसल, शराब चाहे जायज तरीके से बनी हो या नाजायज तरीके से, वह सरकारों, नेताओं व पुलिस सब की कमाई का बड़ा जरीया है. राजकाज चलाने वाले ओहदेदार चाहते हैं कि शराब की खपत दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती रहे. ऐसे में जरूरत खुद सोचसमझ कर कदम उठाने की है.

हालांकि शराब की लत छुड़ाने के तरीके व पुनर्वास केंद्र वगैरह हैं, लेकिन इन सब में वक्त व पैसा बहुत लगता?है. साथ ही, तब तक शराब दीमक की तरह अंदर ही अंदर खा कर इनसान को खोखला कर चुकी होती है, इसलिए पहले से ही पूरी सावधानी बरतें, वरना पछतावे के साथ यही करना पड़ेगा कि सबकुछ लुटा के होश में आए तो क्या हुआ.

‘भाभीजी’ ड्रग्स बेचती हैं

जीहां, ये ‘भाभीजी’ ड्रग्स, ब्राउन शुगर और अफीम बेचती हैं. पटना के जक्कनपुर इलाके की रहने वाली राधा देवी ड्रग्स के धंधेबाजों के बीच ‘भाभीजी’ के नाम से मशहूर हैं. पटना, मुजफ्फरपुर, बोधगया से ले कर रांची तक में ‘भाभीजी’ का धंधा फैला हुआ है. पटना के स्कूलकालेजों, कोचिंग सैंटरों और होस्टल वाले इलाकों के चप्पेचप्पे पर ‘भाभीजी’ के एजेंट फैले हुए हैं.

बच्चों और नौजवानों को नशे का आदी बनाने में लगी ‘भाभीजी’ और उन के गुरगे पिछले 6 सालों से इस गैरकानूनी और खतरनाक धंधे को चला रहे थे. 16 अक्तूबर, 2019 को पुलिस ने ‘भाभीजी’, उन के शौहर और 6 गुरगों को दबोच लिया.

जक्कनपुर पुलिस ने 16 अक्तूबर, 2019 को राधा देवी उर्फ ‘भाभीजी’ और उन के शौहर गुड्डू कुमार को उस समय गिरफ्तार कर लिया, जब वे आईसीआईसीआई बैंक से रुपए निकाल रहे थे. दोनों के पास से 9 लाख, 67 हजार, 790 रुपए और 20 ग्राम ब्राउन शुगर और 6 स्मार्ट फोन बरामद किए गए. उस 20 ग्राम ब्राउन शुगर की कीमत 5 लाख रुपए आंकी गई.

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पटना के सिटी एसपी जितेंद्र कुमार ने बताया कि राधा देवी उर्फ ‘भाभीजी’ और गुड्डू कुमार ब्राउन शुगर के स्टौकिस्ट हैं. पुलिस पिछले कई सालों से इन दोनों को रंगे हाथ पकड़ने की कोशिश में लगी हुई थी, पर वे हर बार पुलिस को चकमा दे कर भाग निकलते थे.

गुड्डू कुमार ने पुलिस को बताया कि ब्राउन शुगर के सप्लायर को 12 लाख रुपए देने के लिए वह बैंक से पैसे निकाल रहा था. उसी दिन सप्लायर ब्राउन शुगर की खेप ले कर आने वाला था. सप्लायर नेपाल और खाड़ी देशों से आता था.

‘भाभीजी’ और गुड्डू कुमार को आईसीआईसीआई बैंक के जिस खाते से रुपए निकालते पकड़ा गया था, उस खाते में अभी 17 लाख, 46 हजार रुपए और हैं. कंकड़बाग के आंध्रा बैंक के खाते में भी उन दोनों के 9 लाख, 94 हजार रुपए जमा हैं. इन दोनों ने ब्राउन शुगर के धंधे से करोड़ों रुपए की कमाई की है और कई मकान और फ्लैट भी खरीद रखे हैं.

राधा देवी उर्फ ‘भाभीजी’ और गुड्डू कुमार को दबोचने में लगी पुलिस की टीम 16 अक्तूबर को जक्कनपुर इलाके में ब्राउन शुगर की खरीदार बन कर पहुंची.

जक्कनपुर के इंदिरानगर इलाके के रोड नंबर-4 में शिवपार्वती कम्यूनिटी हाल से सटे किराए के मकान में जब पुलिस पहुंची, तो वहां 5 लोग ब्राउन शुगर की पुडि़या बनाने में लगे हुए थे.

पुलिस ने उन पांचों को ब्राउन शुगर के साथ गिरफ्तार कर लिया. करीमन उर्फ राजेश यादव, सोनू, गणेश कुमार, संतोष कुमार और पप्पू को पुलिस ने पकड़ा. सभी की उम्र 22 से 30 साल के बीच है.

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पिछले चंद महीनों के दौरान ड्रग्स का धंधा करने वाले 14 लोगों को पुलिस जक्कनपुर, मालसलामी, गर्दनीबाग, कंकड़बाग, रामकृष्णानगर वगैरह इलाकों से गिरफ्तार कर चुकी है. 14 सितंबर, 2019 को भी जक्कनपुर इलाके में पुलिस ने 65 लाख रुपए की ब्राउन शुगर के साथ 5 लोगों को पकड़ा था.

गिरफ्तार किए गए सभी लोग ‘भाभीजी’ के ही गुरगे थे. तब ‘भाभीजी’ और गुड्डू कुमार पुलिस की आंखों में धूल  झोंक कर भाग निकलने में कामयाब हो गए थे.

‘भाभीजी’ की देखरेख में ही ब्राउन शुगर खरीदने, उस की पुडि़या बनाने और बेचने का धंधा चलता था. एक पुडि़या 500 रुपए में बेची जाती थी. नारकोटिक ड्रग्स ऐंड साइकोट्रौपिक सब्सटैंस ऐक्ट की धारा 22 सी के तहत केस दर्ज किया गया है.

करोड़ों की दौलत होने के बाद भी ये मियांबीवी खानाबदोश की जिंदगी जीते थे. वे किसी एक जगह टिक कर नहीं रहते थे. पुलिस को चकमा देने के लिए अपना ठिकाना और मोबाइल नंबर बदलते रहते थे. पुलिस साल 2012 से ही दोनों शातिरों को पकड़ने में लगी हुई थी, पर कामयाबी नहीं मिल रही थी. साल 2012 में ही दोनों के खिलाफ गर्दनीबाग थाने में एफआईआर दर्ज हुई थी.

‘भाभीजी’ ने पुलिस को बताया कि पश्चिम बंगाल और  झारखंड से ब्राउन शुगर पटना लाई जाती है. एक किलो ब्राउन शुगर की कीमत 3 करोड़ रुपए होती है. घटिया क्वालिटी की ब्राउन शुगर एक करोड़ रुपए में एक किलो मिलती है.

गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल और  झारखंड में बड़े पैमाने पर अफीम की खेती होती है. अफीम से ही ब्राउन शुगर बनाई जाती है.

ड्रग करंसी का इस्तेमाल, खतरनाक: डीजीपी

बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे मानते हैं कि ड्रग को करंसी के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. जिस्म के कारोबार में भी ड्रग करंसी खूब चल रही है. ड्रग्स के खिलाफ समाज को जहां जागरूक होने की जरूरत है, वहीं नशा मुक्ति मुहिम को मजबूत बनाना होगा.

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नशा दिल और दिमाग दोनों पर खतरनाक असर डालता है और उस के बाद बलात्कार, हिंसा जैसे कई अपराध करने के लिए उकसाता है.

पुलिस ड्रग्स के खिलाफ आएदिन धड़पकड़ करती रहती है, लेकिन समाज के सहयोग के बगैर ड्रग्स के धंधे को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता है.

अफीम की खेती छोड़ी, गेंदा लगाया

झारखंड राज्य के नक्सली एरिया खूंटी के लोगों ने अफीम की खेती से तोबा कर गेंदा के फूल उपजाने शुरू किए हैं. तकरीबन 200 परिवार गेंदे की खेती कर मुनाफा कमा रहे हैं.

आजकल धर्म का व्यापार अफीम के व्यापार की तरह रातदिन बढ़ रहा है और वहां गेंदे के फूलों की खपत बहुत होती है.

कुछ साल पहले तक इस इलाके में पोस्त की गैरकानूनी खेती होती थी और पोस्त से ही अफीम बनाई जाती है. नक्सली बंदूक का डर दिखा कर गांव वालों से जबरन अफीम की गैरकानूनी खेती कराते थे. पिछले साल अगस्त महीने में खूंटी में 14 लाख गेंदे के पौधे लगाए गए थे. आज उन से तकरीबन सवा करोड़ रुपए मुनाफा होने का अंदाजा है. सुनीता नाम की महिला किसान ने 2,000 रुपए में गेंदे के 5,000 पौधे खरीदे थे. एक पौधे से 35 से 40 फूल निकलते हैं.

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