प्रमोद नयानया डाक्टर बना, तो सब ने उसे खूब बधाइयां दीं. उस की पोस्टिंग जिस आलू का तला गांव में हुई थी, वह पिछड़ा हुआ इलाका था. ‘‘तू कहे तो मंत्रीजी के पीए से बात करूं? ऐसे गांव में जा कर डाक्टरी करने का क्या फायदा, जहां बिजली नहीं रहती हो?’’ भूपेश ने प्रमोद से कहा, तो उस ने साफ इनकार कर दिया, ‘‘नहीं दोस्त, मैं नहीं चाहता कि सिफारिश के बल पर अपनी पोस्टिंग कहीं दूसरे शहर में करा कर खुदगर्ज बन जाऊं. सरकार ने मुझे आलू का तला गांव भेजा है, तो मेरा फर्ज बनता है कि वहां जा कर गांव वालों की सेवा करूं.’’

‘‘ठीक है, जैसी तेरी मरजी. वक्त का तकाजा तो यही है कि हाथपैर मार कर ढंग की जगह ले लेता और ठाट से डाक्टरी कर के चार पैसे कमाता,’’ भूपेश बोला. प्रमोद नहीं माना. उस की शादी

2 महीने पहले ही पूनम से हुई थी. ‘‘मैं हर हफ्ते घर आया करूंगा डार्लिंग. वहां गांव में तुम्हें ले जा कर मुसीबत में डालना मैं ने ठीक नहीं समझा,’’ प्रमोद ने अपनी बीवी को बांहों के घेरे में लेते हुए वादा किया कि वह दिन में एक बार उसे फोन जरूर करेगा.

‘‘ठीक है, जैसा तुम ठीक समझो. वैसे भी मैं ने अपनी जिंदगी के 20 साल शहर की सुखसुविधाओं के बीच गुजारे हैं. गांव में जा कर रहना तो दूर की बात है, मुझे तो उसे देखना भी भारी लगता है,’’ पूनम बोली. वाकई आलू का तला गांव काफी पिछड़ा हुआ लग रहा था. जिस समय प्रमोद वहां ड्यूटी जौइन करने पहुंचा, वहां बिजली नहीं थी. गरमी और पसीने से तरबतर हो रहे प्रमोद को वहीं पड़े गत्ते के टुकड़े से हवा खानी पड़ रही थी.

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