कुछ लोग गृहस्थी को युद्ध का मैदान मानते हैं. लड़ने के लिए वैसे भी 2 पक्ष चाहिए ही. सच ही कहा गया है कि पतिपत्नी अलगअलग ग्रह से आते हैं. एक राहु होता है तो दूसरा केतु. सफल दांपत्य जीवन के लिए कितने ही लेख पढ़ लें, फिल्में देख लें, प्रवचन सुन लें, पूजापाठ कर लें, वास्तुशास्त्र के टोटके कर लें मगर आदर्श परिवार बनने का दूध अहमभाव के दही से फट ही जाता है.
सुबह हुई नहीं कि मैं भी फटे हुए दूध को क्षमायाचना की सूई से सीने बैठ गया.
‘‘सुनो प्रिये, मेरी बातों का बुरा मत माना करो. कल दफ्तर में बौस से झड़प हो गई. तुम तो जानती हो करीना कि धोबी अपना गुस्सा गधे पर उतारता है, सो मैं अपने दुर्व्यवहार के लिए क्षमा मांगता हूं,’’ मैं ने अपने कान पकड़ लिए.
‘‘तुम ने मुझे गधी कहा,’’ पत्नी दहाड़ी.
‘‘नहीं, भाग्यवान, यह तो मुहावरा है. अब अपना गुस्सा थूक दो,’’ मैं ने पुचकारते हुए कहा.
दांपत्य जीवन में इस प्रकार की तकरार को खुशहाली बनाए रखने का सूत्र माना जाता है. घर में चार बर्तन हों तो खड़केंगे ही. पत्नी करीना के साथ जब घमासान होने का खतरा दिखाई देता है तब मैं सफेद रुमाल निकाल कर समझौते की मुद्रा में आ जाता हूं.
उस से कहता हूं, ‘‘मेरी एग करी, जरा अपना मुंह फुलाने का कारण तो बताइए?’’
करीना का जब पारिवारिक घमासान करने का मूड होता है तो वह बेडरूम, जिसे मैं आधुनिक कोप भवन की संज्ञा देता हूं, में जा कर औंधे मुंह लेट जाती है. उस की घनी बिखरी केश राशि किसी काले चमकीले घने बाल बनाने वाली केश तेल कंपनी का जीवित विज्ञापन लगती है. वह घायल नागिन की तरह फुफकारने लगती है. ऐसी स्थिति में पत्नी को न मनाते बनता है न छेड़ते बनता है.