आजकल तो जनता गद्दार हो गई है. विकास को छिपा कर कहती है कि विकास मिला ही नहीं है. अब बेचारी सरकारें भी क्या करें? विकास जनता को मिला है, यह साबित करने के लिए कोशिश तो करेंगी ही, इसलिए सरकारें जश्न मना कर दिखा रही हैं कि देखो, हमारे यहां विकास पैदा हुआ है. बाकायदा  अखबारों व टैलीविजन में इश्तिहार दे कर सरकारें विकास को स्वीकार कराने के लिए जूझती नजर आ रही हैं.

अभी पिछले दिनों राजस्थान की वसुंधरा सरकार का अखबारों में पूरे 2 पन्ने का इश्तिहार छपा था, उस में 5 साल में किए गए कामों का ब्योरा दिया गया था. सब से मजेदार बात यह लिखी हुई थी कि 2.8 लाख नौजवानों को ‘कौशल विकास’ की ट्रेनिंग दी जा चुकी है और 13 लाख नौजवानों को रोजगार के मौके मुहैया करा दिए गए हैं.

अखबार देख कर बेरोजगार नौजवान आपस में फोन कर के पता करते दिखे कि नौकरी मिली किस को है, जबकि सरकारी आंकड़ा कहता है कि अभी तक महज 35,000 लोगों को ही नौकरी मिली है. किसानों को बांटी गई राहत के आंकड़े देख कर तो लगा कि जो किसान गड्ढों में बैठ कर सरकार की खिलाफत कर रहे हैं, सड़कों पर रैलियां निकाल रहे हैं, जगहजगह धरनेप्रदर्शन कर रहे हैं, वे तो सरकार के गद्दार हैं. जब सरकार ने किसानों को दिल खोल कर दिया है तो वे नाटक क्यों कर रहे हैं?

सब से ज्यादा आंकड़ों के जरीए विकास राजस्थान की सड़कों का हुआ है. जो सड़कें थीं वे तो टूट कर बिखर गई हैं. लोग गड्ढों में सड़क ढूंढ़ते नजर आते हैं, लेकिन सरकार ने 5 साल में उतनी सड़कें बना डाली हैं जितनी

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 महीना)
USD2
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...