पिछले अंकों में आप ने पढ़ा:
धन्ना ने शहर में पढ़ाई शुरू कर दी. वहां उस ने अपने मास्टरों को घीदूध बेचने के बहाने चूना लगाना शुरू कर दिया. जिन लोगों से वह दूध खरीदता था, उन्हें भी पैसे देने में बदमाशी करता था. बाद में उस ने दूध का कारोबार करने के लिए गांव की अपनी भैंसें हड़पने की योजना बनाई.
अब पढ़िए आगे:

धन्ना की बात सुन कर सभी चुप थे. रामभजन और गणेश ने कई सवाल खड़े किए, पर धन्ना ने बड़ी ही चालाकी से उन के दिमाग में यह बात बैठा दी कि कुछ ही दिनों में घर की हालत सुधर जाएगी.

थोड़े ही दिनों में धन्ना ने भागदौड़ कर के शहर में अपना काम शुरू कर दिया. वह दिनभर दुकान चलाता और सुबहशाम दूध का काम कर लेता. कुछ मेहनत और कुछ बेईमानी की बैसाखियों से उस का धंधा अच्छा चल पड़ा. वह घर वालों को भी जरूरी सामान और थोड़ेबहुत पैसे भी हर महीने दे आता, ताकि वे भैंसों के लिए ज्यादा शोरगुल न मचाएं.

धन्ना की दुकान पर सभी तरह के लोग आते थे. उन में कुछ बदमाश भी थे. धन्ना की उन से गाढ़ी दोस्ती हो गई. उन्हीं दिनों शहर में दंगे हो गए. धन्ना ने अपने दोस्तों के साथ मिल कर खूब लूटखसोट की. इस दंगे में उस के हाथ काफी जेवरात और कीमती सामान लग गए. उस की माली हालत काफी मजबूत हो गई.

एक दिन सुनने में आया कि जिस मकान में वह रह रहा था, उसे ही हड़प लिया. बेचारा मकान मालिक गुंडों से डर कर चुपचाप अपने घर बैठ गया. धन्ना की अच्छी माली हालत का नतीजा यह हुआ कि उस के कई जगह से रिश्ते आने लगे. आखिरकार रामशरण नाम के एक शख्स की लड़की धन्ना को पसंद आ गई.

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