आज हरीपुर गांव में बड़ी चहलपहल थी. ब्लौक के अफसर, थाने के दारोगा व सिपाही, जो कभी यहां भूल कर भी नहीं आते थे, बड़ी मुस्तैदी दिखा रहे थे. आते भी क्यों नहीं, जिले की कलक्टर काजल जो यहां आने वाली थीं.

तकरीबन 8 महीने पहले काजल ट्रांसफर हो कर इस जिले में आई थीं. दूसरे लोगों के लिए भले ही वे जिले की कलक्टर थीं, लेकिन इस गांव के लिए किसी देवदूत से कम नहीं थीं. तकरीबन 7 महीने पहले उन्होंने इस गांव को गोद लिया था. वैसे तो यह गांव बड़ी सड़क से 3 किलोमीटर की दूरी पर था, लेकिन गांव से बड़ी सड़क तक जाने के लिए लोग कच्चे रास्ते का इस्तेमाल करते थे.

इस गांव की आबादी तकरीबन 2 हजार थी, लेकिन यहां न तो कोई प्राइमरी स्कूल था, न ही कोई डाक्टरी इलाज का इंतजाम था. यहां ज्यादातर मकान मिट्टी की दीवार और गन्ने के पत्तों के छप्पर से बने थे, लेकिन जब से कलक्टर काजल ने इस गांव को गोद लिया है, तब से इस गांव की तसवीर ही बदल गई है.

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सरकारी योजनाओं के जरीए अब इस गांव में रहने वाले गरीब व पिछड़े लोगों के मकान पक्के बन गए हैं. हर घर में शौचालय व बड़ी सड़क से गांव तक पक्की सड़क भी बन गई है और आज गांव में बनी पानी की टंकी का उद्घाटन था, जिस से पूरे गांव को पीने का साफ पानी मिल सके. और तो और इस गांव का सरपंच ठाकुर महेंद्र सिंह, जो दलितों को छूता तक नहीं था, भी आज लोगों को बुलाबुला कर मंच के सामने लगी कुरसियों पर बिठा रहा था.

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