शौचालय और साफसफाई को ले कर फिल्म ‘गांधी’ का एक सीन बरबस याद आता है जहां महात्मा गांधी का अपनी पत्नी कस्तूरबा गांधी से इस बात पर विवाद हो रहा होता है कि दक्षिण अफ्रीका के आश्रम में बनाए गए नियमानुसार सब को इस्तेमाल के बाद अपना शौचालय साफ करना होगा.

हम सब जानते हैं कि बापू को साफसफाई बहुत पसंद थी और वे ज्यादातर बीमारियों की अहम वजह शौचालयों में फैली गंदगी को मानते थे. आज भी हम घर की साफसफाई और सजावट में चार चांद लगा देते हैं लेकिन शौचालय को चिराग तले अंधेरा वाली तर्ज पर गंदा ही छोड़ देते हैं.

घर के शौचालय की साफसफाई बहुत जरूरी है क्योंकि गंदे शौचालय में बीमारी पैदा करने वाले कीटाणु छिपे होते हैं. इस के अलावा मेहमानों को भी अगर आप का शौचालय गंदा मिलता है तो वे दोबारा आने से बचते हैं या फिर मजाक बनाने से नहीं चूकते हैं.

पूरे घर में बाथरूम ही एक ऐसा हिस्सा है जहां साफसफाई की सब से ज्यादा जरूरत होती है क्योंकि पानी के ज्यादा इस्तेमाल होने की वजह से वहां चिकनाई और कालिख जमा हो जाती है. इस से फर्श और दीवारें दोनों ही गंदी लगती हैं.

जहां शौचालय और बाथरूम एकसाथ बने हों वहां बाथटब, वाश बेसिन, वाटर टैप, फर्श पर लगे पीले धब्बे, जंग और पानी से पड़ने वाले सफेद दागधब्बों को मिटाना बहुत जरूरी होता है. इन्हें हटाने के लिए बाजार में बहुत सारे क्लीनर मुहैया हैं.

अमूमन घरों में देशी शौचालय होते हैं लेकिन शहरों में इंडियन कमोड के साथसाथ वैस्टर्न कमोड भी चलन में हैं. दोनों तरह के शौचालय साफ करना कोई मुश्किल काम नहीं है.

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