वह औरतों से खूब प्यार से मीठी-मीठी बातें करता है. खूब पुचकारता है. उसके बदन को सहलाता है, टटोलता है. काफी देर तक उसके जिस्म पर हाथ फेरता रहता है. औरत या लड़की के इलाज के नाम पर जम कर अपने सेक्स की भूख को शांत करता है.

वहीं कोई मर्द मरीज अपने इलाज के लिए आता है तो उसे 2-3 मिनट में ही चलता कर देता है. झाड़-फूंक के जरिए रोगियों का इलाज करने वाले ढ़ोंगी और पाखंडी बाबाओं का यही हथकंडा है.

बीमारियों के इलाज और झाड़-फूंक करने वाले ठग बाबा और ओझा मर्दों के झाड़-फूंक में कम और औरतों के झाड़-फूंक में ज्यादा दिलचस्पी लेता है. ढोंगी बाबा इलाज के नाम पर औरतों को नशा कराके बेहोश करने के बाद बलात्कार तक कर डालता है. लेकिन फिर भी लोगों की आंखें नहीं खुल रही हैं और सबकुछ जानने के बाद भी लोग बाबाओं के बुने जाल में पफंसने चले जाते हैं.

वहीं मर्दों का भूत-प्रेत झाड़ने के नाम पर उनके शरीर पर डंडा, जूता, चप्पल, थप्पड़ की धुंआधार बारिश की जाती है. हर महीने पूर्णमासी के मेले के मौके पर तकरीबन हर जिलों के गांवों में बाबाओं का धंधा खूब चलता रहता है.

पटना में तो जिला अधिकारी के औफिस और पुलिस हेडक्वार्टर के पास ही भूत-प्रेत झाड़ने और डायन-चुड़ैल भगाने का धंधा बेरोक टोक चलता रहता है. पूर्णमासी के दिन तो वहां बाबाओं की ठगी का खुला खेल चलता रहता है. कानून का पालन करने और कराने वालों के नाक के नीचे लूट और ठगी का जाल पफैला रहता है और वे लोग तमाशा देखते रहते हैं.

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