जिस तरह जंगलों में बिना देखभाल के कुकुरमुत्ते के पौधे पनपते रहते हैं, ठीक वैसे ही आजकल शहरोंकसबों में विद्यालय और महाविद्यालय देखे जा रहे हैं. कुकुरमुत्ता के पौधे हालांकि किसी काम के नहीं होते, लेकिन वे दूसरे को कोई नुकसान भी नहीं पहुंचाते जबकि ये विद्यालय महाविद्यालय नौनिहालों को ठगने में लिप्त हैं.

मैं ने एमए करने के लिए इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी की वैबसाइट पर अपना रजिस्ट्रेशन करवाया, लेकिन कुछ ही घंटों में मेरे पास एक मैसेज आया जिस में लिखा था, ‘हम विवेकानंद सुभारती यूनिवर्सिटी से डिस्टेंस लर्निंग कोर्स करवाते हैं. कृपया आप अपना कौंटैक्ट नंबर दें.’

मेरे कौंटैक्ट नंबर देने पर मेरे पास एक कौल आई और बताया गया कि हम आप को सभी तरह की सुविधाएं देंगे. यही नहीं, पास होने की भी गारंटी है और अगर आप चाहें तो 2 साल का कोर्स 1 ही साल में पूरा कर सकती हैं.

मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि हम आप का 2 साल का कोर्स 1 साल में ही पूरा करवा देंगे लेकिन फीस उसी हिसाब से लेंगे. 1 साल की फीस 13,800 रुपए है जबकि 2 साल के 28 हजार रुपए और प्रौस्पैक्टस के 500 रुपए. इस के बाद उन्होंने मुझ से 10वीं, 12वीं और बीए की मार्कशीट मांगी और कहा कि फीस जमा कराएं.

जब मैं ने उन्हें बताया कि प्रौस्पैक्टस तो मुझे मिला ही नहीं, फिर मैं उस के रुपए क्यों दूं? तो उन्होंने कहा कि हम आप के नंबर पर डिटेल्ड व्हाट्सऐप कर रहे हैं. यह पूरा फी स्ट्रक्चर है जो आप को देना है.

वे 10-12 दिनों तक मुझ पर फीस जमा कराने का प्रैशर बनाते रहे. मेरे बारबार यह पूछने पर कि क्या मेरे पेपर्स वैरीफाई हो गए हैं? उन्होंने जवाब दिया कि जब आप फीस जमा कराएंगे, उस के बाद ही आप के पास वैरिफिकेशन कौल आएगी. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था. तब मैं ने कहा कि क्या सारी फीस एकसाथ जमा करानी जरूरी है, मैं अभी आधी फीस ही भर पाऊंगी.

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