आखिरकार दिल्ली विश्वविद्यालय में मचे घमासान के चलते गुरमेहर कौर दिल्ली से बाहर चली गई. उस के परिवार का कहना है कि वह अब दिल्ली में नहीं है. गुरमेहर आइसा के पब्लिक प्रोटैस्ट मार्च से भी अलग हो गई है. 27 फरवरी को गुरमेहर ने दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल से मुलाकात की थी. उन्होंने सोशल मीडिया पर कथित तौर पर छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्यों की ओर से दुष्कर्म की धमकी मिलने की शिकायत की थी. दिल्ली पुलिस ने कारगिल युद्ध में शहीद की बेटी गुरमेहर की शिकायत पर आईटी ऐक्ट के तहत अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है. पुलिस की साइबर सैल इस मामले की जांच कर रही है. उधर, एबीवीपी की ओर से भी पुलिस को एक आवेदन दिया गया है, जिस में कहा गया है कि उस का कोई सदस्य रेप की धमकी देने वालों में शामिल नहीं है. कुल मिला कर यही कह सकते हैं कि यह बेहद शर्मनाक प्रकरण है. एक युवती, जिस के पिता ने देश के लिए शहादत दी, के साथ इस प्रकार का व्यवहार न सिर्फ अशोभनीय और अनैतिक है बल्कि अत्यंत निंदनीय भी है. आखिरकार, यह समझ से परे है कि छात्रा गुरमेहर कौर का गुनाह क्या है, जो उसे इस तरह घटिया स्तर तक जा कर मानसिक रूप से उत्पीडि़त करने की कोशिश की गई है?

इस मामले पर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने अपने बयान में कहा कि गुरमेहर पर कोई विवाद सही नहीं है. यह उन वामपंथियों की सोच है जो जवानों के शहीद होने पर जश्न मनाते हैं. उन्होंने कहा है कि भारत और चीन के बीच हुए युद्ध के दौरान भी वामपंथियों ने चीन का समर्थन किया था. वे युवाओं को गुमराह करते हैं. गृह राज्यमंत्री को अपने ही देश के वामपंथी संगठनों को राष्ट्रविरोधी बताने में थोड़ा भी संकोच नहीं हुआ. इसे कितना जायज ठहराया जाए, यह कोर्टकचहरी का मामला है, पर सिर्फ इसलिए किसी छात्रा को रेप की धमकी दी जाए कि उस ने उस की विचारधारा का विरोध क्यों किया, तो यह मेरे खयाल से शर्मनाक है.

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