गुरुग्राम, हरियाणा के रयान इंटरनैशनल स्कूल में 7 साल का छात्र प्रद्युम्न सुबह के 7 बज कर 50 मिनट पर स्कूल में दाखिल हुआ और सुबह के ही 8 बजे उस की मौत की खबर आई. मातापिता ने अपना पेट काट कर महंगे पब्लिक स्कूल में प्रद्युम्न को भरती कराया था, लेकिन स्कूल मैनेजमैंट की लापरवाही से उन का चिराग हमेशा के लिए बुझ गया.

स्कूल मैनेजमैंट द्वारा बच्चे की मौत के लिए बस कंडक्टर को कुसूरवार बताया जाना न तो प्रद्युम्न के परिवार को स्वीकार है और न ही दूसरे बच्चों के मांबाप को. प्राइवेट स्कूलों में इस तरह की वारदातों और सरकार द्वारा कोई कार्यवाही न होने से मांबाप का इस स्कूल के प्रति मोह भंग होना लाजिमी है. दूसरी ओर मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल जिले में कलक्टर द्वारा अपने बच्चे का सरकारी स्कूल में दाखिला कराना एक अनूठी पहल है. दूसरे सरकारी मुलाजिमों, अफसरों द्वारा भी अपने बच्चों का सरकारी स्कूल में दाखिला कराने का सुखद नतीजा है कि टीचर रोज स्कूल आते हैं, पढ़ाई के लैवल में सुधार हुआ है व साफसफाई पर भी खास ध्यान दिया जा रहा है.

मध्य प्रदेश में शिवपुरी जिले की ‘शाला सिद्धि योजना’ में घोषित ‘चैंपियन स्कूल’ शासकीय प्राथमिक विद्यालय तानपुर में न केवल जिले के दूरदराज के गांवदेहात के बच्चे दाखिला ले रहे हैं बल्कि शिवपुरी शहर के प्राइवेट स्कूलों में पढ़ रहे छात्र भी नाम कटवा कर इस स्कूल में आने के लिए कोशिश कर रहे हैं.

ऐसे बच्चों के मांबाप का कहना है कि प्राइवेट स्कूलों के बढ़ते खर्चों और उन के बच्चों के साथ टीचरों के गैरइनसानी बरताव से नाराज हो कर अपने भी बच्चों को वे इस स्कूल में भरती करा रहे हैं.

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