विश्व भर में धर्म और सेक्स का चोलीदामन का साथ रहा है. धर्म की आड़ में देह की भूख मिटाने का खेल बड़ी खूबसूरती से खेला जाता रहा है. कहने को सेक्स के रिश्ते धर्म और ईश्वर के काम में बाधक बताए गए हैं. इबादतगाहों, ईश्वर के घरों में बैठे लोग शारीरिक वासना को पाप बताते हैं, ईश्वर प्राप्ति की राह में बाधा मानते हैं लेकिन ये पवित्र स्थल यौन शोषण के अड्डे बने दिखते हैं और यहां रहने वाले खुद इस खेल में लिप्त पाए जाते हैं.

दुनिया भर के कैथोलिक चर्च सेक्स स्कैंडलों को ले कर सब से अधिक बदनाम हैं. चर्च की दीवारों के अंधेरे में बच्चों, ननों और आम युवतियों की चीत्कारें, सिसकियां पादरियों की यौन संतुष्टि के आगे पहले पस्त और खामोश हो कर रह जाती हैं फिर बाद में अकसर उजागर भी हो जाती हैं. चर्च पर यौन शोषण के सांगठनिक अपराध के आरोप लगते रहे हैं. अमेरिका, फ्रांस, आस्ट्रेलिया, कनाडा, पोलैंड आदि में पादरियों के हजारों सेक्स स्कैंडल सामने आ चुके हैं. वेटिकन अरसे से इस समस्या का सामना कर रहा है.

यौन शोषण के बहुत सारे मामले चर्च के बड़े पादरियों द्वारा पुलिस में जाने से पहले ही संभाल लिए जाते हैं. 1992 में बिशपों की एक मीटिंग में स्वीकार किया गया था कि बहुत से मामले छिपे रह जाते हैं. 1985 में तो अमेरिका में पहली बार पादरियों का सेक्स स्कैंडल राष्ट्रीय मुद्दा बन कर उभरा था. उस समय लुसियाना का एक पादरी 11 बच्चों के यौन उत्पीड़न का दोषी पाया गया था. 1960 और 1970 के दशक में भी मेसाचुसेट्स के पादरी 41 मामलों में कसूरवार मिले थे.

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