नेपाल में भारी बारिश होने और पहाड़ी चट्टानों के खिसकने से हर साल बिहार में भारी तबाही मचती रही है. 2 अगस्त, 2016 को काठमांडू से सौ किलोमीटर उत्तरपूर्व भट्टकोसी जिले के पास जमीन खिसकने से सुनकोसी नदी में रुकावट आने से बहुत बड़ी झील बन गई थी, जिस में सौ फुट की ऊंचाई तक पानी जमा हो गया था.

नेपाली सेना रुकावट को ब्लास्ट के जरीए हटाने लगी, तो नेपाल से सटे बिहार के 8 जिलों में बाढ़ से भारी तबाही का मंजर पैदा हो गया. सुपौल, सहरसा, अररिया, मधेपुरा, पूर्णिया, खगडि़या, मधुबनी और भागलपुर जिले के कई इलाके बाढ़ में डूब गए.

झील की रुकावट को हटाने से 25 लाख क्यूसैक पानी पूरी रफ्तार से कोसी नदी में पहुंचने लगा था, जिस से 3 अगस्त, 2016 को कोसी नदी का जलस्तर 10 मीटर तक बढ़ गया था.

गौरतलब है कि नेपाल में भारी बारिश होने से साल 2008 में 18 अगस्त को बिहारनेपाल सीमा पर कुसहा बांध के टूटने से कोसी नदी में आई भयंकर बाढ़ ने काफी तबाही मचाई थी. बाढ़ की वजह से बिहार के 5 जिलों के 247 गांव पूरी तरह से गायब हो गए थे, 3 सौ लोगों की मौत हुई थी और 30 लाख लोग रातोंरात बेघर हो गए थे.

नेपाल की नदियों से हर साल बिहार में मचने वाली तबाही को कम करने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 15 सितंबर, 2016 को नई दिल्ली में नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल ‘प्रचंड’ से मिल कर सप्तकोसी नदी और सनकोसी नदी पर बांध बनाने के लिए बातचीत की थी.

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