कुछ दिन पहले नोएडा में घटी एक घटना में लिव इन पार्टनर ने अपनी प्रेमिका श्वेता की इमारत की 8वीं मंजिल से फेंक कर हत्या कर दी. प्रेमिका द्वारा बारबार शादी के लिए दबाव बनाने की वजह से आरोपी युवक ने इस हत्याकांड को अंजाम दिया. दिल्ली के सुल्तानपुरी में रहने वाले सुदामा उर्फ राजेश ने अपनी प्रेमिका मंजू का इसलिए कत्ल कर दिया, क्योंकि वह उस से एक बच्चा चाहता था. दूसरी ओर मंगोलपुरी में एक महिला ने अपने पार्टनर के रोजरोज शराब पी कर मारपीट करने से तंग आ कर खुदकुशी कर ली.

लिव इन रिलेशन में रह रहे पार्टनर की हत्या और खुदकुशी के नएनए मामले रोज सामने आ रहे हैं. ऐसे में इन रिश्तों को ले कर फिर से उंगलियां उठनी शुरू हो गई हैं. अहम सवाल यह है कि पश्चिम की इस परंपरा को तो हम ने स्वीकार कर लिया, लेकिन क्या हम अपनी पारंपरिक और दकियानूसी सोच से बाहर निकल पाए हैं.

इन तमाम मामलों पर गौर करें तो यही बात सामने आती है कि हम इस नए मौडल के साथ खुद को एडजस्ट करने में नाकाम साबित हुए हैं. यहां हम लिव इन सिस्टम पर कोई सवाल खड़े नहीं कर रहे हैं. इस की अपनी खूबियां और खामियां हैं, लेकिन जो भी मामले सामने आ रहे हैं उस से यही पता चलता है कि या तो हम पूरी तरह से इस सिस्टम को समझ ही नहीं पाए हैं या फिर इस के हिसाब से खुद को ढाल नहीं पाए हैं.

बढ़ रहा है रिश्ते का ग्राफ

एक स्त्री और पुरुष का बिना विवाह किए आपसी रजामंदी से एकसाथ रहने के रिश्ते को लिव इन रिलेशन कहते हैं. इस में एकसाथ रहने की कोई सामाजिक या आर्थिक मजबूरी नहीं होती और न ही कोई दबाव.

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