क्या रोजगार युवाओं का अधिकार है, इस सवाल से भी ज्यादा कठिन इस सवाल के जवाब का मिलना है कि क्या सभी बेरोजगार युवाओं, खासतौर से शिक्षितों, को रोजगार मुहैया कराना सरकार की ही जिम्मेदारी है. बेरोजगारी हर दौर में समस्या रही है, जिसे दूर करने का वादा आजादी के बाद की कांग्रेसी सरकारों से ले कर मौजूदा एनडीए सरकार अपनी बातों व भाषणों में करती रही है. युवाओं के हिस्से में लज्छेदार बातों और लुभावने वादों के सिवा कुछ नहीं आया.

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की एनडीए सरकार के साल 2014 के चुनाव में जीतने की एक बड़ी वजह युवा बेरोजगार थे जो तब की यूपीए सरकार से निराश हो चले थे. नरेंद्र मोदी ने एक करोड़ नौकरियां हर साल देने का वादा किया तो बेरोजगार युवाओं ने उन्हें भी मौका देने में हर्ज नहीं समझा. नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री तो बन गए लेकिन उन्होंने वादा नहीं निभाया. नतीजतन, अब बेरोजगारी चरम पर है और सरकार के प्रति युवाओं का गुस्सा फूट रहा है. युवा भड़ास का सामना करने से कतरा रही सरकार कैसेकैसे बहाने बना कर बगलें झांक रही है, यह बात भी अब छिपी नहीं रह गई है.

पिछले 4 सालों में बेरोजगार युवाओं के कई संगठन देश के विभिन्न राज्यों में बने हैं. इन्होंने सड़कों पर आ कर सरकार का विरोध करते अपनी बात कही है और अभी भी कह रहे हैं. ऐसा ही एक संगठन है बेरोजगार सेना, जिस के अध्यक्ष भोपाल के एक शिक्षित युवा अक्षय हुंका हैं. गठन के बाद बेरोजगार सेना से लगभग 50 हजार बेरोजगार युवा सक्रिय रूप से जुड़ चुके हैं. मध्य प्रदेश के मंडला जिले के रहने वाले अक्षय ने विदिशा के सम्राट अशोक अभियांत्रिकी संस्थान से एमसीए किया है. पढ़ाई के बाद उन्होंने देशविदेश की कई नामी कंपनियों में अच्छे पैकेज पर नौकरियां कीं और फिर भोपाल में अपनी सौफ्टवेयर कंपनी खोल ली. अपनी कंपनी के जरिए 7 वर्षों में वे एक हजार से भी ज्यादा बेरोजगारों को रोजगार दे चुके हैं. यहां प्रस्तुत हैं अक्षय हुंका से की गई बातचीत के प्रमुख अंश :

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