बात भले ही हल्के ढंग से कही गई हो पर है सच्ची. सोशल मीडिया पर वायरल होती पोस्ट की बातों पर यकीन करें तो उमा भारती की कुर्सी उनके बड़बोलेपन की वजह से बदली गई. उमा भारती को जब गंगा संरक्षण विभाग का मंत्री बनाया गया था तो उमा भारती ने बयान दिया था कि ‘वह गंगा को स्वच्छ और निर्मल करके ही दम लेंगी अगर ऐसा नहीं कर पाई तो पहले पद यात्रा करेंगी बाद में अपना जीवन त्याग देंगी’.

उमा भारती ने यह बात औन रिकार्ड कही और कई बार कही थी. केन्द्र सरकार के 3 साल बीत चुके हैं. गंगा में पानी के जहाज को चलाने और उसके जरीये यातायात का रास्ता खुलना तो दूर की बात है अभी तक गंगा की सफाई का कोई अतापता नहीं है. पूरे देश में गंगा की सफाई का दावा करने वाला गंगा जल सरंक्षण विभाग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में भी गंगा को पूरी तरह से साफ नहीं कर सका.

गंगा सफाई को लेकर सरकारी दावे और हकीकत में जमीन आसमान का अंतर है. बाकी बचे 2 साल में गंगा कितना साफ होगी यह पता चल रहा है. ऐसे में केन्द्र सरकार को हो सकता है कि इस बात का डर रहा हो कि गंगा सफाई के मुद्दे को विरोधी दल उमा भारती के जीवन देने वाले बयान से जोड़कर केन्द्र सरकार की आलोचना न शुरू कर दें. खासतौर पर जिस तरह से सोशल मीडिया पर इस मुद्दे ने जोर पकड़ा उससे यह साफ हो गया कि गंगा सफाई को लेकर उमा भारती के बहाने केन्द्र सरकार को घेरना सरल हो गया था. विभाग बदले जाने के बाद उमा भारती यह कह सकती हैं कि उनको पूरा मौका नहीं मिला इसलिये वह गंगा को साफ नहीं कर पाईं.

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