प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ट्विटर पर सब से ज्यादा लोग भारत में फौलो करते हैं और सब से अधिक 10 में से शेष 9 ऐक्टर व खिलाड़ी हैं. यह संयोग ही नहीं है कि ट्विटर पर नरेंद्र मोदी ऐक्टरों व क्रिकेटरों की गिनती में आते हैं. ट्विटर पर फौलो करने वाले आमतौर पर वे लोग हैं जिन्हें सुबह से शाम तक काम की फिक्र कम, मोबाइल पर बटन दबाने की चिंता ज्यादा होती है. वे सितारों और खिलाडि़यों के साथ जुड़ कर समय बरबाद कर फालतू में ही खुश होते हैं.

देश का प्रधानमंत्री अपनी लोकप्रियता ट्विटर से नहीं, जनता की भावनाओं से सिद्ध करता है. जिस प्रधानमंत्री के फैसलों से जनता खुश होती है, वहां खुदबखुद पता चल जाता है. वहां विपक्ष में बैठे लोग भी फैसलों का आदर व सम्मान करते हैं.

अभिनेता शाहरुख खान और अक्षय कुमार किसी की जिंदगी पर कोई प्रभाव नहीं छोड़ते लेकिन प्रधानमंत्री का हर कदम, हर फैसला, हर वक्त कभी कुछ की तो कभी पूरे देश की जिंदगी बदल देता है.

ट्विटर अगर सफलता का पैमाना होता तो 10 में से शेष 9 के कुछ करने का भी असर देश पर पड़ता. सच यह है कि विराट कोहली हों या दीपिका पादुकोण, इन के कुछ भी करने से देश का एक पत्ता भी नहीं हिलता. ये स्क्रीन या स्टेडियम पर कुछ भी कर लें, देश में उन के कहनेकरने से न सड़कें बनती हैं, न न्याय मिलता है, न विकास होता है.

क्या जनता 10वें को भी ऐसा ही समझती है?

आबादी का राजनीतिक लाभ

जो लोग दुनिया की बढ़ती आबादी से चिंतित हो रहे हैं उन्हें अब राहत का एहसास होगा कि चीन में 40 वर्षों से चल रही एक बच्चे की नीति को ढीला करने के बावजूद वहां बच्चों की जन्मदर बढ़ने की जगह घट ही रही है. 2016 में 1.86 करोड़ बच्चे पैदा हुए थे जबकि 2017 में घट कर 1.72 करोड़ बच्चे ही पैदा हुए. ऐसे में वहां कामकाजी लोगों की कमी महसूस की जाने लगी है.

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