मध्य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य जिले छिंदवाड़ा से कोई 12 किलोमीटर दूर नागपुर रोड पर लगभग 2,000 की आबादी वाला एक गांव है शिकारपुर. गांव के बाहर सड़क पर एक तख्ती पर तीर का निशान लगा है जो बताता है कि यह रास्ता कमलकुंज की तरफ जाता है. इस तख्ती को देखते ही वाहन धीमे हो जाते हैं. बसें हों या कारें उन में मौजूद लोग झांकझांक कर देखने की कोशिश करते हैं कि कमलकुंज की भव्यता, जिस के चर्चे उन्होंने सुने हैं, यहां से दिखती है या नहीं.

लगभग 20 एकड़ रकबे से घिरा कमलकुंज मध्य प्रदेश के नए कांग्रेस अध्यक्ष 71 वर्षीय कमलनाथ का निवास है. कमलकुंज की भव्यता किसी महल से कम नहीं है, इस में आधुनिक सुखसुविधाओं और विलासिता के तमाम साधन मौजूद हैं.

कमलनाथ साल 1980 से छिंदवाड़ा से लगातार सांसद रहे हैं. अपवादस्वरूप एक बार ही वे यहां से हारे हैं. छिंदवाड़ा के वोटर्स की कांग्रेस के प्रति प्रतिबद्धता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आपातकाल के बाद 1977 में हुए आम चुनावों में पूरे मध्यउत्तर भारत में कांग्रेस ने जो इकलौती सीट जीती थी वह छिंदवाड़ा ही थी.

तब कांग्रेस और इंदिरा विरोधी लहर में जीत का परचम कमलनाथ ने नहीं, बल्कि तत्कालीन सांसद गार्गी शंकर मिश्र ने लहराया था. गार्गी शंकर मिश्र अब नहीं रहे लेकिन उन का छोड़ा यह गढ़ और मजबूत हुआ है जिस का श्रेय कमलनाथ को जाता है. 1980 के आम चुनाव में एक सांवला, दुबलापतला नौजवान कांग्रेस आलाकमान यानी इंदिरा और संजय गांधी ने यहां उम्मीदवार बना कर भेजा था, जिस का नाम था कमलनाथ.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 महीना)
USD2
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...