प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में ‘औपरेशन ग्रीन योजना’ की शुरुआत करना चाहते हैं. इस योजना को प्रधानमंत्री ने ‘टौप’ कहा है. खेती से जुड़ी इस योजना में टी यानी टमाटर, ओ मतलब ओनियन और पी मतलब पोटैटो को शामिल कर इसे टौप कहा गया है.
देश में इस से पहले श्वेतक्रांति और हरितक्रांति किसानों के लिए बनी थीं. श्वेतक्रांति में दूध और डेयरी को प्राथमिकता दी गई थी तो हरितक्रांति में अनाज उत्पादन पर जोर था. दोनों ही योजनाओं का प्रभाव यह पड़ा कि देश के किसानों ने अपनी मेहनत व लगन से इन को सफल बनाया. देश को अनाज और दूध के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया. देश के किसान की सब से बड़ी त्रासदी यह है कि जैसे ही वह पैदावार को बढ़ाता है, फसल के दाम घट कर माटी के मोल हो जाते हैं, जिस से उसे लागत मूल्य भी नहीं मिल पाता है.
सरकार हर बार समर्थन मूल्य दे कर यह दिखाती है कि वह किसानों पर बहुत बड़ा उपकार कर रही है. समर्थन मूल्य की घोषणा सरकार एक राजा के अंदाज में करती है जिस से लगता है कि वह किसानों पर उपकार कर रही है. सरकार के पास समर्थन मूल्य को घोषित करने का कोई फार्मूला नहीं है. समर्थन मूल्य लागू करने को ले कर कोई भी सरकार स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू नहीं करना चाहती. भाजपा ने अपने चुनावी वादे में कहा था कि वह स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करेगी. किसानों को एक झुनझुना देने के लिए सरकार ने कहा कि साल 2022 तक किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी. यह एक ऐसी बात है जिस को न समझा जा सकता है, न समझाया जा सकता है.