पनामा पेपर्स लीक को ले कर एक और देश के मुखिया को सत्ता से बेदखल होना पड़ा है. पनामा पेपर्स में सामने आए विश्वभर के भ्रष्ट नेताओं में शुमार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को वहां के सुप्रीम कोर्ट ने पद से हटा दिया है. कोर्ट ने शरीफ को पद से हटने का आदेश तो दिया ही, भविष्य के लिए उन्हें अयोग्य भी करार दिया है. कोर्ट के फैसले से शरीफ के परिवार का सियासी भविष्य अधर में लटक गया है.

पनामा पेपर लीक मामले पर कोर्ट का फैसला पाकिस्तान की राजनीति की एक ऐतिहासिक घटना है. देश के प्रमुख पद पर बैठे नवाज शरीफ ऐसे शख्स हैं जिन्हें खोजी पत्रकारिता का शिकार होना पड़ा है.

अदालत द्वारा अयोग्य ठहराने का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले पाकिस्तान में अगस्त 1990 में बेनजीर भुट्टो को 18वें संशोधन के तहत हटा दिया गया. जून 2012 में यूसुफ रजा गिलानी को भी सुप्रीम कोर्ट अयोग्य ठहरा चुका है.

इस से पहले आइसलैंड के प्रधानमंत्री सिग्मुंदुर डेविड को पद छोड़ना पड़ा था. पनामा पेपर्स लीक को ले कर विदेशों में कालाधन जमा करने की जांच कर रहे संयुक्त जांच दल यानी जेआईटी की रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने नवाज शरीफ सरकार के वित्त मंत्री इशाक डार और नैशनल असैंबली के सदस्य कैप्टन मुहम्मद सफदर को भी उन के पदों से अयोग्य ठहराया है.

कोर्ट के 5 जजों की बैंच ने साफ निर्देश दिए कि नवाज शरीफ, उन की बेटी मरियम, बेटे हुसैन और हसन के खिलाफ 6 हफ्तों में मुकदमा दर्ज किया जाए. साथ ही, पाकिस्तान की शीर्ष भ्रष्टाचार निरोधी संस्था राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो को 6 माह में जांच पूरी करने को कहा गया है.

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