चीन की हिस्सेदारी वाली कंपनी पेटीएम के बहाने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरते हुए लालू प्रसाद यादव कहते हैं कि ऐसा कोई प्रधानमंत्री होता है क्या, जो दूसरे देश की कंपनी का प्रचार करते हुए कहता है कि पेटीएम कर लो पेटीएम. ठेठ लहजे में पेटीएम का मतलब समझाते हुए वे आगे कहते हैं कि पेटीएम यानी पे टू मी. मतलब, मुझे पैसा दो. ऐसा प्रधानमंत्री तो कभी देखा ही नहीं. नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री की गरिमा का तो खयाल रखना चाहिए.

राहुल गांधी के सामने नरेंद्र मोदी बौने दिखने लगे हैं. इसे साबित करने के लिए लालू प्रसाद यादव कहते हैं कि वाराणसी की सभा में नरेंद्र मोदी ने राहुल गांधी की खिल्ली उड़ाई थी. उस के तुरंत बाद राहुल गांधी ने जौनपुर में सभा की थी, तो उस में ‘मोदी मुरदाबाद’ के नारे लगने लगे. राहुल गांधी ने बड़प्पन दिखाते हुए नारे लगाने वालों को रोक दिया. उन्होंने मुरदाबाद का नारा लगाने वालों से कहा कि नरेंद्र मोदी हमारे प्रधानमंत्री हैं और उन के खिलाफ ऐसा नारा नहीं लगाना चाहिए. विरोध विचारों का है और भारतीय जनता पार्टी को चुनाव से ही हराना है.

नोटबंदी का हाल भी नसबंदी जैसा ही होगा. नसबंदी की वजह से कांग्रेस को सत्ता गंवानी पड़ गई थी और अब नोटबंदी की वजह से जनता भाजपा को सत्ता से उखाड़ फेंकेगी. प्रधानमंत्री ने 90 फीसदी लोगों को गरीब बना दिया है.

एक के बाद एक ताबड़तोड़ सभाएं, बैठकें, धरने वगैरह कर के लालू प्रसाद यादव एक बार फिर अपने पुराने रंग में लौटते नजर आने लगे हैं. देश और राज्य के मसलों पर वे खुल कर अपनी राय रखने लगे हैं और अपने वोटरों को नए सिरे से गोलबंद करने में लगे हैं. खुद को और अपनी पार्टी को नीतीश कुमार की छाया से निकालने की कवायद में लग गए हैं और पूरे ठसक के साथ जनता से रूबरू होने लगे हैं.

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