मध्यप्रदेश की औद्योगिक राजधानी इंदौर से 40 किलोमीटर दूर बसे कस्बे देपालपुर के गांव शाहपुरा के एक किसान सीताराम गेहलोत इन दिनो बेहद खुश हैं. जो भी सुनता है उनके गांव की तरफ भागता है. सीताराम ने काला गेंहू बोया है जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं और जो जानते हैं वह बड़ा दिलचस्प और हैरतअंगेज है कि इस गेंहू की बनी रोटी खाने से न केवल कैंसर जैसी लाइलाज बीमारी ठीक होती है बल्कि दूसरी कई डायबिटीज़, मोटापा और हाइ ब्लडप्रेशर सरीखी बीमारियाँ भी दूर होती हैं. कहा तो यह भी जा रहा है कि काला गेंहू खाने से तनाव भी दूर होता है और दिल की बीमारी यानि हार्ट अटैक भी नहीं होता.

सीताराम गेंहू की यह अनूठी किस्म पंजाब के नेशनल एग्री फूड बायोटेक्नालाजी इंस्टीट्यूट यानि एनएबीआई से लाये हैं. जिसे नाबी भी कहा जाता है. गेहूं का रंग हरे और पकने के बाद पीले के अलावा भी कुछ और खासतौर से काला हो सकता है इस बात पर भरोसा करना मुश्किल काम है. लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि काले रंग का गेहूं होता है पर क्या वह वाकई उतना चमत्कारी होता है जितना बताया जाता है, यह जरूर शक वाली बात है.

lie on black wheat

सीताराम गेहलोत काले गेंहू के बीज के लिए 2 साल से नाबी के चक्कर काट रहे थे, तब कहीं जाकर इस साल उन्हें 5 किलो बीज मिला जिसे वे श्री विधि से उगा रहे हैं इस विधि में फसलों की पैदावार ज्यादा होती है और फसल पर तेज हवा और पानी का असर नहीं होता.

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