पंजाब नैशनल बैंक में 11,394 करोड़ रुपए के घोटाले के परदाफाश होने से स्तब्ध जनता उबर भी नहीं पाई थी कि 900 करोड़ रुपए के रोटोमैक और फिर ओरिएंटल बैंक औफ कौमर्स से 390 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी से वह और भी सन्नाटे में है. भ्रष्टाचार मुक्त देश, स्वच्छ भारत और ईमानदारी पर बड़ेबड़े दावे करने वाले नेता खामोश हैं. सरकार विपक्ष के निशाने पर है. इन घोटालों से सरकार चौतरफा घिर गई है.

नोटबंदी, जीएसटी जैसे निर्णयों के साथ अर्थव्यवस्था में ईमानदारी व सुधारों के सरकारी दावे खोखले साबित हो रहे हैं. कहां तो विदेशों में जमा कालेधन को वापस लाने के वादे किए जा रहे थे और आज देश का सफेदधन ले कर भागने वाले कतार में दिख रहे हैं. ऐसे में जनता की ईमानदारी पर सरकार पर सवाल उठाने लगी है.

पीएनबी में घोटाले का यह मामला पिछले 7 वर्षों से चल रहा था लेकिन किसी को भी इस का पता नहीं चल पाया. देश के इस सब से बड़े बैंक घोटाले के बारे में बताया जा रहा है कि लेनदेन में हुए फर्जीवाड़े से कुछ खास लोगों को फायदा पहुंचाया गया है.

हीरो के व्यापार का किंग माना जाने वाला नीरव मोदी और उस के साथियों ने 2011 में बिना तराशे हीरे आयात करने के वास्ते लाइन औफ क्रैडिट के लिए पंजाब नैशनल बैंक की मुंबई स्थित ब्रेडी हाउस ब्रांच से संपर्क किया था. आमतौर पर बैंक विदेश से आयात को ले कर होने वाले भुगतान के लिए लैटर औफ अंडरटेकिंग (एलओयू) जारी करता है. इस का अर्थ है कि बैंक नीरव मोदी के विदेश में मौजूद सप्लायर को 90 दिनों के लिए भुगतान करने पर राजी है और बाद में पैसा नीरव को चुकाना है. पर बैंक के कुछ कर्मचारियों ने नीरव मोदी की कंपनियों को फर्जी एलओयू जारी किए और ऐसा करते वक्त उन्होंने बैंक प्रबंधन को अंधेरे में रखा.

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