जेलों में मारपीट, मोबाइल से लेकर तमाम अवैध चीजों की बरामदगी आम बात है और हर घटना के बाद प्रशासन का मौन साध लेना भी उतना ही आम है. लेकिन एक अतिसुरक्षित मानी जाने वाली जेल की बैरक के अंदर एक कुख्यात अपराधी को गोलियों से भून देना आम नहीं माना जा सकता, इसलिए बुरी तरह चौंकाता भी है.

उत्तर प्रदेश की बागपत जेल में पूर्वांचल के कुख्यात माफिया डौन प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी की जिस तरह हत्या हुई, उसने सूबे की कानून-व्यवस्था के साथ ही जेलों में अव्यवस्था की पोल भी खोल दी है. तमाम आशंकाओं और आरोपों के बीच मुन्ना बजरंगी रविवार को ही झांसी जेल से बागपत जेल लाया गया था.

उसे पूर्व बसपा विधायक लोकेश दीक्षित से रंगदारी मांगने के आरोप में सोमवार को कोर्ट में पेश होना था. जेल से पेशी पर जाते या लौटते वक्त बंदियों पर हमले नई बात नहीं, लेकिन पेशी से पहले और एक ही दिन पूर्व दूसरी जेल से लाए गए माफिया की बैरक में ही इस तरह हत्या कई सवाल छोड़ती है.

सब कुछ इतना फिल्मी है कि किसी को इल्म भी न हुआ और एक गहरी पटकथा लिखकर उसे अंजाम भी दे दिया गया! इस हत्याकांड ने लखनऊ के सीएमओ हत्याकांड के अभियुक्त डिप्टी सीएमओ योगेंद्र सचान की लखनऊ सेंट्रल जेल में ‘आत्महत्या’ की याद दिला दी, जिसके बारे में माना गया कि तमाम राज उनके साथ खत्म हो गए थे.

उत्तर प्रदेश पुलिस का बड़ा सिरदर्द मुन्ना नवंबर 2005 में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के बाद सुर्खियों में आया. इस हत्याकांड में राय के अलावा 6 और लोग मारे गए थे. यह इतना क्रूर हत्याकांड था कि हर मृतक के शरीर पर 60 से सौ गोलियों के निशान पाए गए थे.

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