सरकारी कर्मचारियों के बढ़ते बोझ और उन की बढ़ती गैरजिम्मेदारी व रिश्वतखोरी से भारत ही नहीं, अमेरिका भी परेशान है. अमेरिका की केंद्र, राज्य व लोकल सरकारों का बजट का खासा हिस्सा उन के कर्मचारियों की देखरेख में लग जाता है. जिस काम के लिए उन्हें रखा गया वह पूरा ही नहीं हो पाता. अमेरिका में अब पिज्जा बनाने वाली डौमिनो कंपनी ने शहरों की दशकों से ठीक नहीं हुई सड़कों को ठीक करने का जिम्मा उठाने की पेशकश की है.

डौमिनो का कहना है कि वह नहीं चाहती कि सड़कों पर हुए गड्ढों के चलते उस का पिज्जा उस के ग्राहकों तक पहुंचने से पहले एक तरफ लुढ़क जाए और उस की टौपिंग पिज्जा के बौटम में चली जाए. इसलिए वह अपने मुनाफे में से सड़कों को ठीक कराएगी. उस की इस पेशकश को अमेरिका के 4 शहर मान भी गए हैं. अमेरिका के शहर अपनेआप में खासे स्वतंत्र होते हैं और पुलिस भी उन की अपनी होती है.

डौमिनो, अमेजौन, डिज्नी, गूगल, फेसबुक जैसी कंपनियां अब धन्ना सेठ बन गई हैं और वे शहरों की सरकारों को तो क्या, कई बड़े देशों की केंद्र सरकार तक को खरीद सकने की हैसियत रखती हैं, ऐसा लगता है. उन्होंने लाखों कर्मचारियों को रखना शुरू कर दिया है.

20-25 वर्षों पहले ऐसी कंपनियां कमाती थीं. वे जो कुछ नया खोज कर पाती थीं, उस का उत्पादन करती थीं, जीवन को सुधारती थीं, बस. अब डौमिनो, मैक्डोनल्ड, नैटफ्लिक्स, गूगल, फेसबुक जैसी कंपनियां तो आर्थिकतौर पर सरकारों का मुकाबला कर रही हैं जबकि कुल मिला कर वे नागरिकों को बहलाफुसला कर ही पैसा कमा रही हैं, कुछ ठोस दे कर नहीं. इन के चलते लोगों की मेहनत का पैसा बरबाद हो रहा है. वे कुछ नया नहीं कमा पा रहे हैं.

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