अमेरिकी समाज को जोड़ने वाला गोंद अब पिघल चुका है. यह लास वेगास में 59 साल के स्टीफन पैडोक द्वारा एक होटल की 32वीं मंजिल से एक संगीत कंसर्ट में आए निहत्थे लोगों पर सैकड़ों गोलियां बरसाने से साबित हो रहा है.

स्टीफन पैडोक पिछले हत्यारों की तरह न गरीब था, न सिरफिरा युवा, वह करोड़पति था और लाखों रुपयों की बंदूकें उस के पास से मिली हैं. वह हाल में मुसलमान बना पर अब तक यह सुबूत नहीं मिला कि उसे किसी ने उकसाया. उस का भाई, जो उस का बिजनैस पार्टनर भी था, अचंभित है कि स्टीफन ने ऐसा, इतने सुनियोजित ढंग से क्यों किया.

स्टीफन ने अपने कृत्य के लिए न केवल मनपसंद होटल चुना, उस ने कौर्नर का रूम भी लिया और वह एकएक कर के कई बंदूकें कमरे में ले आया. उस ने बंदूकों को मशीनगनों में तबदील किया. वह तकनीक में दक्ष था और उस के 2 हवाईर्जहाज थे. वह दक्ष पायलट भी था. उस के मन में किसी के प्रति घृणा थी, यह जांच करने वाले अभी पता नहीं कर पाए हैं.

अमेरिकी समाज अब गहरे, गंदले पानी में डूब रहा है. अमेरिका अपराध का साम्राज्य तो था पर वहां की स्वतंत्रता, नागरिक भावना, कर्तव्यनिष्ठा, मेहनत, अद्भुत खोजी प्रवृत्ति के आगे अपराधी तत्त्व वहां के समाज पर हावी न हो पाए. अमेरिका में अपने समाज के दुर्गुणों को जगजाहिर करने की अद्भुत प्रतिभा थी जिस से वह गलतियों को ठीक कर सकता था.

लगता है, समाज को तोड़ने में मोबाइल क्रांति ने नया काम किया है. पिछले दशकों में जिस तरह से अमेरिका ने साइंस फिक्शन के नाम पर हत्याअपराध को अपनाया है, साहित्य के नाम पर झूठे चमत्कारों से पटी हैरी पौटर शृंखला को अपनाया है, आमजन ने गंभीर समाचारपत्रों को नकारा है, प्लेबौय से भद्दे पौर्न को अपनाया है उस से यह लग रहा है कि अमेरिका भटक रहा है.

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