ऐसा लगता है कि भारतीय जनता पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनावों और बाद में कई विधानसभाओं में मिली जीतों के इनाम में अपने वर्करों को हुड़दंग मचाने और पीटने का हक दे दिया है. हर उस राज्य में जहां भाजपा सरकार है, रक्षकों की एक फौज पैदा हो गई है जो कभी गाय, कभी लव जेहाद, कभी देशभक्ति, कभी भारत माता, कभी वैलेंटाइन डे के विरोध में तो कभी पूजा करने या न करने के हक को ले कर खुलेआम पीटपीट कर किसी को भी मार तक सकती है. कानून इस कदर अंधा हो गया है कि पीटने वालों को आमतौर पर पकड़ा नहीं जाता. जिन पर आरोप लगते भी हैं, उन का तो मंत्री तक हार पहना कर सम्मान करते हैं.

वर्करों को कुछ देना बहुत जरूरी होता है ताकि वे पार्टी के साथ बने रहें. कांग्रेस ने 1947 के बाद अपने वर्करों को स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर सुविधाएं, पैंशन, सम्मान दिए थे. कम्यूनिस्टों ने हड़ताल कराने के हक अपने वर्करों को दिए थे. कांग्रेस ने अपने वर्करों को सरकारी कंपनियों में नौकरियां भी दिलवाई थीं.

भाजपा के पास न नौकरियां हैं, न पीटने वालों को पैंशनें दी जा सकती हैं इसलिए उस ने शायद उन्हें पीटने का बिना कहे लाइसैंस दे दिया है. कुकुरमुत्तों की तरह देशभर में भगवा दुपट्टाधारी लिंचिंग करने लगे हैं और पुलिस इस लिंचिंग का मत लेती है. अलवर में एक मुसलिम गौ व्यापारी को पीटपीट कर मारने की ताजा घटना है. इसी के 2 दिन बाद गाजियाबाद में एक मुसलिम युवक को हिंदू लड़की से शादी करने की कोशिश में पीटा गया.

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