बसंत का मौसम रंगीन फूलों और खिली धूप का होता है और जब शरीर पर बसंती रंग चढ़ता है तो फिर वही आभा खिलती है जो प्रकृति में खिलती है. बसंती बदन पर हजारों कवियों ने वैसा ही लिखा है जैसा बसंती प्रकृति पर लिखा है. दोनों ही खुशनुमा होते हैं. नई आभा देते हैं, एक खुशबू देते हैं और भविष्य के लिए चमचमाहट का रास्ता बनाते हैं.

ये दिन बारबार नहीं आते. हर किशोर के बसंती साल दोचार ही होते हैं. फिर जिम्मेदारियों और स्पर्धा का काल शुरू हो जाता है. इन दिनों में अपनी खुशबू फैलाएं और रंगों को बिखेरें. यह हर किशोर का ध्येय होना चाहिए.

यह खुशबू बहुत कीमती होती है. इसी का इंतजार पूरे वर्ष रहता है. जब चारों ओर एक सुखद माहौल छाया रहता है. इसी तरह की खुशबू हर व्यक्ति के जीवन में केवल एक बार किशोरावस्था के आसपास आती है और कोई उसे छोड़े तो उस की गलतफहमी दूर करनी चाहिए.

बहुत बसंती किशोर कलपने लगते हैं कि उन के पास यह नहीं है, वह नहीं है. कोई अपने शरीर से परेशान रहता है, कोई कपड़ों से, कोई गैजेट्स से तो कोई जेबखर्च से, पर अगर इन को दिल पर हावी न होने दें तो यह कीमती समय सालों तक याद रह सकता है. इन दिनों की दोस्ती निश्छल होती है और बारबार जीवन में महक लाती है. इन दिनों का सुखद काम आप के भविष्य को बनाता है. इन दिनों का ज्ञान भविष्य का रास्ता बनाता है. जैसे इन दिनों पौधे अपने फूलों के बीज चारों ओर बिखरते हैं वैसे ही इन दिनों का काम चारों ओर याद रहता है.

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