20 साल की क्षमा प्रिया के हाथों की मेहंदी का रंग अभी सुर्ख ही था और उस का सुहाग उजड़ गया. कुछ समय पहले ही क्षमा ने दिवाकर  के नाम की मेहंदी रचाई थी. उस के पति दिवाकर की मौत नक्सली हमले में हो गई. जैसे ही उस के भाई विपिन ने उसे दिवाकर की मौत के बारे में खबर दी कि समूचा घर चीखपुकार में डूब गया.

क्षमा रोतेबिलखते हुए बारबार यही कह रही थी, ‘‘मेरे दिवाकर को कुछ नहीं हुआ है... वह ठीक है... लोग हमारी शादी से जलते हैं, इसलिए झूठी बातें फैला रहे हैं... क्यों मार दिया मेरे पति को? ऐ नक्सली, हम ने आप का क्या बिगाड़ा था... बताइए...’’ इतना कहतेकहते वह फिर से बेहोश हो गई.

लोग उसे होश में लाने की कोशिश करते हैं. उसे चुप कराने की कोशिश करते रहे, पर उस की सिसकियां और हिचकियां रुकने का नाम ही नहीं ले रही थीं. वह आसपास खड़े हर किसी को उम्मीद भरी नजरों से देखती है कि कोई तो कह दे कि उस का पति जिंदा है. उस के बाद वह फिर से दहाड़ें मार कर रोने लगती.

दिवाकर कुमार की मां सुनीता देवी और पिता तुनकलाल तिवारी को तो मानो काठ मार गया है. 5 औलादों में से उन का एक बेटा शहीद हो गया था.

दिवाकर कुमार बिहार के खगडि़या जिले के परबत्ता ब्लौक के झंझरा गांव का रहने वाला था. 27 जून, 2016 को उस की शादी गोपालपुर मानसी टोला के रहने वाले राजेश्वर प्रसाद की बेटी क्षमा प्रिया से हुई थी.

इसी तरह 30 साल की मीरा की जिंदगी में भी नक्सलियों ने अंधेरा फैला दिया है. उस के पति अनिल कुमार सिंह ने नक्सली मुठभेड़ में अपनी जान गंवा दी है.

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