हमारे देश में लोग संतों और महात्माओं को इतनी ज्यादा अहमियत देते हैं कि गरीब लोग भी दिनरात मेहनत कर के खुद रूखासूखा खा कर अपनी जिंदगी गुजारते हैं, मगर इन की सेवा में वे अपना सबकुछ गंवा देते हैं. उन की इसी सेवाभक्ति को देख कर जब किसी को कोई रोजगार नहीं मिलता है, तो वह साधुमहात्मा बन कर ऐशोआराम की जिंदगी बिताता है.

एक 40 साला तथाकथित महात्मा ने बताया कि पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के कई साल बाद भी जब उन्हें कहीं नौकरी नहीं मिली, तो वे परेशान हो कर एक महात्माजी के पास चले गए और आश्रम में रह कर उन की सेवा करने लगे.

उस आश्रम में बड़ेबडे़ नेता, अफसर व सेठसाहूकार उन महात्मा की शरण में आते थे और उन्हें भारीभरकम दक्षिणा देते थे. उन की खूबसूरत बीवीबहन, बेटियां भी उन महात्मा की खूब सेवा किया करती थीं. कई लोग तो महात्मा की सेवा के लिए अपने घर की औरतों को आश्रम में भी छोड़ जाते थे.

एक रात वे 40 साला महात्मा आश्रम में ही बने अपने कमरे में सो रहे थे, तभी एक 30 साला खूबसूरत औरत उन के कमरे में आ कर उन्हें जगाते हुए बोली कि उसे बड़े महात्माजी ने सेवा के लिए भेजा है.

उस औरत की समस्या यह थी कि शादी के 2 साल बाद भी उसे कोई औलाद नहीं हुई थी.

उस औरत ने उन से यह भी कहा कि आप के आशीर्वाद से वह जल्द ही मां बन सकती है. इतना कह कर वह उन के पैर दबाने लगी.

पैर दबाने के बाद उस औरत ने महात्मा के शरीर की मालिश करने के लिए उन के कपड़े उतार दिए थे. काफी देर मालिश कर के वह बगल में ही लेट कर उन के बदन पर अपने नाजुक हाथों को फेरते हुए अपने मुंह को कानों पर ला कर कोयल जैसी मीठी आवाज में पूछ रही थी कि वह इस सेवा से मां तो बन जाएगी न?

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 महीना)
USD2
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...