मेजर अमित द्विवेदी की पोस्टिंग दिल्ली में आर्मी की इंजीनियरिंग विंग में थी. वहां से करीब 3 किलोमीटर दूर उन्हें दिल्ली कैंट की औफिसर्स कालोनी में सरकारी आवास मिला हुआ था. उन का घर से औफिस आनाजाना सरकारी जिप्सी से होता था. घर से औफिस का रास्ता केवल 20 मिनट का था. 23 जून, 2018 को अमित द्विवेदी अपने औफिस से दोपहर करीब 2 बजे घर पहुंचे.

मेजर द्विवेदी घर पहुंचे तो उन की पत्नी शैलजा दिखाई नहीं दी. उन्होंने अपने 6 वर्षीय बेटे अयान से शैलजा के बारे में पूछा. अयान ने बताया कि मौम अभी अस्पताल से नहीं लौटी हैं. शैलजा को अस्पताल में इतनी देर नहीं लगनी चाहिए थी, इसलिए मेजर अमित को थोड़ी चिंता हुई.

दरअसल, शैलजा की एड़ी में दर्द रहता था, जिस का इलाज आर्मी के बेस अस्पताल में चल रहा था. दर्द की वजह से वह कई दिनों तक अस्पताल में भरती भी रही थीं. बाद में उन्हें फिजियोथेरैपी के लिए रोजाना अस्पताल जाना पड़ता था. हर रोज वह पति के औफिस जाते समय उन की जिप्सी से अस्पताल चली जाती थीं. फिजियोथेरैपी के बाद वह पति के ड्राइवर पवन को फोन कर देती थीं. पवन जिप्सी ले कर अस्पताल पहुंच जाता था और वहां से शैलजा को घर छोड़ने के बाद औफिस लौट जाता था.

उस दिन शैलजा को अस्पताल में अपना एमआरआई कराना था, जिस के लिए उन्हें देर से अस्पताल जाना था. उस दिन वह पति के साथ नहीं गई थीं. बाद में उन्होंने ड्राइवर पवन को बुला लिया था. रोजाना की तरह उस दिन वह जिप्सी को अस्पताल के अंदर न ले जा कर अस्पताल के गेट पर ही उतर गई थीं. ड्राइवर वहीं से वापस चला गया था.crime story in hindi major ka khooni ishq

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 महीना)
USD2
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...