राजीव कुमार नोएडा स्थित एचसीएल कंपनी में सौफ्टवेयर इंजीनियर थे. वैसे वह हरिद्वार के अंतर्गत नंदग्राम के मूल निवासी थे. उन की नौकरी नोएडा में थी इसलिए वह पत्नी और बच्चों के साथ नोएडा में ही रह रहे थे. उन के बच्चों के स्कूल की छुट्टियां चल रही थीं. पत्नी और बच्चे नंदग्राम (हरिद्वार) गए हुए थे.

बीवीबच्चों के चले जाने के बाद राजीव नोएडा स्थित अपने फ्लैट पर अकेले रह गए थे. 24 मई को राजीव कुमार का जन्मदिन था. उन्होंने जन्मदिन अपने बीवीबच्चों के साथ नंदग्राम में मनाने का प्रोग्राम बनाया. उन्होंने सोचा कि 23 मई को ड्यूटी करने के बाद वह सीधे हरिद्वार के लिए निकल जाएंगे.

उन्होंने यही किया भी. 23 मई को ड्यूटी खत्म होने के बाद वह कंपनी की कैब से नोएडा से गाजियाबाद के राजनगर एक्सटेंशन पहुंच गए. यहां से उन्हें बस द्वारा हरिद्वार जाना था. लिहाजा वह वहीं पर खड़े हो कर हरिद्वार जाने वाली बस का इंतजार करने लगे.

वहां खड़ेखडे़ उन्हें काफी देर हो गई लेकिन हरिद्वार जाने वाली कोई बस नहीं आई. वह परेशान थे कि घर कैसे पहुंचेंगे. रात करीब सवा 12 बजे उन के सामने एक कार आ कर रुकी. कार का चालक हरिद्वार जाने की आवाज लगाने लगा. साथ ही वह वहां मौजूद लोगों से हरिद्वार जाने के बारे में पूछने भी लगा.

ड्राइवर ने जब राजीव से हरिद्वार जाने के बारे में पूछा तो उन्होंने पहले तो मना कर दिया. लेकिन जब कार की तरफ देखा तो उन्हें पहले से ही कुछ सवारियां बैठी दिखाई दीं. इस से राजीव को तसल्ली हो गई कि यदि वह कार से जाएं तो वह अकेली सवारी नहीं होंगे. साथ में दूसरी सवारी भी रहेंगी. इस के बाद वह उस कार में बैठ गए.

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