गांवदेहात की रहने वाली अनीता ने रोजगार संबंधी एक अखबार में 8वीं जमात पास लोगों के लिए आंगनबाड़ी सहायिकाओं की भरती का इश्तिहार देखा, जिस के लिए 3 सौ रुपए के आवेदन शुल्क की मांग की गई थी, जो शिक्षा विकास संस्थान, मेरठ में बैंक ड्राफ्ट के जरीए भेजनी थी. उस इश्तिहार में हर ग्राम पंचायत में आंगनबाड़ी सुपरवाइजर, आंगनबाड़ी वर्कर व आंगनबाड़ी सहायिकाओं के पदों के लिए अर्जी मांगी गई थी.

अनीता ने फार्म खरीद कर तय शुल्क के साथ शिक्षा विकास संस्थान, मेरठ को नौकरी के लिए अर्जी भेजी, लेकिन अर्जी भेजने के एक साल बाद भी जब उक्त पद के लिए कोई बुलावा नहीं आया, तो उन्होंने इश्तिहार में दिए गए फोन नंबर पर बात करने की कोशिश की. लेकिन सभी फोन नंबर स्विच औफ थे.

जब अनीता ने अपने आसपास के गांवों में पता किया, तो पता चला कि कई औरतों ने इस पद के लिए अर्जी दी थी, लेकिन आज तक उन सब से कोई संपर्क नहीं किया गया था.

इसी तरह चांद ऐजूकेशनल ऐंड कल्चरल सोसाइटी, लेखू नगर, नई दिल्ली द्वारा सर्वशिक्षा अभियान के तहत 20 हजार से ज्यादा अध्यापकों के पदों पर भरती निकाली गई, जिस की न्यूनतम योग्यता 12वीं जमात पास होना तय थी. इस के लिए इस संस्था द्वारा आवेदन शुल्क के रूप में 250 रुपए के पोस्टल और्डर की डिमांड की गई थी.

लाखों बेरोजगारों द्वारा उक्त पद के लिए अर्जी दाखिल की गई, लेकिन उक्त संस्था द्वारा मांगा गया आवेदन फर्जी निकला. कैरियर काउंसलिंग से जुड़े ‘दिशा सेवा संस्थान’ के डायरैक्टर अमित मोहन का कहना है कि सरकारी महकमों में नियुक्तियों का अधिकार सिर्फ सरकार के पास होता है और इस के लिए सरकार इश्तिहार निकाल कर नियुक्तियां करती है. महकमों में होने वाली नियुक्तियों में पदों के मुताबिक अलगअलग शैक्षिक योग्यता तय की जाती है.

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