कत्ल का मुकदमा चल रहा हो तो उस का फैसला जानने के लिए काफी लोग उत्सुक रहते हैं. 12 मार्च, 2018 को चंडीगढ़ के सेशन जज बलबीर सिंह की अदालत के भीतरबाहर तमाम लोग एकत्र थे. वजह यह थी कि उन की अदालत में चल रहा कत्ल का एक मुकदमा अपने आखिरी पड़ाव पर आ पहुंचा था. लोग इस केस का फैसला सुनने को बेकरार थे.
इस केस की शुरुआत कुछ यूं हुई थी.
उस दिन किसी केस की छानबीन के सिलसिले में चंडीगढ़ के थाना सेक्टर-31 की महिला एसएचओ जसविंदर कौर अपने औफिस में मौजूद थीं. रात में ही करीब 45 वर्षीय शख्स ने आ कर उन से कहा, ‘‘मैडम, मेरा नाम दुर्गपाल है और मैं रामदरबार इलाके के फेज-2 के मकान नंबर 2133 में रहता हूं.’’
‘‘जी बताइए, थाने में कैसे आना हुआ, वह भी इस वक्त?’’ इंसपेक्टर जसविंदर कौर ने उस व्यक्ति को गौर से देखते हुए पूछा.
‘‘ऐसा है मैडमजी,’’ खुद को दुर्गपाल कहने वाले शख्स ने बताना शुरू किया, ‘‘हम 4 भाई हैं और मैं सब से बड़ा हूं. मेरी मां शारदा देवी मेरे से छोटे भाई राजबीर के साथ ग्राउंड फ्लोर पर रहती हैं. फर्स्ट फ्लोर पर मेरा सब से छोटा भाई विजय रहता है. मैं और तीसरे नंबर का भाई उदयवीर अपनीअपनी फैमिली के साथ टौप फ्लोर पर रहते हैं.’’
‘‘ठीक है, आप समस्या बताइए.’’
‘‘मैडम, हमारे घर के टौप फ्लोर पर 4 कमरे हैं. वहां सीढि़यों की तरफ वाले 2 कमरे मेरे पास हैं और उस के आगे वाले 2 कमरे मेरे भाई उदयवीर के पास.’’
‘‘आप के मकान और कमरों की बात तो हो गई, वह बताइए जिस के लिए आप को थाने आना पड़ा?’’ थानाप्रभारी जसविंदर कौर ने अपना लहजा थोड़ा बदला.