5 साल लग गए बोधगया के महाबोधि टैंपल पर हुए आतंकी हमले में शामिल आतंकवादियों को सजा मिलने में. इंडियन मुजाहिदीन के 5 आतंकवादियों को एनआईए यानी नैशनल इंवैस्टिगेशन एजेंसी की स्पैशल कोर्ट ने 1 जून, 2018 को सजा सुनाई.

पांचों को यूएपीए ऐक्ट की 4 धाराओं के तहत 4 बार उम्रकैद की सजा दी गई है. इस के साथ ही हत्या की कोशिश के लिए 10-10 साल की सजा भी सुनाई गई है. सभी सजाएं साथसाथ चलेंगी.

इस के अलावा हैदर अली को 60,000 रुपए, इम्तियाज और मुजीबुल्लाह को 50,000-50,000 रुपए और उमर सिद्दीकी और अजहरुद्दीन को 40,000-40,000 रुपए का जुर्माना भी भरना होगा.

पुलिस और जांच एजेंसी को आतंकवादियों ने बताया कि उन का समूचा बोधगया टैंपल उड़ाने का प्लान था. लोकल गैस सिलैंडर में बम बनाया गया था जो दबाव की वजह से उस की पेंदी पहले ही निकल गई. अगर सिलैंडर की पेंदी मजबूत होती तो धमाके के बाद सिलैंडर के परखच्चे उड़ जाते और जानमाल का ज्यादा नुकसान होता.

12 जगहों पर बम लगाए गए थे जिन में से 9 बम ही फट सके थे. अगर सभी बमों की टाइमिंग और धमाका सही तरीके से होता तो महाबोधि टैंपल पूरी तरह से जमींदोज हो गया होता.

बम धमाका करने के लिए आतंकवादियों ने अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किया था. धमाका क्रूड बम से किया गया था जो देशी बम की तरह ही होता है और इस की मारक क्षमता ज्यादा नहीं होती है. जो बम फटे, उन में पोटैशियम, सल्फेट, पोटाश, आर्सेनिक और छर्रों का इस्तेमाल किया गया था.

3 जिंदा बम मिले जिन में धमाका नहीं हो सका था. उन में आरडीएक्स था. अगर वे बम फटते तो काफी तबाही और नुकसान हो सकता था. खास बात यह है कि महाबोधि पेड़ के नीचे रखा सिलैंडर बम नहीं फटा था. उस बम के ऊपर ‘बुद्ध’ लिखा हुआ था.

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