‘मैं एक घर से काम करके लौट रही थी. पराग चैराहे से थोडा आगे मंदिर के आगे पहुंची तो सामने से कार में सवार 4 लडके आये. उन लोगों ने मेरा मुंह बंद करके मुझे जबरदस्ती कार में चढा लिया. मुझे गाडी की पिछली सीट की गद्दी के नीचे लिटा दिया. मैने शोर मचाया तो उन लोगों ने जोर से बाजा बजा दिया. उनमें से एक गाडी चलाने लगा और 2 लडको ने मेरे साथ जोर जबरदस्ती करनी शुरू कर दी.

मुझे धमकी देकर कहा कि रोओगी तो गोली मार देगे. मैने जब उन से कहा कि भैया मुझे छोड दो तो उन लोगों ने मुझे और मारा. मेरे पैर में लाइटर से जलाया और बट से कमर पर मारा. उनमें से 3 लडको ने मेरे साथ उस समय गलत काम किया.’ 2 मई 2005 को उत्तर प्रदेश की राजधनी लखनऊ में घटी इस घटना को आशियाना बलात्कार कांड के नाम से जाना जाता है. इस लडकी को शाम के 6 बजे अगवा किया गया था और रात के 11 बजे हाथ में 20 रूपया देकर घायल अवस्था में सडक पर छोड कर युवक भाग गये.

लडकी गरीब परिवार की थी. घरों में मेहनत मजदूरी करके काम चलाती थी. उसके पिता रिक्शा चलाकर अपना परिवार चलाते थे. लडकी किसी तरह उस रात पहले घर फिर पिता के साथ थाने पहुंची, पुलिस ने मुकदमा लिखा. 6 आरोपियों को पुलिस ने पकडा, जिनमें से 4 खुद को नाबालिग बताने लगे. मुख्य आरोपी गौरव शुक्ला लखनऊ के एक बाहुबलि नेता का भतीजा था. बहुत सारी अदालतीय लडाई के बाद अदालत में यह साबित हो गया कि गौरव शुक्ला बालिग था.

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