मार्च 2015 के अंतिम सप्ताह की 24 तारीख को पटियाला की विकास कालोनी में एक युवक की लाश मिली थी. लाश के टुकड़े कर के एक अटैची में बंद कर के अटैची को सुनसान जगह पर फेंक दिया गया था. मृतक के कई टुकड़े करने के बाद उस के चेहरे पर ईंटें मार कर कुचला गया था.

पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर के लाश की शिनाख्त करवाई तो पता चला कि अटैची में मिली लाश अनिल कुमार नामक युवक की थी. इस हत्या ने पूरे शहर में दहशत पैदा कर दी थी.

दहशत का एक कारण यह भी था कि पुलिस को इस तरह लाश कोई पहली बार नहीं मिली थी. सन 1995 से ले कर अब तक इसी तरह पुलिस ने पंजाब के अलगअलग शहरों से करीब 8 लाशें बरामद की थीं और ये सभी अनसुलझे मामले फाइलों में बंद हो चुके थे. यह ताजा मामला भी पहले मिली लाशों की फेहरिस्त में शामिल कर लिया गया था, क्योंकि अब से पहले मिली लाशें और अब मिली लाश को देख कर ऐसा लगता था जैसे इन सब का कातिल एक ही रहा हो.

इन सभी हत्याओं की कार्यप्रणाली एक जैसी ही थी. अब तक मिली सभी लाशें टुकड़ों में मिली थीं और उन सब के चेहरे पर ईंटें मार कर चेहरा बिगाड़ा गया था. इस तरह की हत्याओं का पहला मामला सन 1995 में लुधियाना में सामने आया था. मृतक का नाम नंदलाल था और उस की लाश भी पुलिस को अटैची में बंद टुकड़ों के रूप में मिली थी.

अनिल की तरह नंदलाल के चेहरे को भी ईंटें मार कर बिगाड़ा गया था. बाद में पुलिस की काफी मशक्कत के बाद मृतक की पहचान नंदलाल के रूप में हुई थी, पर पुलिस की दिनरात की मेहनत के बाद भी वह कातिल तक नहीं पहुंच पाई थी. अंतत: इस केस को अनसुलझा करार देने के बाद इस की फाइल बंद कर दी गई थी.

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