साइप्रस में वह नूरुद्दीन के नाम से जाना जाता था, तो जौर्डन में चार्ल्स ब्रोकलिन. माल्टा में उस की पहचान बिट्टू के रूप में थी, तो दुबई में रेहान खान. तुर्की में वह सफी अहमद के नाम से जाना जाता था. वह इन देशों में बेरोकटोक आताजाता था.

लेकिन उस शख्स का असली नाम प्रसन्नजीत था और वह चैक क्लोनिंग का माहिर खिलाड़ी था. चैक क्लोनिंग कर के उस ने कई कंपनियों को करोड़ों रुपए का चूना लगाया और उस पैसों से वह विदेशों में ऐशमौज करता रहता था.

प्रसन्नजीत की धोखाधड़ी का खुलासा 4 जून, 2017 को तब हुआ, जब पटना के कदमकुआं थाना क्षेत्र के कारोबारी अजीत कुमार जगनानी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि उन के खाते से एक लाख, 95 हजार रुपए फर्जी तरीके से निकाल लिए गए हैं. पुलिस ने जब मामले की जांच शुरू की, तो एक के बाद एक खुलासे होने लगे.

अजीत कुमार जगनानी के खाते से निकाली गई रकम चार्ल्स ब्रोकलिन के यूनियन बैंक के खाते में जमा हुई थी. उस के बाद उस रकम को नैटबैंकिंग के जरीए लोहानीपुर की रहने वाली नरगिस के खाते में ट्रांसफर कर दिया गया था.

पुलिस ने नरगिस को दबोचा, तो उस की निशानदेही पर पहले कदमकुआं इलाके से पिंटू को गिरफ्तार किया गया. उस के बाद पिंटू और नरगिस ने प्रसन्नजीत के नाम का खुलासा कर उसे भी पुलिस के जाल में फंसा दिया.

चैक की क्लोनिंग कर बैंकों से करोड़ों रुपए निकालने वाले प्रसन्नजीत को 5 जुलाई, 2017 को गर्दनीबाग थाना पुलिस ने रात को सरिस्ताबाद इलाके से गिरफ्तार कर लिया. उस के गिरोह के

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