8-10  महीने पहले की बात है. जयपुर शहर के उनियारों का रास्ता में रहने वाले नेमीचंद सैन एक दिन अपने घर पर आराम कर रहे थे. दोपहर का समय होने वाला था, वे भोजन करने का मन बना रहे थे. इसी दौरान उन के मोबाइल की घंटी बजी. नेमीचंद ने मोबाइल का स्विच औन कर के कान पर लगाया और हैलो बोलने ही वाले थे कि दूसरी ओर से आवाज आई, ‘‘हैलो, नेमीचंदजी बोल रहे हैं?’’

‘‘हां, बोल रहा हूं.’’ नेमीचंद ने सहज भाव से जवाब दिया, लेकिन पूछा भी कि आप कौन बोल रहे हैं? मैं ने आप को पहचाना नहीं.

‘‘नेमीचंदजी, हम दिल्ली से बीमा कंपनी के कस्टमर केयर से बोल रहे हैं.’’ काल करने वाले ने बताया.

‘‘हां, ठीक है, बताइए आप को क्या काम है?’’ नेमीचंद ने सवाल किया.

‘‘नेमीचंदजी, हम ने इसलिए फोन किया है कि आप को कुछ फायदा हो सके. अगर आप की इच्छा हो तो आगे बात करें.’’ दूसरी ओर से फोन करने वाले ने कहा.

‘‘मेरी समझ में नहीं आया कि तुम कैसे फायदे की बात कर रहे हो?’’ नेमीचंद ने फिर सवाल किया.

‘‘नेमीचंदजी, आप के पास बीमा पौलिसी है. बीमा कंपनी तो आप को कुछ देगी नहीं, लेकिन हम आप का फायदा करवा सकते हैं. इस पर आप को अच्छाभला बोनस मिल जाएगा.’’ दूसरी ओर से कहा गया.

‘‘ठीक है, लेकिन अभी मैं कहीं बाहर जा रहा हूं. तुम 1-2 दिन बाद फोन करना.’’ नेमीचंद ने उस समय टालने के लिहाज से कहा.

‘‘ठीक है सर, आप की जैसी इच्छा. हम 1-2 दिन में आप को फिर फोन करेंगे. तब तक आप विचार बना लेना.’’ दूसरी तरफ से फोन करने वाले ने कहा. इस के बाद फोन कट गया.

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