बीकानेर शहर की रहने वाली उच्च शिक्षित सुरभि शर्मा खातेपीते परिवार से थीं. वह खूबसूरत भी थीं. अपनी दिलकश अदाओं से वह पहली नजर में ही किसी के भी दिल में उतर सकती थीं. इस के बावजूद उन के लिए कोई अच्छा रिश्ता नहीं मिल रहा था. इस की वजह से सुरभि ही नहीं, उन के घर वाले भी परेशान थे.

घर वालों ने उस के रिश्ते के लिए नातेरिश्तेदारों से ही नहीं, जानपहचान वालों से भी कह रखा था. इन लोगों ने जो भी रिश्ते बताए, उन में से कुछ सुरभि को पसंद नहीं आए तो कुछ को सुरभि और उस के घर वाले पसंद नहीं आए.

एक समय था, जब रिश्तेदार या जानपहचान वाले ही शादियां करा देते थे. लेकिन लोग गांवों से निकल कर शहरों में बसते गए, जिस से लोग एकदूसरे से दूर होते गए. तब वैवाहिकी विज्ञापनों का दौर शुरू हुआ. विज्ञापनों के जरिए लोग बेटीबेटियों की शादी करने लगे.

इंटरनेट आया तो तमाम मैट्रीमोनियल वेबसाइटें बन गईं, जो वरवधू तलाशने में मदद करने लगीं. सुरभि की शादी में हो रही देरी को देखते हुए कुछ लोगों ने उसे सलाह दी कि वह भी किसी मैट्रिमोनियल वेबसाइट पर अपनी प्रोफाइल बना कर डाल दे. हो सकता है, कोई अच्छा रिश्ता मिल ही जाए.

उन्हीं लोगों की सलाह पर सुरभि ने घर वालों से बात की. घर वालों ने हामी भर दी तो सुरभि ने मैट्रीमोनियल साइट पर अपनी एक बढि़या फोटो के साथ प्रोफाइल अपलोड कर दी. प्रोफाइल अपलोड होने के बाद वेबसाइट की ओर से उसे प्रोफाइल नंबर दे दिया गया. इसी नंबर के जरिए उस से वेबसाइट द्वारा संपर्क किया जा सकता था.

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