बौलीवुड के दिग्गज अभिनेताओं में से एक ओम पुरी एक ऐसे शख्सियत थे, जो अनजानों से भी यूं गले मिलते थे, जैसे वह उनका कोई अपना अजीज हो. किरदार यूं निभाए कि मानों हकीकत हो. इसी साल जनवरी में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया था.

कहते हैं मौत भी उन्हें वही मिली जिसकी उन्होंने कामना की थी. उनके बारे में कहा जाता है कि वह मौत से नहीं, बीमारी से डरते थे. मार्च 2015 में उन्होंने छत्तीसगढ़ में बीबीसी के लिए एक साक्षात्कार में वरिष्ठ पत्रकार आलोक पुतुल से कहा था, "मृत्यु का भय नहीं होता, बीमारी का भय होता है.

जब हम देखते हैं कि लोग लाचार हो जाते हैं, बीमारी की वजह से दूसरों पर निर्भर हो जाते हैं. ऐसी हालत से डर लगता है. मृत्यु से डर नहीं लगता. मृत्यु का तो आपको पता भी नहीं चलेगा. सोए-सोए चल देंगे. (मेरे निधन के बारे में) आपको पता चलेगा कि ओम पुरी का कल सुबह 7 बजकर 22 मिनट पर निधन हो गया." यह वाकई सच हो गया.

उन्होंने मृत्यु की पूर्व संध्या पर अपने बेटे ईशांत को भी फोन किया और कहा कि मिलना चाहते हैं. अफसोस! सुबह हुई कि वह जा चुके थे. घर पर अकेले थे, न किसी सेवक को मौका दिया और न किसी की मदद का इंतजार.

बिस्तर पर बेजान शरीर और पीछे बस यादें ही यादें. उन्होंने खुद को उस दौर में फिल्मों में स्थापित किया, जब सफलता के लिए सुंदर चेहरों का बोलबाला था. साफ और सीधा कहें तो बदशक्ल सूरत की भी धाक, जिसने मंच से लेकर बड़े और छोटे पर्दे पर जमाकर न जाने कितनों को प्रेरित किया, मौका दिया, जिंदगी बदल दी, कहां से कहां पहुंचा दिया, खुद उनको भी नहीं पता होगा.

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