फ्रांस जिसे फैशन वर्ल्‍ड माना जाता है. पेरिस फैशन वीक जहां हर मॉडल का सपना होता है कि वो इस इवेंट के लिए रैम्‍प वॉक करें. फ्रांस की मॉडल्‍स को दुनिया की सबसे सुंदर और बेहतरीन मॉडल्‍स माना जाता है. पेरिस में मॉडलिंग करने के लिए सुंदरता का अलग ही पैमाना तय कर रखा है. जितनी ज्‍यादा पतली मॉडल उतनी ही ज्‍यादा आकर्षक. सुंदरता के इस कसौटी पर खुद को खरा उतारने के लिए मॉडल्‍स अपने आप को बहुत ही ज्‍यादा पतली बनाई रखती है.

दुबले बनाए रखने की वजह से वो महीनों महीनों खाने से दूर रहती है और तरह तरह की दवाईयों का सेवन करती है. जिस वजह से वो अवसाद की शिकार हो जाती है.

इसलिए मॉडल्‍स के स्‍वास्‍थ्‍य को देखते हुए फ्रांस की सरकार ने नया कानून बनाया जिसके तहत अब बहुत ही ज्‍यादा पतली और स्किनी लड़कियां मॉडलिंग नहीं कर पाएंगी . मॉडलिंग करने के लिए उन्‍हें मेडिकल वैरिफिकेशन करवाना होगा.

डॉक्‍टर का सेटिफिकेट

जरुरी मॉडल बनने के लिए अब लड़कियों को डॉक्‍टर से मेडिकल वैरिफिकेशन करवाना होगा. मॉडल्स को अपनी सेहत के बारे में डॉक्टर का प्रमाणपत्र दिखाना होगा. इसमें उनके बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) की जानकारी भी रहेगी. बीएमआइ लंबाई और वजन के अनुपात के आधार पर निकाला जाता है. जरूरत से ज्यादा पतली मॉडल्स को फैशन इवेंट में पार्टीसिपेट करने का मौका नहीं मिलेगा.

इसलिए पड़ी इस कानून की जरुरत

ऐसा एनोरेक्सिया नामक एक बीमारी से बचाने के लिए किया गया है. फ्रांस में 30 से 40 हजार तक लोग एनोरेक्सिया नामक बीमारी से ग्रसित है. जिसमें से 90 प्रतिशत संख्‍या औरतों की हैं. एनोरेक्सिया एक ईटिंग डिसऑर्डर है. इसमें भूख लगने पर भी मरीज खाना नही खाता क्योंकि उसे वजन बढ़ जाने का डर सताता रहता है. एनोरेक्सिया से पीड़ित लोग खाने से दूर भागते हैं. वजन ज्यादा न होने पर भी वे अपने आप को खाने से दूर रखते है. सही समय पर इलाज न मिलने से एनोरेक्सिया जानलेवा साबित हो जाती है.

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