मराठी फिल्मां के मशहूर लेखक व निर्देशक गजेंद्र अहिरे की शोहरत अब विदेशों तक पहुंच गयी है. गजेंद्र अहिरे ने इंडो स्वीडिश प्रोडक्शन की हिंदी व अंग्रेजी भाषा में बनी फिल्म ‘‘डिअर मौली’’ का निर्देशन किया है. गजेंद्र अहिरे अपनी इस फिल्म को लेकर काफी उत्साहित हैं. क्योंकि उनकी यह फिल्म औस्कर अवार्ड के लिए भेजी गयी है. इतना ही नहीं गजेंद्र अहिरे का मानना है कि उनकी फिल्म ‘‘डिअर मौली’’ सही अर्थों में पहली क्रौस ओवर फिल्म है. क्योंकि उन्होने इस फिल्म को स्वीडन में ही फिल्माने के साथ इसका पोस्ट प्रोडक्शन वर्क भी स्वीडन में ही किया है. फिल्म ‘‘डिअर मौली’’ का निर्माण भारत की तरफ से प्रवीण निश्चल व मनमोहन शेट्टी ने किया है. इस फिल्म में स्वीडन के कुछ कलाकारों व स्थानीय नागरिकों के साथ जर्मनी की लिया बौयसनन के अलावा भारत के आलोक राजवाडेचा व गुरबानी गिल ने अभिनय किया है. मौली के किरदार में गुरबानी गिल हैं.

फिल्म ‘‘डिअर मौली’’ की चर्चा चलने पर गजेंद्र अहिरे बताते हैं- ‘‘मेरे दिमाग में इस फिल्म की कहानी 2016 में आयी थी. फिल्म की कहानी ‘इमीग्रेशन’ की समस्या को लेकर है. इस समस्या से भारत, स्वीडन, अमरीका सहित पूरा विश्व पीड़ित है. यह कहानी मौली नामक लड़की की है, जो कि अपने पिता की खोज में यूरोप जाती है. मौली ने अपने पिता को अंतिम बार पांच वर्ष की उम्र में देखा था. उसके पिता स्वीडन में शास्त्रज्ञ थे और उन्होने अपनी बेटी मौली को कई कवितामय पत्र लिखे थे. अब मौली उन्ही पत्रों के आधार पर अपने पिता की खोज में लगी हुई है. तो यह फिल्म एक बेटी व उसके पिता की कहानी है. इंसान अपने सपनों को पूरा करने के लिए विदेश जाता है, पर वह वहां की सभ्यता व संस्कृति के अनुरूप खुद को ढाल नहीं पाता. परिणामतः कई सपने ध्वस्त होते हैं, तो कई बार इंसान कई तरह की मुसीबतों में फंस जाता है.’’

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